लगभग पूरे दो दिन की अनिश्चितता के बाद, कांग्रेस पार्टी ने अब विचार-विमर्श के दौर को ख़तम कर, कमल नाथ को राज्य के नए मुख्यमंत्री के रूप में चुना है। एएनआई के एक ट्वीट के ज़रिये ये पता लगा है कि इस बार मध्यप्रदेश में कोई उपमुख्यमंत्री नहीं होगा।
देर रात भोपाल में, कांग्रेस विधायकों की एक बैठक में 72 वर्षीय कमलनाथ को पार्टी द्वारा मुख्यमंत्री घोषित किया गया है। प्रतिद्वंद्वी दावेदार ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बैठक में इस पद के लिए अपना नाम भी दोहराया था। कमलनाथ, सरकार के गठन के लिए औपचारिक रूप से शुक्रवार को गवर्नर आनंदबीन पटेल से भी मुलाकात करेंगे।
कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी संग, दिल्ली में की गई कई बैठकों और अन्य फ्रंट धावक ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ विचार विमर्श कर कमल नाथ को मुख्यमंत्री के पद के लिए चुना गया है। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पार्टी के पर्यवेक्षक ए.के एंटनी के साथ भी चर्चा की गई, जिन्होंने नव निर्वाचित सदस्यों से इस पद के लिए उनकी राय मांगी थी।
अपने संगठनात्मक कौशल के लिए पहचाने जाने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री नाथ को इस पद के लिए, 47 वर्षीय सिंधिया से एक कठिन चुनौती का सामना करना पड़ा, जो एक पूर्व जूनियर मंत्री के साथ-साथ गुना से संसद सदस्य भी हैं।
उनके संभावित चयन के समाचार ने अकाली दल के बीच काफी नाराज़गी जताई है, जिन्होंने उन पर 1985 के सिख दंगों में एक अहम भूमिका निभाने का आरोप लगाया है।
कमलनाथ छिंदवाड़ा के लिए नौ बार लोकसभा सांसद रह चुके हैं। उन्होंने 1991 से, केंद्रीय मंत्री के रूप में विभिन्न पदों के दौरान पर्यावरण, सड़क परिवहन, शहरी विकास और संसदीय मामलों जैसे कई विकास से जुड़े पहलुओं को संभाला है।
‘एक राज्य गया, अब दो बचे’। ये सन्देश कांग्रेस पार्टी द्वारा गुरुवार मध्यरात्रि को दिया गया था। हालाँकि पार्टी, मुख्यमंत्री पद के लिए युवा या पुराने (वृद्ध) मंत्री की फैसले के बीच जूझती भी पाई गई थी।
लेकिन पार्टी द्वारा जयपुर व रायपुर में कांग्रेस सरकार के नेतृत्व के लिए अब तक किसी भी अधिकारी को चुने का कोई फैसला नहीं लिया गया है।
लगभग 11 बजे, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी दिन में दूसरी बार बातचीत करते हुए पाए गये – जिसमे राजस्थान के लिए अनुभवी अशोक गेहलोत और राज्य इकाई अध्यक्ष सचिन पायलट के बीच किस को चुना जाना चाहिए पर चर्चा की गई थी। दोनों मुख्यमंत्री के पद के लिए इच्छुक पाए गये हैं। लेकिन राजस्थान और छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री पद की तस्वीर अभी भी कुछ साफ़ दिखाई नहीं पड़ रही है।