रूस के कामचटका में 8.8 तीव्रता का भूकंप आया। इस भूकंप से अमेरिका और जापान तक झटके महसूस हुए। जापान और अमेरिका जैसे देशों को भी दी गई है चेतावनी।
30 जुलाई 2025 को रूस के कामचटका के पूर्वी तट पर आए 8.8. तीव्रता के साथ भूकंप आया। भारतीय समय के मुताबिक, सुबह 4:54 बजे भूकंप आया। इस खबर ने दुनिया भर में सिहरन पैदा कर दिया है। यह भूकंप इतना तेज था कि इसके झटके अमेरिका से लेकर जापान तक महसूस किए गए। इस शक्तिशाली भूकंप की वजह से रूस के तटीय इलाके में सुनामी की ऊंची लहरें भी उठती दिखी। समुद्र तट से सटे इलाकों में लोग से तुरंत ऊंची जगहों पर जगहों पर जाने को कहा गया है। 20 लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट कर भी दिया गया है।
इस भूकंप के बाद अमेरिका से लेकर जापान तक समुद्री तूफ़ान यानी सुनामी की चेतावनी दी गई है। इस क्षेत्र में अमेरिका और रुस के कई परमाणु केंद्र भी मौजूद हैं खासकर अलास्का और कामचटका इलाके में। जापान के फुकुशिमा न्यूक्लियर प्लांट को भी सुरक्षा के लिहाज़ से खाली करवा लिया गया है। संतुष्टि कि बात यह है कि रुस में आए भूकंप से वहां के लोग सुरक्षित हैं। लेकिन कई घर और जगहें तबाह हो चुकी है।
सुनामी का खतरा और कहां है।
सुनामी के खतरा रूस, जापान, अमेरिका, कनाडा, इक्वाडोर, पेरू, मेक्सिको, न्यूजीलैंड, चीन, फिलीपींस, ताइवान, इंडोनेशिया में मंडरा रहा है। कोस्टल इलाकों से लोगों को सुरक्षित जगहों पर शिफ्ट किया जा रहा है। ताइवान, इंडोनेशिया में रूस में आए भूकंप से लोग दहशत में हैं क्योंकि यहां भी प्रशासन की तरफ से सुनामी की चेतावनी जारी की गई है।
दुनिया का सबसे पहला भूकंप
भूकंप एक बहुत ही खतरनाक प्राकृतिक आपदा है जो अब तक दुनियभर में भारी तबाही मचा चुकी है। अब तक का सबसे बड़ा भूकंप साल 1960 में चिली के बायोबियो इलाके में आया था जिसकी तीव्रता 9.5 मापी गई थी। इसे वाल्डिविया भूकंप या ग्रेट चिली भूकंप भी कहा जाता है। इस भयानक भूकंप में करीब 1,655 लोगों की जानें गई और करीब 20 लाख लोग अपना घर खो बैठे।
इससे पहले 1952 में रुस के कामचटका इलाके में 9.0 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया था। ये उस समय का सबसे बड़ा रिकॉर्ड किया गया भूकंप था। इस भूकंप के बाद आई सुनामी ने हवाई द्वीप में भारी नुक़सान किया जिससे करीब दस लाख डॉलर की संपत्ति तबाह हो गई। इसके बाद 2011 में जापान के तोहोकू क्षेत्र में 9.1 तीव्रता का एक और विनाशकारी भूकंप आया। इस भूकंप और इसके बाद आई सुनामी से करीब 15,000 लोगों की मौत हो गई और 1 लाख 30 हजार से ज्यादा लोग बेघर हो गए।
भारत में अभी तक का सबसे बड़ा भूकंप अरुणाचल प्रदेश में 1950 में आया था। उस समय 8.6 की तीव्रता के आए इस भूकंप को असम-तिब्बत भूकंप भी कहा जाता है। इस भूकंप से जोरदार कंपन हुई। जमीन में दरारें तक पड़ गईं और कई जगह भूस्खलन हुआ। इस भूकंप में 780 लोगों की जान चली गई।
दुनिया के सबसे खतरनाक भूकंप
ग्रेट चिली भूकंप – 9.5, 1950
ग्रेट अलास्का यूएसए – 9.2, 1964
कामचटका क्राई, रुस – 9.0, 1952
सुमात्रा इंडोनेशिया – 9.1, 2004
बायोबियो, चिली – 8.8, 2010
भूकंप आने का क्या कारण है
भूकंप आने की सबसे बड़ी वजह ज़मीन के नीचे होने वाली हलचल होती है। ज़मीन (धरती) कई बड़ी-बड़ी चट्टानों की परतों से बनी है जिन्हें टेक्टोनिक प्लेट कहा जाता है। ये प्लेटें हर वक्त थोड़ी-थोड़ी हिलती रहती हैं। जब ये प्लेटें आपस में टकरा जाती हैं या एक-दूसरे से अलग हो जाती है तो ज़मीन हिलने लगती है और भूकंप आता है। इसके अलावा ज्वालामुखी फटना, ज़मीन खिसकना (भूस्खलन), खदानों में धमाके होना या इंसानों द्वारा किए गए परमाणु परीक्षण की भूकंप का कारण बन सकते हैं।
सुनामी भूकंप है क्या
सुनामी भूकंप, पानी के नीचे ज्वालामुखी विस्फोट और पानी के नीचे भूस्खलन से उत्पन्न होने वाली लहरें हैं। पानी के नीचे भूकंप के बाद समुद्र तल ऊपर उठता और नीचे गिरता है जिससे पानी ऊपर और नीचे उठता है। इससे उत्पन्न ऊर्जा समुद्र के पानी को धकेलती है जो लहरों में परिवर्तित हो जाता है।
भारतीय सुनामी चेतावनी केंद्र ने पुष्टि की है कि इस भूकंप से भारत और हिंद महासागर कोई सुनामी की खतरा नहीं है। केंद्र ने भूकंप का पता लगाया और तत्काल विश्लेषण के बाद यह स्पष्ट किया कि भारतीय तट सुरक्षित हैं। यह जानकारी राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के साथ भी शेयर की गई है।
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