जिला बांदा| शहर कोतवाली के अंतर्गत आने वाले एक गांव के पाल जाति कि लडकी और दलित जाति के लडके कि मृतक हालत लाश 17 अगस्त कि सुबह रेलवे ट्रेक भुरा गढ में पाई गई| जिससे गांव में सनसनी फैल गई| लेकिन लडकी का परिवार इस मामले में कोई भी बात करने को तैयार नहीं है| गांव के मुताबिक उन दोनों का काफी समय से प्रेम प्रसंग का मामला चल रहा था| जिसके चलते इसी वर्ष जून 2019 में लड़की की शादी भी कर दी गई थी| लड़की रक्षाबंधन के समय मायके आई थी और रक्षाबंधन के दूसरे ही दिन उन दोनों की लाश पाई गई लोगों का यह भी कहना है कि प्रेम प्रसंग का मामला तो चल रहा था लेकिन यहां तक पहुंच जाएगा यह पता नहीं था| क्योंकि इसी साल लड़की की शादी हो गई थी और वह ससुराल भी जाने लगी थी| जहां एक तरफ यह प्रेम प्रसंग का मामला सुर्खियों में भी सुनने को मिला वही लड़की और लड़के का परिवार इस प्रेम प्रसंग के मामले से अंजाम समझ में आया लड़की के परिवार का कहना उन्हें इस मामले की कोई जानकरी नहीं थी न ही लडकी ने कभी ऐसी कोई बात कि लेकिन अगर करती भी तो क्या वह उस दलित के साथ शादी नहीं करते चाहे जहाँ मर जाती| लेकिन वह अपनी लडकी की ताक राख करते| लडके के परिवार का कहना है कि वह मजदूरी करने वाले लोग है सुबह से पति पत्नी दोनो मजदुरी के लिए और शाम को 6 बजे वापस आते थे तो खा बना के सो जाते थे लडका आईटीआई कर रहा था| कभी उनको ये नहीं लगा की उनका लडका इस रास्ते पर हैं नहीं उसको समझाते और अगर नहीं मानते लडकी तैयार थी तो वह उसे अपना लेते लेकिन मरने नहीं देते| लेकिन यहाँ पर सवाल ये उठता है कि एक लडका अपनी मरजी कर सकता है तो ये समाज लडकियों के लिए क्यों इतनी पाबंदी करता है| क्यों लोग आज भी जाति का भेदभाव करते है | जिसके चलते आए दिन दो प्रेम करने वालो का अपनी जिन्दगी गवानी पडती है| जहाँ पर हमारा संविधान और सरकार भी इसकी आजादी दे रहा है कई तरह के नियम बन रहे हैं तो क्या यह सब दिखावा है| परिवार सिर्फ समाज को ही देखेगा| वहीं पर पुलिस विभाग भी इन मामलों में क्यों कोई कडी नजर नहीं रखती क्यो मामले कि जांच नहीं करती जबकि अगर प्रेम प्रसंग के चलते भी मौत हुई है तो यह भी एक जांच का मामला है|