जनहित के लिए सरकार की बहुत सी योजनाएं चलाई जाती हैं लेकिन महिलाओं के रोजगार के लिए ये पहली योजना है जो महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए चलाई गई है। राज्य ग्रामीण रोजगार मिशन के तहत ग्रामीण महिलाओं को 10 से 12 लोगों का समूह बनाकर कर कोई काम शूरू करना होता है जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मज़बूत हो और वो आत्मनिर्भर स्वावलंबी बन सकें। लेकिन अगर इस योजना के अंतर्गत सरकारी कर्मचारी सही तरीके से, इसके उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए काम करते तो शायद महिलाएं आत्मनिर्भर भी बनती और औरों को भी बना पाती।
ये भी देखें – बेरोज़गारी-कर्ज़ की टेंशन से हैंडपंप मिस्त्री ने दी जान
ललितपुर के महरौनी ब्लॉक के गुन्दरापुर गांव में सुलभ शौचालय में काम कर रही महिलाओं का आरोप है कि वो दो साल से इस योजना के तहत काम कर रही हैं। रोज़ाना दो किलोमीटर पैदल चल कर रोज काम करने आती हैं लेकिन दो साल में सिर्फ तीन महीने का 9000 रूपए प्रति माह के हिसाब से 27 हजार आया था। और तब से अब तक कोई पैसा नहीं आया है। इन लोगों ने महरौनी में जाकर कई बार शिकायत भी की लेकिन अबतक कोई सुनवाई नहीं हुई है।
ये महिलाएं रोज पैदल जाकर शौचालय की साफ सफाई करती हैं। यहाँ पानी की सुविधा भी नहीं है तो दूर दराज़ लगे हैंडपंप से पानी भी लाना पड़ता है।
सर्फ, झाड़ू हार्पिक का खर्च भी इन महिलाओं को अपने पास से ही देना पड़ता है।
गांव के प्रधान रौशन का कहना है कि फिलहाल सचिव छुट्टी पर हैं, जैसे ही वो छुट्टी से वापस आती हैं, वो महिलाओं को पैसे देने के लिए आवेदन करवा देंगे।
ये भी देखें – 2023 में तकरीबन 21 करोड़ लोग हो सकते हैं बेरोज़गार, वैश्विक बेरोज़गारी दर में भी हो सकती है वृद्धि
‘यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’