बांस का डलिया बनाना, आज भी ग्रामीण परिवारों का एकमात्र रोज़गार है। यह रोज़गार वह पीढ़ी दर पीढ़ी करते आ रहें हैं। ललितपुर जिले के क़स्बा महरौनी, इंदिरा चौराहे के वार्ड नंबर-2 में लगभग 50 घर बशंकर समुदाय के हैं। ये समुदाय बांस की डलिया बनाने का काम करता है और गांव-गांव जाकर व फेरी लगाकर अपने हाथों से बनाये डलिया बेचता है।
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अब आधुनिक युग में डलिया की जगह प्लास्टिक, सिल्वर और स्टील के बर्तनों ने ले ली है। इससे बांस का डलिया बनाने वाले लोगों का रोज़गार छिन गया है। अब उन्हें बांस भी जल्दी नहीं मिलती।
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