खबर लहरिया Blog झांसी: आत्महत्या व हिंसा के बीच आरोपी कौन?

झांसी: आत्महत्या व हिंसा के बीच आरोपी कौन?

मृतक की पत्नी ने कहा, वह शराब नहीं छोड़ रहे थे इसलिए मैं नहीं जा रही थी। शराब छोड़ देते तो मैं रहती उसके साथ। मेरी लड़ाई नहीं थी। शराब ही मेरी लड़ाई थी। अब वो मेरे ऊपर आरोप लगा रहे हैं।’

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                                                                                                              मृतक के परिवार की फोटो

झांसी में 22 साल के युवक द्वारा आत्महत्या करने का मामला सामने आया है। परिवार आत्महत्या के लिए मृतक राहुल अहिरवार की पत्नी को दोषी ठहरा रहा है। परिवार का आरोप है कि मृतक की पत्नी उसके साथ नहीं रहती थी व मानसिक प्रताड़ना की वजह से उसने आत्महत्या की है। मृतक मानसिक रूप से बीमार था या नहीं, इसे लेकर स्पष्टता नहीं है, लेकिन मृतक की पत्नी से जोड़ते हुए मानसिक अस्वस्थता की बात परिवार द्वारा कही जा रही है। वहीं पत्नी ने ससुराल वालों पर हिंसा का आरोप लगाया और कहा है कि उन पर लगाए जा रहे सारे आरोप झूठे हैं। मामला 20 नवंबर, झांसी के बबीना थाना क्षेत्र के खैराल गांव का है।

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यह है मामला

मृतक की माँ शारदा के अनुसार, 18 नवंबर को राहुल अपनी पत्नी को लेने पृथ्वीपुर गया था। वह अपनी पत्नी को लिए बिना अपने बहनोई के साथ 19 नवंबर की शाम वापस आ गया। साथ खाना खाया और अपने कमरे में जाकर सो गया। सुबह 6 बजे के करीब पिता ने राहुल के कमरे का दरवाज़ा खटखटाया, दरवाज़ा नहीं खुला तो उन्होंने खिड़की से झांककर देखा। वह फांसी से लटका हुआ था। उन्होंने जल्दी से दरवाज़ा तोड़ा और फांसी से उतारा लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी।

मृतक के परिवार के आरोप के अनुसार, डेढ़ साल पहले उसकी शादी हुई थी। वह अपने मायके ही रहती है, ससुराल सिर्फ एक बार आई थी। राहुल अपनी पत्नी को लेने भी जाता और वह अगले महीने आने को कहती थी।

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मृतक के जीजा सुनील ने आरोप लगाते हुए कहा, 18 नवंबर को जब मृतक की पत्नी ने आने से मना कर दिया तो उसके बाद मृतक की पत्नी के जीजा द्वारा बाहर लेजाकर उसके साथ मारपीट की गई।

झूठे हैं सभी आरोप- मृतक की पत्नी

पूरे मामले को लेकर मृतक राहुल की पत्नी ने सारे आरोपों को झूठा ठहराया। कहा,’मैं शादी के बाद चार बार गई हूँ। माँ लड़ाई करती थी, राहुल शराब पीता था। मैनें कहा था, शराब छोड़ दो। मैं तुम्हारे साथ रहूंगी। वह शराब नहीं छोड़ रहे थे इसलिए मैं नहीं जा रही थी। शराब छोड़ देते तो मैं रहती उसके साथ। मेरी लड़ाई नहीं थी। शराब ही मेरी लड़ाई थी। अब वो मेरे ऊपर आरोप लगा रहे हैं।’

नहीं लिखवाई है रिपोर्ट

खबर लहरिया ने मामले को लेकर बबीना थाने के एस.एच.ओ जितेंद्र कुमार से बात की। उनके अनुसार, सूचना जिस दिन मिली थी, पोस्टमॉर्टम कराया गया था। खुद से फांसी लगाई गई थी। दरवाज़ा बंद था। अभी किसी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज़ नहीं कराई गई है, न कोई परिजन आये हैं।

यह मामला, कहीं न कहीं यह दर्शाता है कि हिंसा एक समय तक आकर आत्महत्या का रूप ले लेती है और परिणाम को लेकर कई जगहों पर उंगलियां खड़ी की जाती है पर यह समझना की इसकी शुरुआत कहां, क्यों है और क्यों यह इस तरह हुआ, जानना ज़रूरी रह जाता है।

इस खबर की रिपोर्टिंग नाज़नी द्वारा की गई है। 

 

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