चित्रकूट के गाँव में लाखों का जिम तो बना लेकिन जंगल में और लोगों की पहुँच से दूर।
आज के ज़्यादातर युवा खुद को स्वस्थ रखने के लिए जिम जाते हैं। यह सिर्फ शहरों में ही नहीं बल्कि गाँवों में भी देखा जाता है। लेकिन अगर किसी सुविधा तक हमारी पहुँच ही न हो तो उसका क्या फ़ायदा ? जब हम उस सुविधा का लाभ ही नहीं उठा सकते।
जिला चित्रकूट ब्लॉक मऊ गांव बरहा कोटरा में भी ब्लॉक स्तर पर प्रशासन द्वारा जिम बनवाया गया है। जिसे बनवाने में लगभग चार लाख तक का बजट आया। लेकिन इतने पैसे खर्च करने के बाद भी लोग इसका इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं। वो इसलिए क्यूंकि जिम गाँव से तकरीबन पांच किलोमीटर की दूरी पर बना हुआ है। जिम को पार्क की तरह बनवाया गया है ताकि उसमें बच्चे भी खेल पाएं। लेकिन इतनी सुविधा होने के बाद भी जब लोग उस सुविधा का इस्तेमाल ही नहीं कर सकते तो सुविधा होने न होने का क्या ही मतलब बनता है।
यह है लोगों का कहना
गांव बरहा कोटरा के रहने वाले सोनू,मोनू, आकाश, पूरन व पवन आदि लोगों का कहना है कि जो जिम लगवाया गया है। वह गाँव से बहुत ही दूरी पर है। ऊपर से जिम को पहाड़ पर लगवाया गया है। वहां जंगल भी है। जंगल में जंगली जानवर का डर रहता है। इसलिए वहां कोई भी बच्चा या बड़ा भी नहीं जाता। अगर पास होता तो ठीक रहता।
गाँव के लोगों का कहना है कि कौन अपने बच्चे को दूर जंगल में भेजेगा। क्या फायदा, अगर कोई घटना हो गयी तो कौन ज़िम्मेदार होगा। बजट तो बस यूहीं बर्बाद हुआ है। लॉकडाउन के समय अगर यही पैसा गरीबों के लिए होता तो कुछ दिन के लिए राहत भी होती। लगभग पंद्रह दिन हो गए हैं। लेकिन कोई भी बच्चा उस तरफ नहीं गया। वह लोग किसानी, मज़दूरी करते हैं। उनके पास इतना समय नहीं कि वह बच्चों को रोज़ जिम लेकर जाएं। वह कहते हैं कि जिम करने से शरीर तंदरुस्त रहता है। बस यही फायदा होता है।
गाँव कोलमजरा के मनोज का कहना है कि जो जिम बच्चों के लिए बनवाया गया था। वह तो पंद्रह दिन में ही टूट गया। वह कहते हैं कि अगर जिम ज़्यादा दिन चलता तो गाँव का कुछ विकास होता। सरकार बस यूँही बजट खर्च कर रही है।
बीडीओ ने कहा,जगह नहीं थी इसलिए जंगल में जिम बना
खबर लहरिया ने इस बारे में मऊ ब्लॉक के बीडीओ हिमांशु पांडेय से बात की। उनका कहना है कि जिम जैसा पार्क मऊ ब्लॉक के आठ गाँवों में लगवाया गया है। गाँव के पास में जगह नहीं थी। इसी वजह से जिम पहाड़ पर लगवाया गया। जहां तक बात रही गाँव कोलमजरा के टूटे जिम की तो उसे भी सुधारा जाएगा। एक गाँव का बजट लगभग चार लाख रूपये है। वह कहते हैं कि जिम इसलिए बनवाया गया ताकि बड़े-छोटे बच्चे खेल सकें। इसी वजह से गाँवों में यह व्यवस्था की गयी है।
इस खबर को खबर लहरिया के लिए सुनीता देवी द्वारा रिपोर्ट किया गया है।
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