खबर लहरिया Blog Uttar Pradesh Digital Media Policy, 2024: जानें क्या है यूपी डिजिटल मीडिया नीति, युट्यूबर्स को किस आधार पर दिए जाएंगे प्रति माह लाखों रूपये

Uttar Pradesh Digital Media Policy, 2024: जानें क्या है यूपी डिजिटल मीडिया नीति, युट्यूबर्स को किस आधार पर दिए जाएंगे प्रति माह लाखों रूपये

उत्तर प्रदेश डिजिटल मीडिया नीति, 2024 के तहत, ‘राष्ट्र-विरोधी’ यानी एंटी-नेशनल सामग्री पोस्ट करना एक गंभीर अपराध है जिसमें 3 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है। इसके अलावा ऑनलाइन पोस्ट की गई अश्लील और अपमानजनक सामग्री पोस्ट करने पर सरकार द्वारा आपराधिक मानहानि का आरोप लगाया जा सकता है।

Know about Uttar Pradesh Digital Media Policy, 2024

                              यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तस्वीर ( फोटो साभार – सोशल मीडिया)

उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने 27 फरवरी को राज्य सूचना विभाग द्वारा तैयार उत्तर प्रदेश डिजिटल मीडिया नीति, 2024 ( Uttar Pradesh Digital Media Policy, 2024) को मंज़ूरी दे दी है।

सूचना विभाग के प्रमुख सचिव संजय प्रसाद के अनुसार, यूपी सरकार ने निर्णय लिया है कि वह विज्ञापन देने के लिए एजेंसियों/फर्मों की एक सूची बनाएगी जो सरकार की योजनाओं और उपलब्धियों के बारे में सामग्री/ ट्वीट/ वीडियो/ पोस्ट/ रील बनाकर उसे एक्स, फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर प्रदर्शित करने का काम करेंगे।

उन्होंने आगे यह भी कहा कि इस नीति को मंज़ूरी मिलने से देश के अन्य हिस्सों और यहां तक ​​कि विदेशों में रहने वाले यूपी के निवासियों भी को रोजगार प्रदान करने में मदद मिलेगी।

ये भी पढ़ें – “लखपति दीदी” गांवो-कस्बों में स्थापित स्वयं सहायता समूहों में कहां हैं? | Lakhpati Didi

सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स को प्रति माह मिलेगी लाखों की रकम

मंगलवार को यूपी कैबिनेट की बैठक के तुरंत बाद मंत्री संजय निषाद ने कहा, ”आज सोशल मीडिया, इंस्टाग्राम के लिए नीति बनाई जा रही है… अब इन्हें रेगुलेट किया जाएगा और इन्हें विज्ञापन भी दिए जाएंगे। बहुत सारी नीतियां बनाई गई हैं।”

नीति में बताया गया है कि सरकार ने विज्ञापन के प्रबंधन के लिए ‘वी-फॉर्म’ (‘V-Form) नामक एक डिजिटल एजेंसी नियुक्त की है। वी-फॉर्म वीडियो, ट्वीट, पोस्ट और रीलों के प्रदर्शन पर निगरानी रखने का काम करेगा।

राज्य सूचना विभाग ने मंगलवार को ज़ारी एक बयान में बताया कि इन्फ्लुएंसर्स/एजेंसी/फर्म्स को उनके सब्स्क्राइबर/ उन्हें फॉलो करने वाले लोगों के नंबर के अनुसार चार वर्गों में बांटा गया है।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट बताती है, नई नीति के अनुसार, राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं और उपलब्धियों को बढ़ावा देने वाली सामग्री, वीडियो, ट्वीट, पोस्ट, वीडियो और रील बनाने के लिए इन्फ्लुएंसर्स को भुगतान किया जाएगा। इसमें कहा गया है कि एक्स, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर इन्फ्लुएंसर्स को अधिकतम 5 लाख, 4 लाख, 3 लाख व 2 लाख रूपये प्रति माह का भुगतान किया जाएगा।

