खबर लहरिया Blog मतदाताओं में जागरूकता की कमी, इसलिए एमएलसी चुनाव जीत लेती है सत्तारूढ़ पार्टी: प्रत्याशी

मतदाताओं में जागरूकता की कमी, इसलिए एमएलसी चुनाव जीत लेती है सत्तारूढ़ पार्टी: प्रत्याशी

बीजेपी को आज विधान परिषद के चुनाव मे 11 में से 3 सीटें मिली हैं। वहीं समाजवादी पार्टी को 1 सीट और स्वतंत्रत प्रत्याशियों को दोदो सीटें प्राप्त हुई हैं। बाकी की बची हुई 5 सीटों के परिणाम शनिवार, 5 दिसंबर तक आने की उम्मीद बतायी जा रही है। 

Lack of awareness among voters in MLC eection

उत्तर प्रदेश में विधान परिषद (एमएलसी) के खंड स्नातक और खंड शिक्षक क्षेत्र से ग्यारह सीटों के लिए चुनाव हुए हैं। इन 11 सीटों में पांच खंड स्नातक और छह खंड शिक्षक की सीटें हैं, जिन पर भाजपा, सपा और कांग्रेस ने प्रत्याशी उतारे हैंं। बड़ी संख्या में निर्दलीय भी मैदान में हैं। इन सीटों पर सदस्यों को कार्यकाल इस साल मई में ही पूरा हो गया था लेकिन कोरोना महामारी और लॉकडाउन के चलते चुनाव नहीं हो पाए और अब जाकर दिसंबर में चुनाव हो पाया। मतदान 1 दिसंबर को था और मतगणना 3 दिसंबर दिन गुरुवार से जारी है। कुछ सीटों के नतीजे घोषित हो चुके हैं, जबकि कुछ पर मतगणना चल रही है।

 झांसीप्रयागराज में हंगामा भी देखने को मिला है। यहां पर भाजपा और सपा कार्यकर्ता आमनेसामने हैं। मतगणना केन्द्र में भाजपाइयों को घुसने से रोकने पर पुलिस के साथ तीखी झड़प हुई। पुलिस बल ने भाजपाइयों पर लाठी चार्ज भी किया। कई सीटों से भाजपा जीत चुकी है और कई सीटों से आगे चल रही है। हालांकि माना जाता है कि यह चुनाव वही जीतता है जिस पार्टी की सत्ता होती है। इस दौरान हमने स्नातक क्षेत्र के कांग्रेस प्रत्याशी अजय सिंह का इंटरव्यू किया।

 एमएलसी चुनाव क्या है?

उत्तर प्रदेश देश का एक ऐसा राज्य है जहां विधानसभा के साथ विधान परिषद (एमएलसी) का भी महत्व है। इसे शिक्षक और स्नातक क्षेत्र का चुनाव भी कहा जाता है। हमारेे देश का संचालन दो सदनों पर निर्भर करता है। केंद्र में इन्हें लोकसभा और राज्यसभा के नाम तो राज्य में विधानसभा और विधान परिषद के नाम से जाना जाता है। हमारे देश में छह राज्य ऐसे हैं जहां विधान परिषद हैं। इन राज्यों में उत्तर प्रदेश (100 सीटें), महाराष्ट्र (78 सीटें), कर्नाटक (75 सीटें), बिहार (58 सीटें) और तेलंगाना (40 सीटें) शामिल है।      

आखिर क्यों होते हैं ये चुनाव?

जब संविधान की रचना हो रही थी तब हमारे देश के संविधान निर्माताओं ने सोचा कि भारत के निर्माण में शिक्षकों और स्नातकों की भूमिका होनी चाहिए। विधान परिषद की संरचना और उसका गठन करते समय संविधान निर्माताओं ने इस प्रावधान को शामिल किया था और उसी समय से ये चुनाव हो रहे हैं। शिक्षकों और स्नातकों के कोटे से चुने गए एमएलसी को भी विधायक जितनी ही शक्तियां हासिल होती हैं। 

कैसे होता है सदस्यों का चुनाव?

