खबर लहरिया Blog LIC dispute: वॉशिंगटन पोस्ट रिपोर्ट पर एलआईसी का जवाब, आरोप बेबुनियाद

LIC dispute: वॉशिंगटन पोस्ट रिपोर्ट पर एलआईसी का जवाब, आरोप बेबुनियाद

द वॉशिंग पोस्ट एक रिपोर्ट में दावा किया कि एलआईसी ने अडानी ग्रुप को सरकारी मदद के रूप में फायदा पहुंचाया। एलआईसी के अपने आंकड़ों के मुताबिक अडानी ग्रुप में उसका निवेश उसके कुल पोर्टफोलियो का 1% से भी कम है और इस निवेश से लगभग 120% का रिटर्न मिला है।

फोटो साभार: सोशल मीडिया

अगर कोई एक संस्था है जो पूरे भारत में अटूट विश्वास रखती है, तो वह है जीवन बीमा निगम या एलआईसी। एक बीमाकर्ता से बढ़कर, यह भारत के सामाजिक और आर्थिक ताने-बाने में रचे-बसे विश्वास का प्रतीक है। छोटे शहरों के स्कूली शिक्षकों से लेकर महानगरों के अधिकारियों तक, पीढ़ियों ने सुरक्षा के लिए एलआईसी का रुख किया है। चाहे बेटी की शादी का खर्च उठाना हो, घर बनवाना हो, या रिटायरमेंट प्लानिंग करनी हो, एलआईसी लाखों परिवारों के साथ चुपचाप खड़ी रही है।

1956 में बनी एलआईसी (Life Insurance Corporation of India) ने भारत के हर बड़े आर्थिक दौर को देखा है। आज़ादी के बाद देश के पुनर्निर्माण से लेकर 1991 के आर्थिक सुधारों और 2020 की महामारी तक। इन कठिन समयों में भी एलआईसी ने अपनी भरोसेमंद छवि, पारदर्शिता और वित्तीय मजबूती को बनाए रखा है।

हाल ही में अमेरिकी अख़बार The Washington Post  ( द वॉशिंग पोस्ट) ने एक रिपोर्ट में दावा किया कि एलआईसी ने अडानी ग्रुप को सरकारी मदद के रूप में फायदा पहुंचाया। इस रिपोर्ट के बाद सोशल मीडिया पर बहस शुरू हो गई लोग पूछने लगे कि क्या LIC का पैसा सुरक्षित है और क्या सरकार ने किसी कंपनी को मदद करने के लिए दबाव डाला?

लेकिन भारत के लोगों ने इस आरोप को तुरंत खारिज कर दिया।
एलआईसी के अपने आंकड़ों के मुताबिक अडानी ग्रुप में उसका निवेश उसके कुल पोर्टफोलियो का 1% से भी कम है और इस निवेश से लगभग 120% का रिटर्न मिला है। ज़्यादातर भारतीयों के लिए यह साफ़ सबूत था कि एलआईसी अपने फैसले सोच-समझकर और स्वतंत्र रूप से लेती है और उसका काम किसी राजनीतिक दबाव से नहीं बल्कि वित्तीय विवेक और अनुभव पर आधारित होता है।

   

फोटो साभार: सोशल मीडिया

LIC (भारतीय जीवन बीमा निगम ) के बयान 

एक बयान में एलआईसी ने कहा कि उसके निवेश संबंधी फैसले बाहरी कारकों से प्रभावित होने के दावे “झूठे, निराधार और सच्चाई से कोसों दूर” हैं। एलआईसी ने कहा कि बीमा कंपनी ने ऐसा कोई प्रस्ताव या दस्तावेज़ कभी तैयार नहीं किया था।

