इसमें ब्रेन स्ट्रोक के मरीज़ों की संख्या इतनी बढ़ गई है कि मेडिसिन और न्यूरोलॉजी विभाग के आईसीयू पूरी तरह भर चुके हैं। हैलट एमरजेंसी (हैलट अस्पताल का इमरजेंसी वार्ड) में आने वाले लगभग 50 प्रतिशत मरीज विभिन्न नर्सिंग होम से रेफर होकर पहुंच रहे हैं।
हाल ही में अमर उजाला के एक खबर से पता चला है कि कानपुर में मौसम के लगातार उतार-चढ़ाव और बढ़ती ठंड का सीधा असर स्वास्थ्य पर दिख रहा है। इसमें ब्रेन स्ट्रोक के मरीज़ों की संख्या इतनी बढ़ गई है कि मेडिसिन और न्यूरोलॉजी विभाग के आईसीयू पूरी तरह भर चुके हैं। स्थिति यह है कि ICU बेड की कमी के कारण मरीज़ों के परिजन जनप्रतिनिधियों (जनता के चुने हुए नेता, जैसे सांसद, विधायक, मेयर, पार्षद आदि।) से सिफारिश तक करवाने को मजबूर हैं। हैलट एमरजेंसी (हैलट अस्पताल का इमरजेंसी वार्ड) में आने वाले लगभग 50 प्रतिशत मरीज विभिन्न नर्सिंग होम से रेफर होकर पहुंच रहे हैं। बता दें नर्सिंग होम अक्सर ब्रेन स्ट्रोक के मरीज़ों को पांच-छह दिन रखने के बाद हैलट भेज देते हैं। सितंबर और अक्टूबर में जहां रोजाना औसतन चार-पांच स्ट्रोक मरीज आते थे। वहीं ठंड के साथ यह संख्या बढ़कर आठ से दस तक पहुंच गई है।
डॉक्टरों के अनुसार मस्तिष्क की नस फटने यानी हेमरेजिक स्ट्रोक के मरीजों की संख्या साफ तौर पर बढ़ गई है। न्यूरो साइंसेज़ विभाग के प्रमुख प्रोफेसर मनीष सिंह के मुताबिक विभाग के आईसीयू में लगभग 80 प्रतिशत बेड ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों से भरे हुए हैं जबकि बाकी बेड पर ब्रेन इंजरी के रोगी भर्ती हैं। इसी तरह मेडिसिन आईसीयू में भी स्ट्रोक के मरीजों को लगातार भर्ती किया जा रहा है। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. बी.पी. प्रियदर्शी ने बताया कि ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों की संख्या बढ़ रही है और कई मामलों में स्ट्रोक के साथ हेमरेज भी देखने को मिल रहा है।
सर्दी ने बढ़ाई हार्ट अटैक की रफ़्तार
एलपीएस कार्डियोलॉजी इंस्टीट्यूट के कार्डियोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर उमेश्वर पांडेय ने बताया है कि ठंड बढ़ने के साथ हाई बीपी के कारण न केवल ब्रेन स्ट्रोक बल्कि हार्ट अटैक के मामलों में भी वृद्धि देखी जा रही है। उन्होंने बताया कि हार्ट अटैक के लक्षणों के साथ इमरजेंसी में आने वाले मरीजों की संख्या लगभग 20 प्रतिशत बढ़ गई है। अक्सर देखा जाता है कि ठंड के मौसम में कई मरीज अपनी बीपी की दवाओं की खुराक समय पर समायोजित नहीं कराते जिससे जोखिम और बढ़ जाता है।
अमर उजाला की खबर अनुसार ही हाई बीपी का असर गुर्दे के मरीजों पर भी गंभीर रूप से पड़ रहा है। नेफ्रोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. युवराज गुलाटी के ने बताया है कि हैलट इमरजेंसी में रोज़ाना करीब तीन से चार मरीज गुर्दे के फेल होने की स्थिति में पहुंच रहे हैं। इनमें ज्यादातर मरीज पहले से क्रोनिक किडनी डिज़ीज़ से पीड़ित होते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि लगातार हाई बीपी रहने से गुर्दे की कार्यक्षमता प्रभावित होती है। इसलिए मरीजों के लिए जरूरी है कि वे ब्लड प्रेशर और डायबिटीज को नियमित रूप से नियंत्रित रखें ताकि स्थिति बिगड़ने से बचा जा सके।
इसका बचाव कैसे करें –
– ब्लड प्रेशर की नियमित जांच कराते रहें ताकि समय रहते स्थिति का पता चल सके।
– ठंड बढ़ने पर डॉक्टर से दवा की मात्रा दोबारा जांच करवा लें क्योंकि मौसम बदलने पर खुराक में बदलाव जरूरी हो सकता है।
– अगर दवा लेने के बाद भी बीपी नियंत्रित न हो तो तुरंत विशेषज्ञ डॉक्टर से सलाह लें। रोज़ाना हल्का व्यायाम या चलना बहुत फायदेमंद होता है।
– बहुत ज्यादा ठंड या धुंध होने पर सुबह-सुबह बाहर टहलने से बचें।
– कोहरा ज्यादा हो तो घर के अंदर योग और प्राणायाम कर सकते हैं।
– जंक-फूड, तला-भुना और भारी भोजन से दूरी बनाकर रखें क्योंकि ये बीपी और स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर डालते हैं।
ब्रेन स्ट्रोक के शुरुआती लक्षण
– अचानक शरीर के किसी एक हिस्से (चेहरा, हाथ या पैर) में कमजोरी या सुन्नपन
– बोलने में परेशानी या शब्द बिगड़ जाना
– किसी की बात समझने में दिक्कत
– एक या दोनों आँखों से अचानक धुंधला दिखना
– तेज़ चक्कर आना, संतुलन बिगड़ना या चलने में दिक्कत
– अचानक बहुत तेज़ सिरदर्द (कई बार असहनीय)
हार्ट अटैक के लक्षण
– सीने में दर्द या भारीपन (छाती दबने जैसा महसूस होना)
– दर्द का बायें हाथ, पीठ, गर्दन या जबड़े तक फैलना
– तेज़ पसीना आना
– सांस लेने में तकलीफ़
– उलझन, बेचैनी या घबराहट
– अचानक कमजोरी या चक्कर महसूस होना
– उल्टी जैसा महसूस होना
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