ग्राम चांदपुर की रहने वाली प्रियंका बौद्ध को बचपन से ही गाना गाने के शौक था। काम करते समय वह फ़िल्मी गानो को गुनगुनाया करती थी। एक दिन उनके गावं में 14 अप्रैल को जयंती थी। प्रियंका ने अपने गाने की शुरुआत एक छोटे से मंच से की। उनके पास उस समय स्मार्ट फ़ोन नहीं था। गावं के लोग तरह-तरह की बात करते थे लेकिन प्रियंका ने उन सभी की बातों को अनदेखा कर आगे बढ़ रहीं।
ये भी देखें – पन्ना : सावन में पत्तों वाली मेहंदी का निखार कुछ और ही
प्रियंका को अपने महापुरषों के ऊपर गाना पसंद है क्योंकि वो अपने दलित समाज को इन गानों के ज़रिये, अपनी बातों को समझाना चाहती है। आज प्रियंका बड़े-बड़े मंच पर जाती हैं और उन्होंने अपने संगीत की कला से अलग-अलग राज्यों में अपनी पहचान बनाई हुई है। लोग उनके गानों को सुनना पसंद करते हैं। गावं के लोग भी अब प्रियंका को बहुत सम्म्मान दे रहे हैं। उनका कहना है कि उनकी सफलता के पीछे उनकी मम्मी का काफ़ी सपोर्ट रहा है।
ये भी देखें – छत्तीसगढ़ के लुप्त होते बांस गीत का इतिहास
‘यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’