उत्तर प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा शहर कानपुर गंदगी के मामले में पहले नंबर पर है| यह सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक गतिविधियों को समेटे आज भी धुंआ-धुल,ध्वनी और प्रदुषित गैस के भंवर में फंसकर कराह रहा है| इस शहर के गोबिंद पुरी और दादा नगर जैसे कुछ मोहल्लो में प्रदुषण की कालिख दिन पे दिन गहराती जा रही है और गंगा जैसी पुजनिए नदी के बिठूर घाट पर नालियां लगी हुई हैं और उनका गंदा पानी नदी को मैला कर रहा है|
गोबिंद पुरी में रेलवे पटरी के किनारे जुग्गी-झोपडियों में रहने वाले मजदूरों का नजारा तो देखा ही नहीं जाता पर वह लोग तो उस बजबजाते किचड में झोपडियों के नीच रहते बनाते खाते हैं| इस बारे में जब उन लोगों से बात की गई तो उनका मजदूरों का कहना था कि गोबिंदपुरी कानपुर शहर का एक बहुत बड़ा ऐरिया है,यहाँ लाखों कि संख्या में लोगों की आबादी है पर गन्दगी का समना ज्यादा तार उन गरीब लोगों को ही करना पडता हैं क्योंकि वह रिक्शा चलाने और मजदूरी करने वाले गरीब लोग हैं उनके पास इतना पैसा नहीं है कि किराया का कमरा ले कर रहे सकें| दिन भर मजदूरी करते हैं तब शाम को दो वक्त की रोटी जुटा पाते हैं और इस लिए गन्दगी भरा जीवन 20 साल से जी रहे है| लेकिन जब से नया पुल बना तीन साल से बहुत ही दिक्कत है गंदगी के कारण खांसी बुखार और टीवी जैसी बड़ी बीमारियो का शिकार हो रहे हैं| क्योंकि जितना भी शहर का गंदा पानी है इसी मोहल्ले से होकर जाता है| लेकिन सफाई नहीं होती जिससे नाला पुरी तरह जाम है और पानी का भराव बना रहता है| साथ ही उन लोगों के लिए कोई सुविधाएं भी नहीं हैं| इस कारण खुले में शौच से और भी गन्दगी है|
फजलगंज ऐरिए के पेशे से डाक्टर बताते है कि कानपुर गन्दा शहर है ही पर इस मोहल्ले फेक्ट्री का कोई खाश प्रभाव नहीं है क्योंकि जो भी फैक्ट्री हैं वह ज्यादा तर दादा नगर में हैं पर यहां साफ सफाई का कोई ध्यान नहीं दिया जाता, रोडे़ भी जरूर हैं और गाडी वाहन लाखों की तादत में चल रहे हैं| जिससे वायू और ध्वनी प्रदुषण का काफी प्रकोप बढा है पर प्रदुषण नियंत्रण विभाग इसपर ठीक से काम ही नहीं कर रहा| जिससे कई तरह कि संक्रमण बीमारी फैल रही हैं तो वहीं स्टील फैक्ट्री के पास साइकिल बनाने वाले का कहना है कि वह तो यहाँ तीस साल से बैठकर साइकिल बनाने का काम करते है और स्वास के मरीज है क्योंकि धुल इनफेक्स बहुत ज्यादा है और बगल में लगे नाले से फैक्ट्री का का केमिकल बहता है जो बहुत ही हानिकारक है पर गरीबों की कौन सुनता है|जलवायु प्रदूषण का एक बहुत बड़ा कारण बनी पॉलीथिन
कुछ लोगों का कहना है कि कानपुर एक समय औधोगिक क्षेत्र मना जाता था पर अब नहीं क्योंकि जो भी बड़ी फैक्ट्री हैं वह बंद हो चुकी हैं और जो फैक्ट्री चल रही हैं वह दादा नगर ऐरिया में हैं जैसे चमडा फैक्ट्री,पारले फैक्ट्री सहिता कई छोटी-छोटी फैक्ट्री चल रही हैं| जिनका गन्दा और केमिकल भरा पानी बडे नाले में लगा है और उस नाले के किनारे रहने वाले लोगों को उन खतरनाक केमिकल का समना करना पडता है|
प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अलिकारी कुलदीप मिश्र का कहना है कि कानपुर पहले तो बहुत ही प्रदुषित शहर था लेकिन 2014 के बाद इसपर बहुत काम हुआ है| जिससे अब प्रदुषण में काफी कमी आई है| इस काम के लिए पांच टीमए बनी हैं जो पुरे हप्ते प्रदुषण पर अलग-अलग मोहल्लो और विठूर घाट पर काम करती है,लेकिन सबसे ज्यादा जो प्रदुषण है वह गाडियों की धुल और ध्वनी प्रदुषण है|