दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू (जेएलएन) स्टेडियम को तोड़कर स्पोर्ट्स सिटी बनाने की योजना बनाई जा रही है। लेकिन अभी तक यह योजना केवल एक प्रस्ताव है और इसलिए परियोजना की समय-सीमा अभी तय नहीं की गई है। इसकी जानकारी सोमवार 10 नवंबर 2025 को खेल मंत्रालय के एक उच्च पदस्थ अधिकारी ने दी। इसकी बनावट यानी रुपरेखा को अंतिम रूप देने के लिए कतर और ऑस्ट्रेलिया के खेल शहरों का मूल्यांकन किया जा रहा है।
102 एकड़ में फैला है जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम ((JLN Stadium)
जानकारी के मुताबिक जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम ((JLN Stadium) लगभग 102 एकड़ में फैला हुआ है। फ़िलहाल अभी इसमें एक मुख्य फुटबॉल स्टेडियम और एथलेटिक्स ट्रैक के अलावा, खेल परिसर में एक तीरंदाजी अकादमी, बैडमिंटन कोर्ट, भारतीय खेल प्राधिकरण, राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी और राष्ट्रीय डोप परीक्षण प्रयोगशाला के कार्यालय आदि भी हैं।
आपको बता दें कि वर्तमान में, इस स्टेडियम की क्षमता लगभग 60,000 लोगों की है और 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों के बाद, इसने कई फुटबॉल मैचों की मेजबानी भी की है, जिनमें इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) की टीमों दिल्ली डायनामोज और बाद में पंजाब एफसी के घरेलू मैच भी शामिल हैं। यह 2017 अंडर-17 फीफा विश्व कप के मेजबान स्थलों में से एक था।
जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम को स्पोर्ट सिटी बनाने का उद्देश्य
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक खेल मंत्रालय के सूत्रों ने बताया, “हमारा लक्ष्य एक ऐसा परिसर बनाना है जो उच्च-प्रदर्शन वाले खेलों, जनभागीदारी और मीडिया, सभी को एक ही स्थान पर बढ़ावा दे सके। हम विरासत के उपयोग, आयोजनों की मेज़बानी और एथलीटों के लिए मार्ग-दर्शन पर जानकारी के लिए कतर और ऑस्ट्रेलिया का बारीकी से अध्ययन कर रहे हैं।”
हाल ही में खेल मंत्री मनसुख मंडाविया दोहा में थे और उन्होंने वहाँ स्पोर्ट्स सिटी का दौरा भी किया था।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर की स्पोर्ट सिटी बनाना चाहते हैं
जैसा कि अब भारत भी खेल आयोजन में अपने इतिहास में मुख्य भूमिका दे चुका है। इसके साथ ही 2036 में ओलम्पिक खेलों की मेजबानी के लिए भारत दावेदारी पेश कर रहा है।
दोहा स्पोर्ट्स सिटी 617 एकड़ में फैली हुई है। इसमें एक अकादमी के अलावा फुटबॉल, एक्वेटिक्स और 13 विभिन्न इनडोर खेलों की सुविधाएँ उपलब्ध हैं। इसमें एक विशेष ऑर्थोपेडिक और स्पोर्ट्स मेडिसिन अस्पताल भी है। ऑस्ट्रेलिया की बहुउद्देशीय सुविधाओं में मेलबर्न का डॉकलैंड्स स्टेडियम शामिल है, जहाँ क्रिकेट, ऑस्ट्रेलियन रूल्स फुटबॉल, रग्बी, क्रिकेट और सॉकर जैसे खेलों का आयोजन किया जा सकता है।
पहले भी जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम को दिया नया रूप
यह पहली बार नहीं है जब जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम का नामा चर्चा में आया हो। इससे पहले भी 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों / Common Wealth Games से पहले, 961 करोड़ रुपये की लागत से स्टेडियम में नए बदलाव किए गए थे। इसके साथ ही हाल ही में विश्व पैरा एथलेटिक्स चैम्पियनशिप से पहले, विस्तार के लिए 50 करोड़ रुपये और खर्च किए गए थे।
इस स्टेडियम का निर्माण 1982 के एशियाई खेलों के लिए किया गया था, जिनकी मेजबानी भी दिल्ली ने की थी और यह 1951 में प्रथम एशियाड के बाद देश में पहला बहु-खेल आयोजन था।
सरकार चाहती है भारत भी विश्व स्तर पर खेलों में आगे रहे लेकिन क्या इसके लिए बने बनाए स्टेडियम को तोड़कर ही फिर से नया बनाना सही है? क्या इसी स्टेडियम में फिर से कुछ बदलाव के साथ अपडेट नहीं किया जा सकता? किसी भी निर्माण को पुनःनिर्माण करने में समय और लागत दोनों ही ज्यादा लगते हैं।
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