खबर लहरिया Blog दिल्ली में हर पल बढ़ते प्रदूषण से साँस लेना हो रहा मुश्किल

दिल्ली में हर पल बढ़ते प्रदूषण से साँस लेना हो रहा मुश्किल

Delhi Air Pollution

आज प्रदूषण के कारण शहरों की हवा इतनी दूषित हो गई है कि मनुष्य के लिए साँस लेना मुश्किल हो गया है गाड़ियों और कारखानों से निकलने वाला धुआँ हवा में जहर घोल रहा है इससे तेजी से वायु प्रदूषण बढ़ रहा है देश की राजधानी दिल्ली में तो प्रदूषण ने खतरे का निशान पार कर लिया है कारखानों से निकलने वाला कचरा नदियों और नालों में बहा दिया जाता हैइससे होनेवाले जल प्रदूषण के कारण लोगों के लिए अब पीने लायक पानी मिलना मुश्किल हो गया है खेत में खाद के रूप में प्रयोग होने वाले रासायनिक खादों ने खेत को बंजर बनाना शुरू कर दिया है इससे भूमि प्रदूषण की समस्या भी गंभीर हो गयी है इस तरह प्रदूषण तो बढ़ रहा है किंतु प्रदूषण दूर करने के लिए जिन वनों की जरुरत है वो दिन-ब-दिन कम हो रहे हैंमुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रदूषण को देखते हुए दिल्ली के सभी स्कूल 5 नवंबर तक बंद रखने के आदेश दिए हैं।

 

दिल्ली का  प्रदूषण इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। पूरे दिन धुंध और धूआ आसमान में छाया रहता है। जिससे कहीं अत्यधिक गर्मी सहन करनी पड़ रही है तो कहीं अत्यधिक ठंड। इतना ही नहीं, लोगों को विभिन्न प्रकार की बीमारियों का भी सामना करना पड़ रहा है। बढ़ता प्रदूषण वर्तमान समय की एक सबसे बड़ी समस्या है, जो आधुनिक और तकनीकी रूप से उन्नत समाज में तेजी से बढ़ रहा है। इस समस्या से पूरा देश अवगत तथा चिंतित है। 

ऐसा माना जाता है कि दीपावली पर जलाये जा रहे पटाखों की वजह से ही इतना प्रदूषण फैला है लेकिन दीपावली को एक हप्ते बीत चुके हैं लेकिन अभी तक दिल्ली एनसीआर की हवा ठीक होने का नाम नहीं ले रही है दिन ब दिन स्मॉग बढ़ता ही जा रहा है

क्या है पैमाना?

एक्यूआई (वास्तविक समय वायु गुणवत्ता सूचकांक) जब 0-50 होता है तो इसे ‘‘अच्छी’’ श्रेणी का माना जाता है. 51-100 को ‘‘संतोषजनक’’, 101-200 को ‘‘मध्यम’’, 201-300 को ‘‘खराब’’, 301-400 को ‘‘अत्यंत खराब’’, 401-500 को ‘‘गंभीर’’ और 500 से ऊपर एक्यूआई को ‘‘बेहद गंभीर और आपात’’ श्रेणी का माना जाता है

 

इस आधार पर देखा जाय तो दिल्ली के हवा की क्वालिटी इतनी ख़राब हो गई है कि बीते दिन का आंकड़ा दिन में 3 बजे के करीब 500 था जबकि रात में करीब 10 बजे का आंकड़ा भी 500 के लेवल पर ही रिकार्ड किया गया 


लोगों का ये भी मानना है कि धान काटने के बाद खेतों में पराली का जलाना भी बढ़ते प्रदूषण का एक बड़ा कारण है लेकिन IIT कानपुर की शोध में पता चला है कि पराली का जलाना दिल्ली के प्रदूषण में 25% से ज्यादा हिस्सेदारी नहीं रखता है। प्रदूषण के लिए 75% स्थाई कारक जिम्मेदार हैं।

1600 विश्व शहरों के विश्व स्वास्थ्य संगठन के सर्वेक्षण के अनुसार, भारत की राजधानी दिल्ली में हवा की गुणवत्ता दुनिया भर के बड़े शहरों से सबसे खराब है। भारत में वायु बढ़ते प्रदूषण का अनुमान है कि हर साल 1.5 मिलियन लोग मारे जाते हैं। वायु प्रदुषण भारत में मृत्यु का पांचवा सबसे बड़ा कारण है। केंद्र द्वारा संचालित सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च ने संवेदनशील श्रेणी के लोगों को सुबह की सैर और किसी भी अन्य बाहरी गतिविधियों से बचने की सलाह दी। शहर में सांस के रोगियों के लिए समस्याओं और वयस्कों में खांसी और आंखों में संक्रमण की भी संभावना है।

 

बढ़ते प्रदूषण पर चिंता व्यक्त करते हुए बाँदा जिले के आरटीआई कार्यकर्ता आशीष सागर ने अपने शब्दों को कविता के रूप में कुछ इस तरह लिखे हैं –

ये जो सत्ताधीशों ने आबो-हवा खराब कर रखी है, बनाकर गमजदा हर सांस जहरीली शराब कर रखी है….दफन होगी ज़मीन तो खाली मेरा मकान नहीं होगा, उजड़ जाएंगी बस्तियां सिर्फ मेरे सिर ही आसमान नहीं होगा। वक्त रहते सुधर जाओ तो अच्छा है, फिंजा बदलेगी इस कदर कि बचना आसान नहीं होगा।, यूँ तो शैतानों को मिटाना मुमकिन गर अमन रहे, आसपास की सरहदों में चमन रहे….ऐसा रहा तो सब होंगे आदमखोर सागर, वजूद होगा हरामखोरों का….दोजख बनेगा जमाना इंसान नहीं होगा। @ आशीष सागर। #पीटीबी