भारत सरकार सवच्छ भारत अभियान के अंतर्गत कई सारी योजना शुरू करवाई गयी, जिसमें खुले में शौच मुक्त क्षेत्र यानि ‘ओडीएफ’ (खुले से शौच मुक्त) भी शामिल हैं, जिसके तहत भारत के सभी क्षेत्र को खुले में शौच से मुक्त करवाना और हर जगह को स्वच्छ एवं सुन्दर बनाना था।
इस मिशन को 2019 तक पूरा करने की बात कहीं गयी थी। अब 2022 आ गया है, कुछ गांव ओडीएफ भी हो चुके हैं, कई गांवों में तो ओडीएफ का बोर्ड भी लगा दिया गया हैं। सरकार द्वारा उन गांवों की लिस्ट भी जारी कर दी गयी हैं जोकि ओडीएफ हो चुके हैं लेकिन लोग आज भी शौच के लिए बाहर जाने को मजबूर हैं, ऐसा क्यों?
ये भी देखें – अयोध्या : सार्वजनिक शौचालय में गंदगी, खुले में शौच को मजबूर मरीज़ और लोग
जब खबर लहरिया ने ललितपुर के गांव मिर्चवारा के लोगों से बातचीत की तो कुछ और ही मामला सामने आया। लोगों का कहना था कि
उनके गांव में बोर्ड तो लग गया है लेकिन उनके घरों में तो शौचालय ही नहीं बने हैं।
ऐसे में उनके पास शौच के लिए बाहर जाने के अलावा और कोई विकल्प ही नहीं हैं। उन्होंने यह भी बताया कि सामुदायिक शौचालय हैं लेकिन उनकी हालत बहुत खराब है।
वहां के सचिव विनीत दुबे से फोन पर बातचीत में पता चला कि पूरे बुंदेलखंड को ही ओडिएफ करार कर दिया गया है और गाँव में दो सामुदायिक शौचालय भी बने हुए है। गाँव वाले उसका मुफ़्त में उपयोग कर सकते हैं ।
ये भी देखें – शौचालय होने के बाद भी ग्रामीण खुले में शौच क्यों जा रहे हैं ?
वहीं गाँव के प्रधान,मुकेश कुमार पटेल से भी फोन पर ही पता चला कि इस योजना के तहत एक परिवार पर एक ही शौचालय बनाने की अनुमति है। प्रत्येक शौचालय के लिए लगभग 12000 रूपए का बजट लागू किया गया है।
उन्होंने यह भी बताया कई बार परिवारों में बंटवारा हो जाता है जिसके कारण उनको शौच का इस्तेमाल करने से भी मना कर दिया जाता है। उन्होंने बताया कि पूर्व प्रधान ज्वाला प्रसाद पटेल के कार्यकाल में 292 शौचालय बनाये गए थे।
आगे कहा कि जिनके घर में अभी भी शौचालय नहीं बने हैं, उन्होंने अगले एक साल में उन घरों मे शौचालय बनवाने की गारंटी दी है। अब देखना यह है कि इस गारंटी पर वह कितने खरे उतरते हैं।
ये भी देखें – समोगर गांव में खुले में शौच जा रहे ग्रामीण
‘यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’