International Day for Older Persons: माँ चार बेटों को पाल लेती है लेकिन चार बेटे एक माँ को नहीं पाल सकते। अगर हम इन भिक्षा मांगने वाली महिलाओं की कहानी सुने तो यह कहावत गलत नहीं लगती। यह भी है कि बुढ़ापे में बेटा माँ का सहारा होता है लेकिन उनके दिल से पूछिए जो बेटा होने के बावजूद भी कहीं स्टेशन पर तो कहीं खुले आसमान में रात गुजारते हैं। कभी स्टेशन से भगाये जाते हैं तो कभी घाटों से तो कभी मंदिर की सीढ़ियों से। आखिर जाएँ तो कहाँ जाएँ, पेट की भूख कैसे मिटायें?
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दुनियाभर में रह रहे वृद्धों और उम्रदराज लोगों के साथ होने वाले भेदभाव, अपमानजनक व्यवहार, उपेक्षा और अन्याय पर रोक लगाने के उद्देश्य से 1 अक्टूबर को वृद्धजन दिवस मनाया जाता है। इस दिन खासतौर पर कई स्वयंसेवा संस्था विभिन्न कार्यक्रमों के ज़रिये देशभर में वृद्धजनों के साथ हो रहे अन्याय को सबके सामने रखकर लोगों में उनके प्रति सम्मान को जगाने के जागरुकता अभियान भी चलाती है लेकिन इस अभियान का कितना असर पड़ता है?
वाराणसी जिले में जो वृद्ध भिक्षा मांगकर जीवन यापन करते हैं उनके लिए लगातार अभियान चलाया जाता है। रोड से लेकर घाटों तक या स्टेशनों पर जो भी भिक्षा मांगने वाले वृद्ध दिखें उनको आश्रम पहुँचाया जाए लेकिन यहाँ यह नियम बेअसर दिख रहा है।
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