ककोलत जलप्रपात को लेकर मशहूर लोक कथाओं के अनुसार, त्रेता युग के राजा को एक ऋषि ने अजगर बनकर यहीं रहने का श्राप दिया था और पांडवों की दृष्टि के बाद राजा को इस श्राप से छुटकारा मिला था। तभी से माना जाता है कि जो भी इस झरने में नहाएगा वो पुर्नजन्म में कभी भी सांप का रूप लेकर नहीं आएगा। इस झरने के बारे में यह भी कहा जाता है कि कृष्ण अपनी रानियों के साथ यहां स्नान करते थे।
बिहार राज्य अपनी संस्कृति, भाषा, हस्तकला, पेंटिंग, इतिहास और पर्यटन के लिए काफी प्रसिद्ध है। बिहार आपको हर तरह के अनुभव से अवगत कराता है। लोग यहां देश-विदेश से घूमने आते हैं। ऐसे तो देश में अनगिनत झरने हैं लेकिन आज आपको एक खास झरने के बारे में बताएंगे जोकि बिहार में स्थित है। बिहार के नवादा जिले का ककोलत जलप्रपात (झरना) जो जंगलों और पहाड़ के बीच में है। जिसकी ऊंचाई 160 फूट है और यह झरना साल के 12 महीने रहता है। इसकी खास बात यह है कि इसका पानी हमेशा बहुत ठंडा रहता है।
आपको बता दें इसकी खूबसूरती को और निखारने के लिए, लोगों की सुविधा को और बेहतर करने के लिए, लोगों की सुरक्षा के बेहतर इंतजाम करने के लिए ककोलत झरने को 2 साल के लिए बंद किया गया था। हाल ही में इस झरने को 3 अगस्त 2024 में फिर से लोगों के लिए खोल दिया गया है। अब यह झरना एक नए रूप में लोगों के सामने आया है। अब जब आप इस बार ककोलत घूमने आएंगे तो इसकी खूबसूरती में निखार को देख पाएंगे।
ककोलत जलप्रपात से जुड़ा इतिहास
इस जलप्रपात में लोक कथाओं के अनुसार, त्रेता युग के राजा को एक ऋषि ने अजगर बनकर यहीं रहने का श्राप दिया था और पांडवों की दृष्टि के बाद राजा को इस श्राप से छुटकारा मिला था। तभी से माना जाता है कि जो भी इस झरने में नहाएगा वो पुर्नजन्म में कभी भी सांप का रूप लेकर नहीं आएगा। इस झरने के बारे में यह भी कहा जाता है कि कृष्ण अपनी रानियों के साथ यहां स्नान करते थे।
चलिए यदि आप बिहार में हैं या बिहार घूमने की सोच रहे हैं तो हम आपको ककोलत से जुड़ी जानकारी बताते हैं।
ककोलत झरने की खूबसूरती
ककोलत में मुख्यद्वार से ही आपको इसकी खूबसूरती की शुरुआत दिखने लगेगी। यहां लोगों के लिए बड़ी ही सुन्दर कला कृतियां और मनोरम चीजें दिखाई देंगे जैसे I am at Kakloat, I love Kakolat जिसे देख कर आप अच्छा महसूस करेंगे। इसकी खूबसूरती को आप कैमरे और आँखों में कैद कर सकते हैं। शुरुआत से ही आपको मुख्य झरने तक पहुंचने के रास्ते में ही झरना (पानी बहता हुआ) दिखाई देता है। यहां पर 150 सीढ़ियां चढ़ने के बाद मुख्य ककोलत जलप्रपात मिलेगा। यहां हर साल पांच दिवसीय ‘सतुआनी मेला’ पर लोगों की ज्यादा भीड़ दिखाई देते है।
पर्यटकों के लिए सुविधा
- चेंजिंग रूम – चेंजिंग रूम में आप अपने कपड़ों को बदल सकते हैं और झरने के पानी में खूब भीग सकते हैं। इस रूम में महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग-अलग कमरे बनाए गए हैं।
- खानपान के लिए यहां आप खरीद कर अपनी पसंद का खाना खा सकते हैं।
- शौचालय
- बच्चों के लिए चिल्ड्रन पार्क
सुरक्षा के इंतजाम
पर्यटकों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इंतजाम किए गए हैं जैसे- झरने के नीचे जो कुंड है उसमें अधिक पानी भर जाने के बाद पानी निकासी की सुविधा है ताकि कोई हादसा न हो। झरने तक पहुंचने के लिए रेलिंग के किनारे रस्सियों से घेरा गया है। यदि कोई दुर्घटना होती है उससे बचने के लिए रस्सियां भी लटकाई गई हैं। सीढ़ियों के किनारे पहाड़ को रोकने के लिए लोहे की जालियां भी लगाई गई हैं।
उम्मीद है आपको इसे पढ़ते हुए लग रहा होगा कि एक बार ककोलत जरूर से घूमना चाहिए। वहां के ठन्डे पानी से अपनी चिंता, दुःख, पीड़ा को धोना चाहिए। यहां की यही तो खासियत है कि पहाड़ से गिरने वाला पानी बर्फ जैसा ठंडा होता है और हमेशा ठंडा ही रहता है। यह झरना हमेशा चालू रहता है इसका पानी नहीं सूखता है आप जब भी इसे देखने जायेंगे तो इसके पानी को हमेशा बहता हुआ पाएंगे। बारिश के मौसम में इस पानी का बहाव तेज होता है लेकिन घबराने की बात नहीं है यहां आपकी सुरक्षा के इंतजाम किए गए हैं।
ककोलत झरने तक कैसे पहुंचे?
यदि आप ट्रेन से यहां आना चाहते हैं तो नवादा, लखीसराय और गया रेलवे स्टेशन से सीधी ट्रेन जाती है।
यदि आप सड़क से होकर यहां पहुंचना चाहते हैं तो नवादा सड़क के रास्ते से पटना, गया, कोलकाता से जुड़ा हुआ है। ककोलत झरना (जलप्रपात) नवादा बस स्टैंड से लगभग 43 किलोमीटर की दूरी पर है। यह फतेहपुर मोड़, अकबरपुर ब्लॉक से एनएच 31 पर स्थित है।
हवाईयात्रा से जाना हो तो नवादा से सबसे नज़दीकी हवाई अड्डा गया और पटना है। गया से अलग-अलग शहरों से और पटना से कोलकाता, दिल्ली, रांची, मुंबई, वाराणसी, लखनऊ और काठमांडू के लिए नियमित (फ्लाइट) उड़ानों की सुविधा है।
टिकट की सुविधा
यहां पर्यटकों के लिए टिकट का दाम 10 रुपए है जोकि बहुत ही सस्ता है। इतने कम दामों में आपको अपने जीवन में प्रकृति की खूबसूरती को इतने नज़दीक से देखने का अवसर मिलेगा। लोगों को टिकट लेने के लिए मुख्यद्वार पर 10 टिकट काउंटर बनाए गए हैं। टिकट की कीमत शनिवार और रविवार को 20 रुपए है।
वाहन पार्किंग की सुविधा
ककलोत जलप्रपात के मुख्यद्वार के पास ही वाहन पार्किंग की सुविधा है। दो पहिया वाहनों के लिए 20 रुपए, तिपहिया के लिए 30 और भारी वाहनों के लिए 50 रुपए है।
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