विधान परिषद में विधानसभा के एकतिहाई से ज्यादा सदस्य नहीं हो सकते हैं लेकिन इनकी संख्या 40 से कम भी नहीं होनी चाहिए। इसके एकतिहाई सदस्यों को विधायक मिलकर चुनते हैं। वहीं एकतिहाई सदस्यों को नगर निगम, जिला बोर्ड वगैरह के सदस्यों द्वारा चुना जाता है। 1/12 सदस्यों को शिक्षक और 1/12 सदस्यों को रजिस्टर्ड स्नातक चुनते हैं। बाकी सदस्यों को मनोनीत करने का राज्यपाल का विशेषाधिकार है। विधान परिषद के जिन सदस्यों को शिक्षक और स्नातक चुनते हैं, उन्हें चुनने की प्रक्रिया को शिक्षक और स्नातक क्षेत्र का चुनाव कहा जाता है। 

कौन चुनाव लड़ सकता ?

हाईस्कूल के शिक्षक, प्रधानाचार्य और कॉलेज के प्रोफेसर चुनाव लड़ सकते हैं। चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम उम्र सीमा 30 साल है। विधान परिषद के सदस्य का कार्यकाल छह साल के लिए होता है।

किसे है मतदान का अधिकार?

एमएलसी चुनाव में हाईस्कूल और उसके ऊपर पढ़ाने वाले शिक्षक ही वोट डाल सकते हैं। इसके अलावा मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों के शिक्षक को भी मतदान के अधिकार होते हैं। वो शिक्षक ही मतदान कर सकते हैं जिन्हें कम से कम तीन साल पढ़ाने का अनुभव हो। मतदाता बनने के लिए शिक्षक को एक फॉर्म भरना होता है। इस फॉर्म के साथ इस बात का सबूत देना होता है कि आप शिक्षक हैं। इसके बाद आपका नाम मतदाता सूची में आने के बाद आप मताधिकार का प्रयोग कर सकते हैं।

इसी प्रकार स्नातक निर्वाचन सीट के लिए स्नातक करने के तीन साल बाद ही मतदाता सूची में नाम जुड़वाने के लिए आवेदन किया जा सकता है। मतदाता बनने की बाकी सारी प्रक्रिया शिक्षक निर्वाचन की तरह ही होती है। स्नातक निर्वाचन एमएलएसी चुनाव में वही वोट दे सकता है, जो स्नातक हो। इस चुनाव में प्रत्याशी का भी स्नातक होना जरूरी है। 

शिक्षक और स्नातक क्षेत्र की कुल सीट

उत्तर प्रदेश में शिक्षक निर्वाचन की सीटें बरेलीमुरादाबाद, लखनऊ, गोरखपुरफैजाबाद, वाराणसी,इलाहाबादझांसी, कानपुर, आगरा, मेरठ हैं। इसी तरह से स्नातक निर्वाचन की आठ सीटें हैं। ये सीटे हैं लखनऊ, आगरा, मेरठ, वाराणसी, बरेलीमुरादाबाद, गोरखपुरफैजाबाद, इलाहाबादझांसी, कानपुर।

इस चुनाव के बारे में बाकी चुनावों जैसे चर्चा कम है। इस चुनाव के प्रति जागरूकता भी बहुत कम है जिसके चलते वोटिंग बहुत ही कम हो पाती है। अगर इस चुनाव की ही बात की जाए तो पचास प्रतिशत से भी कम वोटिंग हो पाई है जबकि इस चुनाव का बहुत बड़ा महत्व है क्योंकि यह शिक्षा के क्षेत्र और मुद्दों से जुड़ा हुआ है। हमने इस चुनाव के प्रत्याशी अजय सिंह (कांग्रेस) से इंटरव्यू किया। उन्होंने अपने इंटरव्यू के दौरान बताया कि सच में इस चुनाव के प्रति जागरूकता की बहुत बड़ी कमी है। अगर इसको शतप्रतिशत किया जाए तो शिक्षा के क्षेत्र में आने वाली कमियों को दूर किया जा सकता है।