खबर लहरिया Blog झांसी: बंद सीएचसी केंद्र लोगों के स्वास्थ्य का कैसे रखेंगे ध्यान?

झांसी: बंद सीएचसी केंद्र लोगों के स्वास्थ्य का कैसे रखेंगे ध्यान?

स्वास्थ्य केंद्र को बने हुए लगभग 12 साल बीत चुके हैं। आज तक एक घंटे के लिए भी डॉक्टर नहीं आये। जब बन रहा था तो बहुत उम्मीद थी कि अब उन्हें गांव में ही सुविधा मिलेगी।

                                                                                            बंद डॉ. भीमराव अंबेडकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की फोटो

ग्रामीण इलाकों में बसे अधिकतर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की कहानी जर्जर और बंद ताले की तरह है जिसकी सेहत उसकी मौजूदगी के समय से ही खराब है। फिर ये सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लोगों के स्वास्थ्य का कैसे ध्यान रखेंगे? जवाब यह है कि, रखा ही नहीं जाता।

झांसी जिले के ब्लॉक बंगरा के कुआं गांव के मजरा स्यावनी बुजुर्ग में बसा डॉ. भीमराव अंबेडकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भी उन्हीं स्वास्थ्य केंद्रों में से एक है जो खुद अस्वस्थ है।

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स्वास्थ्य सुविधा आज भी है इंतज़ार

यहां के रहने वाले रामसेवक खबर लहरिया को बताते हैं, स्वास्थ्य केंद्र को बने हुए लगभग 12 साल बीत चुके हैं। आज तक एक घंटे के लिए भी डॉक्टर नहीं आये। जब बन रहा था तो बहुत उम्मीद थी कि अब उन्हें गांव में ही सुविधा मिलेगी। लोगों द्वारा स्वास्थ्य सुविधा का इंतज़ार करते-करते साल गुज़र गए लेकिन आज तक किसी डॉक्टर की नियुक्ति नहीं हुई।

उन्हें गांव में झोलाछाप डॉक्टर से ही इलाज कराना पड़ता है। कई बार उनकी दवाओं से नुकसान भी हो जाता है।

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बस देखने के लिए है सीएचसी

बिनू नाम की महिला बताती हैं, उन्हें इलाज के लिए मऊरानीपुर जाना पड़ता है। इसके अलावा महिला डॉक्टर न होने की वजह से वे खुलकर भी अपनी दिक्क्तें नहीं बता पातीं। गांव के डॉक्टर ज़्यादा पढ़े-लिखे भी नहीं होते।

वहीं डिलीवरी के समय उबड़-खाबड़ रास्ते से जाने में और भी ज़्यादा दर्द होता है। रात में अगर किसी महिला को दिक्कत होती है तो उस महिला को पूरी रात दर्द में तड़पता हुआ देखना पड़ता है या फिर खुद साधन बुक करो, लेकिन सबके पास इतना पैसा नहीं होता कि अपनी खुद को गाड़ी बुक करके जाए। यहां का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बस देखने के लिए बना है।

गोरेलाल के अनुसार, उन्होंने सुना था कि केंद्र सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक खुलेगा। ओपीडी में डिलीवरी की सुविधा होगी। दवा मिलेंगी, स्वास्थ्यकर्मियों को नियुक्त किया जाएगा पर आज तक यहां कोई नहीं आया। उन्हें माऊरानीपुर ही जाना पड़ता है जहां जाने में उनका बहुत समय बर्बाद होता है और पैसा भी खर्च होता है।

अधिकारी को स्वास्थ्य केंद्रों की जानकारी नहीं

खबर लहरिया ने इस समस्या को लेकर कुआं गांव की प्रधान मीरा देवी से बात करनी चाही। उनके स्थान पर उनके पति रामगोपाल ने बताया कि उन्हें सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के न खुलने की वजह नहीं पता। लोगों को इलाज के लिए माऊरानीपुर ही जाना पड़ता है।

सीएमओ डॉ. सुधीर पांडेय ने कहा, उन्हें इस बारे में जानकारी ही नहीं है। उन्हें यह भी नहीं पता कि जिले में कितने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र है, या कितने उप-स्वास्थ्य केंद्र है।

जब अधिकारी को यह ही नहीं पता कि उनके क्षेत्र या जिले में कितने स्वास्थ्य केंद्र है तो स्वास्थ्य केंद्र क्यों बंद है, वहां कोई सुविधा क्यों नहीं है, इसका जवाब तो सामने ही है।

इस खबर की रिपोर्टिंग नाज़नी रिज़वी द्वारा की गई है। 

 

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