वहीं यूट्यूब इन्फ्लुएंसर्स के लिए उनके द्वारा बनाये गए कंटेंट के आधार पर अलग-अलग भुगतान तय किया गया है। कंटेंट निर्माता जो यूट्यूब वीडियोज़ बनाते हैं वह प्रति माह 8 लाख रूपये तक भुगतान पाने के पात्र होंगे। इसके अलावा इन्फ्लुएंसर्स जो शार्ट फिल्म, पॉडकास्ट या अन्य तरह का कंटेंट बनाते हैं उन्हें 7 लाख,6 लाख व 4 लाख रुपयों तक का भुगतान किया जाएगा।

इन्फ्लुएंसर्स शब्द को लेकर मौजूदा परिभाषा के अनुसार, ये वे लोग होते हैं जिनके पास सोशल मीडिया या अन्य ऑनलाइन चैनलों पर काफ़ी ज़्यादा फ़ॉलोअर होते हैं। वह अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके लोगों को किसी खास क्षेत्र में अपनी राय बताते हैं। इसके साथ-साथ वह लोगों के विचारों व व्यवहार को प्रभावित करने का काम करते हैं।

एंटी-नेशनल कंटेंट डालने पर कारावास का प्रावधान

नई नीति के तहत, ‘राष्ट्र-विरोधी’ यानी एंटी-नेशनल सामग्री पोस्ट करना एक गंभीर अपराध है जिसमें 3 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है। इसके अलावा ऑनलाइन पोस्ट की गई अश्लील और अपमानजनक सामग्री पोस्ट करने पर सरकार द्वारा आपराधिक मानहानि का आरोप लगाया जा सकता है।

स्क्रॉल.इन की रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश में, कथित रूप से आपत्तिजनक सामग्री पोस्ट करने की सज़ा पहले सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66 (Section 66 of the Information Technology Act) द्वारा निर्धारित की गई थी। यह धारा गोपनीयता उल्लंघन और साइबर आतंकवाद से संबंधित है। इसके तहत अपराध करने वाले व्यक्ति को तीन साल तक की जेल और 5 लाख रुपये का जुर्माना हो सकता है।

कांग्रेस प्रवक्ता ने नीति को बताया तानाशाही

कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा (Congress spokesperson Pawan Khera) ने यूपी सरकार द्वारा लाई यूपी डिजिटल मीडिया नीति को अस्पष्ट और तानाशाहीपूर्ण बताया। उन्होंने इसकी तुलना ब्रॉडकास्ट बिल से की।

उन्होंने अपने X प्लेटफार्म पर पोस्ट करते हुए लिखा, “क्या भाजपा विरोधी या सरकार विरोधी टिप्पणी ‘देश विरोधी’ मानी जाएगी? ‘आपत्तिजनक टिप्पणी’ की क्या परिभाषा है? क्या अब डबल इंजन की सरकारें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गला घोंटने की तैयारी कर रही हैं? इंडिया गठबंधन के विरोध के कारण मोदी सरकार को वापस लेना पड़ा ब्रॉडकास्ट बिल, 2024. क्या अब चोर दरवाजे से तानाशाही लाई जा रही है?”

पीटीआई न्यूज़ एजेंसी से बात करते हुए, खेड़ा ने कहा, “सरकार के अनुसार क्या सही है और क्या गलत है, इसकी स्पष्ट परिभाषा के बिना वे एक नीति कैसे ला सकते हैं? सरकार के पास संदेशवाहक को गोली मारने का कोई काम नहीं है। ब्रॉडकास्ट बिल ने बिल्कुल यही करने की कोशिश की है।”

यूपी सरकार द्वारा डिजिटल मीडिया नीति को दी गई मंज़ूरी इस समय बहस का केंद्र बनी हुई है। विपक्ष इसे तानाशाह कह रहा है तो वहीं सरकार इसे रोज़गार के अवसर के रूप में बता अपनी छवि को बेहतर बनाने के लिए काम कर रही है।

 

‘यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’

If you want to support  our rural fearless feminist Journalism, subscribe to our  premium product KL Hatke