ट्विटर द्वारा सरकार के आईटी के नए नियम पालन न करने की वजह से क़ानूनी संरक्षण हटा दिया गया। फ़िलहाल, इस पर आधिकारिक फैसला आना बाकी है।
भारत में अब ट्विटर को मिला कानूनी संरक्षण खत्म हो गया है। लेकिन ट्विटर का कानूनी संरक्षण खत्म करने को लेकर केंद्र सरकार द्वारा अभी तक कोई भी आदेश ज़ारी नहीं किये गए हैं। इसके साथ ही योगी आदित्यनाथ की यूपी सरकार ने ट्विटर के खिलाफ अपनी नराज़गी जताना भी शुरू कर दिया है। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ द्वारा koo एप पर उनके द्वारा पहला सन्देश भेजा गया है।
सीएम योगी ने koo एप पर लिखा ये सन्देश –
सीएम योगी लिखते हैं, ” गाज़ीपुर में माँ गंगा की लहरों पर तैरते संदूक में रखी नवजात बालिका “गंगा” की जीवन-रक्षा करने वाले नाविक ने मानवता का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया है। नाविक को आभार स्वरूप सभी पात्र सरकारी योजनाओं से लाभन्वित किया जायेगा। प्रदेश सरकार नवजात बच्ची का लालन-पालन का सम्पूर्ण प्रबंध करेगी।”
सरकार द्वारा 25 मई को नए नियम लागू किए गए थे। लेकिन ट्विटर ने इन नियमों को अब तक लागू नहीं किया। जिसके बाद ट्विटर को भारत में मिलने वाली क़ानूनी सुरक्षा को खत्म किया गया है।
क़ानूनी संरक्षण हटाने को लेकर आधिकारिक बयान नहीं
सरकार द्वारा ट्विटर को दी जाने वाली क़ानूनी संरक्षण को हटाने को लेकर कोई आधिकारिक बयान या आदेश जारी नहीं किया गया। लेकिन क्यूंकि ट्विटर ने अब तक नए आईटी नियमों को लागू नहीं किया इसलिए उन्हें मिलने वाला कानूनी संरक्षण खुद-ब-खुद खत्म हो गया। कहा जा रहा है कि ट्विटर से क़ानूनी संरक्षण हटना बहुत गंभीर बात है। अब ट्विटर भारतीय कानूनों के दायरे में आ गया है। किसी भी आपत्तिजनक कंटेंट के लिए उसे ही ज़िम्मेदार ठहराया जा सकता है।
यह है केंद्रीय मंत्री का कहना
इस मामले पर केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इण्डिया टुडे से 16 जून को हुई बातचीत में कहा कि टिकटॉक और अन्य एप को भी देश में सुरक्षा को देखते हुए बैन किया गया था। वह कहते हैं कि ट्विटर को लेकर उनके पास कोई अधिकार नहीं है। जो भी कुछ होता है वह अमेरिका से होता है। दिशा-निर्देश सोशल मिडिया के इस्तेमाल को लेकर नहीं है बल्कि इसके गलत इस्तेमाल और भड़काऊ सामग्री के खिलाफ है।
सरकार द्वारा ट्विटर से क़ानूनी संरक्षण का हटा देना, कोई चौकाने वाली बात नहीं है। हालाँकि, इसे लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया गया। लेकिन पिछले हुए कई मामलों से यह बात तो साफ़ हो गयी है कि सरकार किसी न किसी तरह से ट्विटर को अपने अधिकार में करना चाहती है। पिछले दिनों किसान आंदोलन के दौरान जिन लोगों ने भी किसान आंदोलन के समर्थन में ट्वीट किये गए थे। उन सबके अकाउंट को ब्लॉक करवा उन पर कार्यवाही की गयी थी।
अगर हाल ही का मामला देखें, जिसमें गाज़ियाबाद के 72 साल के मुस्लिम व्यक्ति की पिटाई के मामले में पत्रकारों, मिडिया संगठन आदि के खिलाफ यूपी गाज़ियाबाद पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज़ की गयी थी। वह भी सिर्फ इसलिए क्यूंकि इन लोगों ने मामले का वीडियो ट्वीट किया था और पुलिस ने ट्वीट को साम्प्रादयिकता को बढ़ावा देने की बात बताकर सबके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज़ कर दी। इन मामलों से साफ़ होता है कि सरकार हर एक चीज़ को अपने दायरे में करना चाहती है। लेकिन अगर सरकार कोई गलत कार्य करे तो उसके खिलाफ क्या कार्यवाही की जानी चाहिए?
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