गृहमंत्री अमित शाह ने आज संसद में बताया कि संविधान का अनुच्छेद 370 जिसके तहत जम्मू और कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त था, उसे राष्ट्रपति के आदेश पर तुरंत समाप्त कर दिया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि पिछले लगभग 70 वर्षों में यह पहली बार है जब जम्मू-कश्मीर के बारे में कोई बड़ा निर्णय लिया गया। आज सुबह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने आवास पर मंत्रीमंडल की बैठक ली, उसके बाद यह घोषणा की गई। अमित शाह ने जम्मू और कश्मीर को दो केन्द्र शासित प्रदेशों में बांटने संबंधी एक बिल सदन में रखा जो राज्यसभा में पारित हो गया। घोषणा के बाद केन्द्र ने किसी भी तरह के हालात से निपटने के लिए देश के विभिन्न हिस्सों से 8,000 अर्द्धसैनिक बलों के जवानों को जम्मू-कश्मीर के अलग-अलग हिस्सों में भेजा जो पिछले सप्ताह भेजे गए 35,000 अर्द्धसैनिक बलों के जवानों की संख्या में इजाफा हैं।
इस बड़ी ख़बर में ताज़ा घटनाक्रम के 10 मुख्य बिंदु:
अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर को उसका अपना संविधान बनाने, रक्षा संबंधी निर्णय लेने और संचार, यातायात के मार्गों के बारे में तथा विदेश नीतियों पर निर्णय लेने के अधिकार का हक़ देता है। इस अनुच्छेद को हटाने से वर्ष 1947 के भारत में जिसके तहत जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त था, वह समाप्त हो गया है।
अनुच्छेद 370 ने केंद्र के लिए आवश्यक कर दिया था कि वह राज्य में किसी भी प्रकार की संवैधानिक नीतियों को लागू करने से पहले राज्य की विधायीका की सहमती प्राप्त करे।
प्रस्तावित कानून जिसे राज्यसभा ने पारित कर दिया है परन्तु उसके लिए लोकसभा के अनुमोदन की आवश्यकता है, वह जम्मू-कश्मीर को एक राज्य बनने से रोकेगा। इससे यह दो केन्द्र शासित प्रदेशों में बंट जाएगा जिसके दो उपराज्यपाल होंगे। लद्दाख एक केंद्र शासित प्रदेश होगा जिसमें विधान मंडल नहीं होगा जबकि जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश में विधान मंडल होगा।
सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए कश्मीर घाटी में बहुत बड़ी संख्या में सैनिक तैनात कर दिए हैं और रात में ही पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला एवं महबूबा मुफ्ती को घर में नज़रबंद कर दिया है।
जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्सों में टेलीफोन लाईन और इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई। सभी शैक्षणिक संस्थान और दफ्तर बंद कर दिए गए हैं। लोगों को एक स्थान पर एकत्रित होने से रोक दिया गया है।
पिछले सप्ताह सरकार की ओर से अमरनाथ यात्रा बंद करने के बाद हजारों की संख्या में अर्द्धसैनिक बलों के जवानों को कश्मीर भेजा गया। वार्षिक यात्रा पर आए तीर्थयात्रियों, सैलानियों और राज्य के बाहर से आए लोगों से जम्मू-कश्मीर छोड़ कर जाने को कहा गया।
आज सुबह प्रधानमंत्री के आवास पर मंत्रीमंडल की बैठक हुई उसके बाद प्रधानमंत्री और अन्य सभी मंत्रीगण संसद के लिए रवाना हो गए जहां अमित शाह बड़ी घोषणा करने वाले थे।
अरूण जेटली ने एक ट्वीट में कहा: ‘आज एक एतिहासिक ग़लती को सुधारा गया है। भारतीय संविधान की अनुच्छेद 368 की प्रक्रिया पूरी किए बिना अनुच्छेद 35A पिछले दरवाज़े से जबरदस्ती आ घुसा था, उसे जाना पड़ा।’
संसद को इस मुद्दे पर शिवसेना से समर्थन मिला। विपक्षी नेता चंद्रबाबू नायडू, अरविंद केजरीवाल और मायावती ने भी समर्थन दिया। नितीश कुमार की पार्टी ने साथ देने के बावजूद इस मुद्दे पर विरोध किया था। वोट का बहिष्कार करके वे इस मुद्दे पर परोक्ष रूप से सहायक साबित हुए।
उमर अब्दुल्ला ने कहा: ‘भारत सरकार ने एकतरफा और हैरान कर देने वाले निर्णयों से जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के उस भरोसे को जो उन्होंने वर्ष 1947 में किया था, के साथ विश्वासघात किया है। इस निर्णय के दूरगामी और ख़तरनाक परिणाम होंगे। कल श्रीनगर में हुई सभी पार्टियों की बैठक के बाद यह धमकी दी गई कि राज्य की जनता के खिलाफ यह केंद्र सरकार का आक्रमण है।’
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