बरेली विधायक की बेटी साक्षी मिश्रा और अजितेस ने घर से बाहर निकल कर शादी कर ली। 11 जुलाई को दोनों का सोशल मीडिया पर वीडियो जारी होता है, जिसमें वे अपनी जान का खतरा बताते हुए सुरक्षा की मांग करते हैं। इसमें वे अपने पिता राजेश मिश्रा, भाई विक्की भरतौल और पिता के करीबी राजीव राणा पर जान से जान का खतरा होने की बात करते हैं। 12 जुलाई को अजितेश और साक्षी ने मीडिया में आकर अपनी आपबीती सुनवाई। 14 जुलाई को दोनों को यूपी पुलिस ने प्रोटेक्शन दी और 15 जुलाई को इलाहाबाद होईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान दोनों की शादी को कानूनी करार देते हुए दो महीने में शादी रजिस्टर्ड कराने की बात कही।
साक्षी मिश्रा ने दलित लड़के से शादी क्या कर ली, राजनीती करने का एक मुद्दा बन गया। मीडिया चैनलों के पास हफ्तों कोई और मुद्दे ही नहीं दिखे। समाज के ठेकेदारों को मानों महिलाओं और लडकियों को नीचा दिखाने उनका अपमान करने के लिए मौका मिल गया हो। इसकी आड में शोसल मीडिया में बैठे गंदी सोच वालों को महिलाओं लडकियों को बुरा भला कहने और छींटाकसी करने का अच्छा समय मिल गया था। जो हमेशा लडकियों की मर्जी के खिलाफ होते हैं जो लडकियों की आजादी नहीं बरदास्त कर सकते।
संविधांन के निर्माता भीम राव अबेडकर ने अपनी पुस्तक अननिहिलेशन ऑफ कास्ट में अंतर-विवाह के महत्व के बारे में बताया था, “जाति तोड़ने का असली उपाय अंतर-विवाह है। और कुछ नहीं जाति के विलायक के रूप में काम करेगा।“
बांदा में भी है अन्तर्जातीय विवाह हुए हैं। जैसे कि बांदा में वर्षा साहू और अशोक यादव ने 9 जुलाई 1017 को अंतर्जातीय शादी की। शादी के पहले तमाम तरह की अटकले थीं। परिवार और समाज में बहुत ताने सहे’ उनको अपने ही परिवार ने घर से बेदखल कर दिया। आज वह दोनो खुशी जीवन बिता रहे हैं।
इसीतरह से बड़े स्तर में देखिए कि 12 अप्रैल 2010 को भारतीय टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्जा और पाकिस्तानी क्रिकेटर शोएब मलिक ने शादी की। ये थोड़ा बड़े स्तर की बात है क्यौंकि ये सिर्फ अन्तर्जातीय से ही सीमित नहीं रहा। अंतर्देशी के साथ ऐसे देश के व्यक्ति से शादी की जो आज एक दूसरे के दुश्मन हैं। इस शादी को लेकर शानिया आज भी ट्रॉल होती हैं।
हिंन्दू-मुस्लिम विवाह को तोड़ने के लिए हिंसा का उपयोग करने में बी.जे.पी. की भूमिका: जांच रिपोर्ट की एक कोबरापोस्ट और गुलाल की जांच से पता चलता है कि आरएसएस-वीएचपी-बीजेपी गठबंधन और उनके छींटे समूह हिंदू-मुस्लिम विवाहित जोड़ों को विभाजित करने के लिए हिंसा, धमकी, भावनात्मक ब्लैकमेल, डुप्लिकेट और ड्रग्स का उपयोग करते हैं। ये संगठन मुस्लिम पुरुषों को “लव जिहाद” के नाम पर हिंदू लड़कियों को लुभाने और उनसे शादी करने का दावा करते हैं।
साक्षी मिश्रा और अजितेस केस पर मैने इसका कवरेज किया। मेरे कई सवाल थे कि क्या ये ही ऐक अन्तर्जातीय विवाह हुआ है, साक्षी की आड में लडकियों के लिए पाबंदी लगाने की बात चल रही है। जो लडकियों बाहर आने जाने रहने शिक्षा करने के लिए घर से दूर हैं उसमें रोक लगाने की बात चल रही थी।
बांदा में जब मैं अलग अलग तरह के लोगों से इन्टरव्यू करने निकली तो सबकी अपनी राय थी। जब मैं उनसे मिलती ऑफ़ कैमरा चर्चा करती तो लोग कहते उसने गलत किया। लडकियों को आज़ादी मिलने का फायदा नहीँ उठाना चाहिए। किसी ने भी उसके बाप या शादी करने वाले लड़के पर कोई बात नहीं की। साक्षी को बाप द्वारा परेशान करने और जान से मारने की धमकी को जायज कह डाला।
यही बात जब मैं कैमरे में करने को बोलती तो सबकी बातें और विचार बदल जाते। साक्षी के निर्णय का स्वागत कर रहे थे। जातिवाद व्यवस्था टूटने की बात कर रहे थे। बस इस बात को बार बार दोहरा रहे थे कि जो उसने बाप के उपर आरोप लगाए वह ठीक नहीं थे। उसको सुलह समझौता करना चाहिए था।
कवरेज के दौरान ये भी समझ आया कि विरोध वही लोग कर रहे हैं जो राजनीति में हैं। दूसरी बात इस मामले में जो साक्षी का विरोध कर रहे थे वह या तो राजनीतिक लोग थे या फिर समाज में अपने को ऊंची जाति का मान रहे हैं। आखिरकार ये विरोध और द्वोष भावना क्यो।
जब मैं शोसल मीडिया के कमेंट देखती और जान रही थी कि कमेंट करने वाला आसपास का ही व्यक्ति है उसको अच्छे से जानती भी हूं उसके कमेंट गन्दी सोच से भरें लडकियों को छींटाकसी वाले थे। इतनी गंदी सोच के हो सकते हैं वह लोग भरोसा नहीं किया हो रहा था। ऐसे लोगों से मुझे नफरत हो रही थी। ऐसे लोगों से बात भी नहीं करना चाहूंगी कभी। जो अपनी ही नज़रों से इतना गिरा और ढींढ इन्सान है।
भारत मानव विकास सर्वेक्षण के अनुसार, केवल 5% भारतीय विवाह अंतरजातीय हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2014 के बाद से भारत में लगभग 500 लोग – ज्यादातर महिलाएं – “ऑनर किलिंग” से मर चुके हैं। चारो तरफ मेरा देश बदल रहा है का नारा दिल से गाया जा रहा है। क्या अन्तर्जातीय विवाह की भयावह स्थिति भी बद्लेगी?