फगुनईया तोरी अजब बहार चैत माँ गोरी मचल रही नईहर मा। पहिला लेवउवा ससुर मोरे आवै, ससुरु के संग नहीं जाऊ चैत माँ गोरी मचल रही नईहर मा। आप सभी को होली की बहुत बहुत बधाई। ये सारे गाने हमारे बुन्देलखण्ड के मशरुर गाने है। फागुन लगते ही इन गानों की बहार आ जाती है। गावों में रात में फाग गाया जाता है।
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महिलाओं का झुण्ड एक तरफ और मर्दों का झुण्ड एक तरफ ढोलक की थाप और मजीरो की छन छ्नाहट के साथ फागुन के गाने तो भई दिल जीत लेते हैं। और हां इस मौसम में बुन्देलखण्ड में बरी भी बनाई जाती है। भई होली के पकवान और फगुवा खेलना हो तो आप हमारे बुन्देलखण्ड ही आईये। खूब रंग गुलाल खेलिए और गुझिया पपड़िया खाईयें मजे करिये।
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