खबर लहरिया चुनावी बुखार सावधान ललितपुर में नेता जी पहुंचे तो लेकिन किसी कि सुनी नहीं

ललितपुर में नेता जी पहुंचे तो लेकिन किसी कि सुनी नहीं

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चुनाव नजदीक है और सभी पार्टियाँ अपने प्रचार प्रसार में जुट चुकें हैं। तभी तो 5 मार्च को ललितपुर जिले के लहरैन गांव में चन्द्रपाल सिंह पहुंचे तो, लेकिन जनता की सुनी नहीं।

सपा कार्यकर्ता चन्द्रपाल सिंह जी का कहना है कि बात ये है, कि मौजूदा जो सांसद हैं, उन लोगों ने जीतने के बाद कभी दुबारा आने का काम नहीं किया। हम लोग भले ही दूसरे नंबर पर रहे, लेकिन जनता के बीच में समाजवादी पार्टी के लोग रहे हैं। बुंदेलखंड उत्तर-प्रदेश का सबसे पिछड़ा इलाका है, जहाँ गरीबी क्या? बुखमरी है, तो हम चाहते हैं, कि यहाँ ऐसे उद्द्योग रहे, जिससे लोगों को रोजगार मिल सके। लोगों को रोजी रोटी मिल सके और पढ़े लिखे नौजवानों को नौकरी मिलने को प्राथमिकता मिल सके। पानी की अच्छी सहायता मिल सके, जिससे लोग अपनी खेती कर सकें। लोग खुशहाल होंगें, तो ही लोग समझे कि समाजवादी और बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन को ही आना चाहिए।

रामदेवी ने बताया की हम चन्द्रपाल जी से यही कहना चाहते हैं, कि हमारे गांव में विकास बढ़ाव। वोट तो लेने आ गये, अगर कोई अच्छा काम किया होता तो हमें भी लगता कि, वोट देना चाहिए। बस वोट मांगने आये थे। हमारे गांव का विकास बढ़ाने नहीं आये थे। जब उन्होंने हमारी समस्या सुनी ही नहीं, तो हम सोचते। हम सब महिलाओं ने सोचा था, कि हम पूंछेंगें कि किसानों के अनाज का दाम क्यों नहीं बढ़ रहा है? आवास पात्र लोगों के क्यों नहीं बन रहे हैं? शौचालय नहीं बन रहे है। सड़क पर जाना पड़ रहा है। लेकिन हम अपनी बात नहीं रख पाए।

कल्पना का कहना है कि मुश्किल से एक घंटा रुके हुए थे। पता नहीं कि, जनता को रिझाने क्यों आते हैं? बस जनता से कह देते हैं, कि ऐसा होगा वैसा होगा। यहां से लिख ले जाते हैं और फिर फाड़कर फेक देते हैं। सब लोग अपनी अपनी तरफ खींच रहे हैं। वोटिंग के समय ही इसी तरह बहलाते हैं। लोग टूटे घरों में जिन्दगी गुजार रहे हैं। कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

प्रकाश चन्द्र ने बताया कि हम तो यही कहते कि हमारी और हमारे गांव की सुरक्षा करो। अगर बाहर चार रूपये मिलता है और अगर यहाँ दो रूपये मिलेगा, तो हम यही काम चलायंगें। बाहर नहीं जायेंगें। गरीब आदमी हैं, क्या कर सकते है? अपने बेटी के लिए पैसा मांग सकते हैं।

पवन का कहना है कि सरकारी काम आयेंगें, तो हम बाहर क्यों जायेंगें? गांव में बंधिया बनती तो, हम उसी में काम करते, जो अभी दो किलो आटा लेकर बाहर जा रहे हैं। अपना यहीं काम करते। सरकार अमीर लोगों के लिए देता है। हम लोगों को सरकार से कोई फायदा नहीं है। वोट मांगने आते है, कहते हैं, कि वोट दे दो, वोट दे दो। गरीब आदमी की कोई नहीं सुनता। आम आदमी ऐसा है, कि बरसात हो जाए, तो खेती होगी। नहीं, तो उस पर निर्भर हैं। यहां पर कोई नहर नहीं है?