देश भर में मचे बवाल के बीच 11दिसम्बर को नागरिकता संशोधन बिल 2019 राज्यसभा में पारित हो गया। यह विधेयक लोकसभा में पहले ही पारित हो चुका था । राज्यसभा में विधेयक के पक्ष में 125 जबकि विपक्ष में 99 वोट पड़े। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को राज्यसभा में विधेयक को पेश किया, जिस पर करीब 6 घंटे की बहस के बाद अमित शाह ने सदन में विधेयक से संबंधित जवाब दिए।
क्या है नागरिकता संशोधन बिल?जो बिल संसद से पास हुआ है इसके तहत बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफगानिस्तान समेत आस-पास के देशों से भारत में आने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी धर्म वाले लोगों को नागरिकता दी जाएगी। इस बिल के कानून में तब्दील होने के बाद अफगानिस्तान, बांग्लादेश, पाकिस्तान जैसे देशों से जो गैर-मुस्लिम शरणार्थी भारत आएंगे, उन्हें यहां की नागरिकता मिलना आसान हो जाएगा। लेकिन अगर मुसलमान आयेगें तो उनको भारत में नागरिकता नहीं दी जायेगी जो गैर मुस्लिम उन्हें भारत में कम से कम 6 साल बिताने होंगे तब उनको भारत का नागरिक माना जायेगा। पहले नागरिकता देने का पैमाना 11 साल से अधिक था। अरे मैं पूछना चाहती हूं कि अगर इस मुद्दे पर कानून पहले से है, तो सरकार इसमें संशोधन क्यों करी है? ये एक बड़ा सवाल है और शायद यही वजह है कि लोग इसका विरोध कर रहे हैं।
नागरिकता संशोधन बिल में प्रदर्शन हुए तेज़
पहली बार 1955 में ये कानून बना था। और तब से 8 बार इसमें संशोधन किए जा चुके हैं। धर्म के आधार पर नागरिकता नहीं मिलनी चाहिए, ये समानता के अधिकार का उल्लंघन है। जब हमारे संविधान में सारे अधिकार दिए गये हैं तो फिर सरकार संविधान की ऐसी तैसी क्यों कर रही है संविधान में हमें रहने का अधिकार ,अपनी मर्जी से खाने पीने घूमने , मनोरंजन करने और अपने मन का साथी चुनने और धर्म निरपेक्ष का अधिकार हैं तो सरकार हरने का अधिकार क्यों छीन रही है मुसलमान क्या इंसान नहीं हैं आखिर सरकार मुसलमानों से इतना चिढ़ती क्यों हैं जिस चीज में जरूरत है बात करने की सरकार उसपर क्यो बात नहीं करती है सरकार को चाहिए की किसान के मुद्दों पर काम करें किसानों की खेती चौपट हो रही, अन्ना जानवर जो आये दिन भूख प्यास की वजह से गौशाला में मर रहे हैं।
शिक्षा व्यवस्था चौपट है हमारा यूथ जो बेरोजगार है दर- दर भटक रहा आखिर इस पर क्यों कुछ नहीं करती सरकार? प्याज की महंगाई से पूरा देश परेशान है उस पर क्यों चुप्पी साधे है सरकार? या फिर पश्चिम बंगाल जैसे कई राज्यों में चुनाव होने वाला है तो कहीं ये वोट बैंक की राजनीति तो नहीं?