खबर लहरिया Blog लता मंगेशकर “भारत की नाइटिंगल” 1929 से 2022- पहले से आखिरी गीत तक का सफर

लता मंगेशकर “भारत की नाइटिंगल” 1929 से 2022- पहले से आखिरी गीत तक का सफर

जब लता मंगेशकर ने गाना शुरू किया तो उनका उद्देश्य अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाना था।

credit – Cinestaan

“तुम मुझे यूँ भुला ना पाओगे

हाँ तुम मुझे यूँ भुला ना पाओगे
जब कभी भी सुनोगे गीत मेरे
संग संग तुम भी गुनगुनाओगे
हाँ तुम मुझे यूँ भुला ना पाओगे
हो तुम मुझे यूँ …”

“पगला कहीं का”, 1970 फिल्म का यह गाना गायिका लता मंगेशकर ने गया था। एहसास होता है कि गाने के हर शब्द उन्हें चीख-चीख पर फिर पुकार रहे हैं। उन्होंने भी कह दिया कि, “हाँ तुम मुझे यूँ भुला ना पाओगे।”

credit – AmarUjala

जनवरी 6, 2022 आज का यह दिन हर एक दिल की धड़कन जब तक धड़केगी, वो याद रखेगी। भारत रत्न और सुर सम्राज्ञिनी कही जाने वाली, जिसकी आवाज़ ने सरहदों के पार जाकर लोगों के दिलों को छुआ। आज उस महान गायिका “लता मंगेशकर” की 92 वाल की उम्र में निधन हो गया। लता मंगेशकर के निधन पर दो दिन के राष्ट्रिय शोक की घोषणा की गयी है। सम्मान के तौर पर दो दिनों तक राष्ट्रिय ध्वज आधा झुका हुआ रहेगा।

जानकारी के अनुसार, मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में गायिका लता मंगेशकर ने अपनी आखिरी साँसे लीं। 8 जनवरी को रिपोर्ट में सामने आया था कि वह कोविड संक्रमित हैं। जांच के लिए उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। शनिवार, 5 जनवरी को उनकी हालत ज़्यादा बिगड़ गयी जिसके बाद उन्हें वेंटीलेटर सपोर्ट पर रखा गया। लता मंगेशकर का निमोनिया और कोविड-19 दोनों का इलाज चल रहा था। उम्र की वजह से लक्ष्ण हलके थे – परिवार ने कहा।

सूत्रों के मुताबिक शाम पांच बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुंबई के लिए रवाना होंगे। लाता मंगेशकर को अंतिम विदाई देने के लिए पीएम तकरीबन शाम 6 :30 बजे शिवाजी पार्क पहुंचेंगे।

‘भारत की नाइटिंगेल’ – लता मंगेशकर

भारत रत्न प्राप्त करते हुए (credit – BollywoodMDB)

लता मंगेशकर दुनिया भर में ‘भारत की नाइटिंगेल’ के नाम से मशहूर थी। तकरीबन 5 दशकों तक उन्होंने हिंदी सिनेमा में फीमेल प्लेबैक गायिका के रूप में राज किया। साल 1942 में सिर्फ 13 साल की उम्र में उन्होंने अपने गायिकी का सफ़र शुरू किया था। अपने जीवन काल के दौरान उन्होंने 36 भाषाओं में 30 हज़ार से अधिक गाने गाये हैं।

उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न व इसके अलावा पद्म भूषण, पद्म विभूषण और दादा साहेब फ़ाल्के पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।

बचपन से संगीत का रहा संग


लता मंगेशकर कलाकारों के परिवार से थीं। उनके पिता एक थिएटर कंपनी चलाते थे। संगीत और राग-धुन के परिवेश में बड़ी हुईं। जब लता मंगेशकर और आशा भोसले (बहनें) ने गाना शुरू किया तो उनका उद्देश्य अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाना था। स्टारडस्ट के साथ एक पुराने साक्षात्कार (इंटरव्यू) में, उन्होंने अपने व्यवसाय के दिनों को याद करते हुए कहा, “ऐसा हुआ कि एक बार मेरे पिता ने अपने शागिर्द (शिष्य) को कुछ काम खत्म करने के दौरान एक राग का अभ्यास करने के लिए कहा। मैं पास में खेल रही थी और अचानक उस राग का एक स्वर जो शागिर्द गा रहा था,मुझे झकझोर कर रख दिया और अगले ही मिनट, मैं उसे ठीक कर रही थी। जब मेरे पिता लौटें, तो उन्होंने अपनी ही बेटी में एक शागिर्द की खोज की।”

लता मंगेशकर का पहला गाना-रिकॉर्डिंग

लता मंगेशकर ने अपने करियर का पहला गाना “नाचू या गाड़े, खेलो सारी मणि हौस भारी” 1942 में एक मराठी फिल्म के लिए रिकॉर्ड किया था जिसका नाम ‘किटी हसाल’ था। लेकिन इस गाने को फिल्म के फाइनल कट से हटा दिया गया था।

लता मंगेशकर का आखिरी गाना

लता मंगेशकर ने अपना आखिरी गीत ‘सौगंध मुझे इस मिट्टी की’ रिकॉर्ड किया था जिसे मयूरेश पई ने भारतीय सेना और राष्ट्र को श्रद्धांजलि के रूप में संगीतबद्ध किया था। यह 30 मार्च, 2019 को ज़ारी किया गया था।

उनके जाने से दिलों में हलचल है और मरहम उनके गाने हैं। सुनते हैं उनके कुछ दुर्लभ गीतों की धुन जो अभी भी आपके दिलों का सफर तय कर रहे हैं।

– तू मेरी ज़िन्दगी में कुछ ( फिल्म- बॉम्बे टू गोआ )

 

– मनमोहम बड़े झूठे ( फिल्म – सीमा, 1955)

 

– अपने सैयां से नैना लड़ाइबे ( फिल्म – अर्धांगिनी – 1959)

 

– बैरन नींद न आये ( फिल्म – चाचा ज़िंदाबाद, 1959)

 

– महताब तेरा चेहरा ( फिल्म – आशिक़, 1962 )

– चोरी-चोरी जो तुमसे मिली ( फिल्म- पारसमणि, 1963 )

 

प्रधानमंत्री से लेकर कई चाहने वालों ने किया ट्ववीट

 

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