बयान में कहा गया है “निवेश संबंधी निर्णय एलआईसी द्वारा बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीतियों के अनुसार स्वतंत्र रूप से लिए जाते हैं। वित्तीय सेवा विभाग (वित्त मंत्रालय में) या किसी अन्य निकाय की ऐसे (निवेश संबंधी) निर्णयों में कोई भूमिका नहीं होती है।” देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी ने कहा कि रिपोर्ट में लगाए गए आरोप एलआईसी की सुस्थापित निर्णय प्रक्रिया को प्रभावित करने तथा उसकी प्रतिष्ठा और छवि को धूमिल करने के इरादे से लगाए गए हैं। अडानी समूह ने भी वाशिंगटन पोस्ट के प्रश्नों के उत्तर में एलआईसी द्वारा उसके बांडों में निवेश के संबंध में किसी भी सरकारी योजना या अधिमान्य उपचार को अस्वीकार कर दिया।

अडानी और LIC दोनों ने दी सफाई

एलआईसी के पूर्व चेयरमैन सिद्धार्थ मोहंती ने कहा कि सरकार कभी भी कंपनी के निवेश निर्णयों में दखल नहीं देती। वहीं अडानी ग्रुप के सीएफओ जुगेशिंदर सिंह ने ‘वॉशिंगटन पोस्ट’ पर तंज कसते हुए कहा “फाइनेंस पर वॉशिंगटन पोस्ट का लिखना वैसा ही है जैसे मैं और जेफ बेजोस बालों पर आर्टिकल लिखें पूरी तरह बेवकूफी।” अडानी ग्रुप ने कहा कि लेख में कई तथ्यात्मक गलतियां हैं और कर्ज पुनर्वित्त (refinancing) की कोई जरूरत नहीं है। इसके उलट कंपनी ने जून में 45 करोड़ डॉलर के कर्ज की समयपूर्व अदायगी के लिए पुनर्खरीद प्रोग्राम शुरू किया था।

हालिया रिपोर्ट के मुताबिक – 

LIC की इक्विटी में निवेश करीब 16 लाख करोड़ रुपये का है जबकि अडानी ग्रुप की कंपनियों में LIC का निवेश करीब 60 हजार करोड़ रुपये का है। यानी LIC के कुल निवेश का करीब 4 फीसदी हिस्सा अडानी ग्रुप की कंपनियों में हैं। LIC ने अडानी ग्रुप से ज्यादा देश की कई दूसरी कंपनियों के शेयरों में निवेश किया है।

LIC का टॉप 5 निवेश 

  1. LIC का सबसे ज्यादा निवेश Reliance Industries में है यहां करीब 1.38 लाख करोड़ का निवेश है जो कि RIL में करीब 6.94% हिस्सेदारी बनती है। 
  2. ITC Ltd: इस कंपनी में LIC का निवेश करीब 82,342 करोड़ रुपये का है यानी ITC में LIC की करीब 15.86% हिस्सेदारी है। 
  3. ITC LTD: इस बैंक में LIC का करीब 72,500 करोड़ रुपये का निवेश है इस बैंक में LIC की करीब 5.45 फीसदी हिस्सेदारी है।   
  4. SBI: स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में LIC की करीब 9.59% हिस्सेदारी है अमाउंट में ये निवेश करीब 68,000 करोड़ रुपये का है. 
  5. Larsen & Toubro Ltd (L&T) LIC का करीब 66,053 करोड़ रुपये का निवेश है। यानी इस कंपनी में 13% से ज्यादा हिस्सेदारी LIC की है।                 
  6. Infosys Ltd में LIC का निवेश लगभग 63,400 करोड़ रुपये का है। 

कानूनी विशेषज्ञों की राय

प्रसिद्ध वित्तीय वकील एडवोकेट एच.पी. रानीना ने कहा कि द वॉशिंग पोस्ट की रिपोर्ट में कोई ठोस सबूत नहीं है।
उनके अनुसार LIC जैसी सरकारी कंपनी का काम पूरी तरह पारदर्शी होता है और उसकी निवेश नीति बोर्ड और सरकारी नियमों के तहत तय होती है।
उन्होंने कहा कि यह रिपोर्ट राजनीतिक मकसद से प्रेरित लगती है और इसका असलियत से बहुत कम संबंध है।

 

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