प्रेम में न जाति होती है, न परिभाषा, न वो समाज के अनुरूप अंदर रह सकता है और न ही बाहर, यहां तक की शब्दों के खेल में प्रेम को किसी वर्ग में बंद करके भी नहीं रखा जा सकता। यह सब मालूम होने के बावजूद भी धर्म व समाज के नाम पर कुछ लोग प्रेम व प्रेम से जुड़े लोगों को बाँधने की कोशिश करते हैं। कोई इन रुकावटों में बंध जाता है तो कोई इन सबसे पार निकल जाता है।
आज हम एक ऐसे प्रेमी जोड़े की बात कर रहे हैं जिन्हें समाज ने बनाये धर्म ने बांटा लेकिन उनके प्रेम ने उन्हें एक कर दिया क्योंकि उनके प्रेम में कभी कोई बंधन ही नहीं था।
यह कहानी है यूपी के रामपुर जिले के एक जोड़े हामिद व खुशी की। हामिद समाज के मुस्लिम समुदाय से संबंध रखता है वहीं खुशी हिन्दू समाज से आती हैं। हामिद और खुशी की प्रेम कहानी उनके स्कूल के दिनों की है।
खुशी उस समय 10वीं कक्षा में पढ़ती थी। हामिद के बारे में ज़िक्र करते हुए खुशी बड़ी बखूबी से उसे बयां करती हैं। कहती हैं, गेहुआं रंग, लंबा कद, सुनहरे बाल कि हर लड़की फिदा हो जाए। उसे नहीं पता था कि हर लड़की के दिल में बसने वाले को उससे प्यार हो जाएगा।
एक दिन उसे अकेला देख हामिद ने हिम्मत ने जुटा ही ली और बंद शब्दों में उसे प्रोपोज़ कर दिया। उसे यकीन नहीं हुआ लेकिन उसे यह पता था कि वह हमेशा उसके आस-पास घूमता रहता था। उसे डर भी रहता कि कहीं किसी को पता न चल जाए। कहीं बदनामी न हो जाए। कहीं हामिद उससे झूठ तो नहीं बोल रहा? उसके मन में ऐसे कई सवाल कोताहल मचा रहे थे।
लेकिन धीरे-धीरे उसे हामिद की बातों पर भरोसा होने लगा। वह दोनों अक्सर मिलने लगे। मिलते हुए उन्हें दो साल हो गए थे। धीरे-धीरे उनके प्यार को लेकर बातें भी होने लगी थी। अब उन दोनों का मिलना मुश्किल हो गया था। अपने दोस्तों, अपनी सहेलियों की मदद से दोनों मिलते। उन दिनों उनके पास फोन भी नहीं हुआ करते थे।
एक दिन खुशी के परिवार को यह बात मालूम हो गयी। उन दोनों के बीच प्यार गहरा हो चुका था। खुशी के परिवार वाले अब उसके लिए रिश्ता ढूढ़ने लगे थे। अधिकतर इन मामलों में यही देखा गया है कि परिवार लड़का या लड़की की किसी अन्य व्यक्ति से शादी कर देता है इस सोच के साथ कि शादी ही समस्या का हल है। इस मामले में भी यही देखा गया।
उसने एक बार हामिद को भूलने की कोशिश भी कि लेकिन उसके लिए हामिद को भुला पाना मुश्किल था। फिर दोनों ने मिलकर शादी करने का फैसला कर लिया। उन्होंने सोचा कि पहले शादी कर लेते हैं फिर बाद में परिवार को मनाते रहेंगे क्योंकि अंतर्जातीय प्यार को परिवार कभी नहीं अपनाता। अपने गाँव से तकरीबन 600 किलोमीटर दूर दोनों ने शादी कर ली।
हामिद का परिवार उसे ढूंढ़ रहा था और उसे ढूंढते-ढूंढते आखिर वह हामिद तक पहुँच ही गया। उसके परिवार ने दोनों को अपना लिया लेकिन खुशी के परिवार से उससे सारे रिश्ते तोड़ लिए।
हामिद ने बताया कि शादी के बाद वह लोग गाँव छोड़कर दूसरी जगह चले गए ताकि खुशी के परिवार को बुरा न लगे।
शादी के बाद उस पर किसी भी तरह का दबाव नहीं था – खुशी ने कहा लेकिन उसने शादी के बाद अपना नाम ‘माहिरा’ कर लिया क्योंकि यह उसके नए परिवार की इच्छा थी। अब यह खुशी की अपनी मर्ज़ी थी या उसके परिवार का दबाव, यह नहीं मालूम।
घर में उससे कभी नॉन-वेज बनाने के लिए दबाव नहीं बनाया जाता। शादी के कार्यक्रमों में भी वह अपने परिवार के साथ जाती और इस बात से वह बहुत खुश थी।
हामिद और खुशी/ माहिरा की शादी को आज लगभग 15 साल बीत चुके हैं। उनके तीन बच्चे हैं। दो बेटे और एक बेटी है। उनके बीच वो प्यार आज भी मौजूद है जिसनें उन्हें एक किया है।
इस खबर की रिपोर्टिंग नाज़नी रिज़वी द्वारा की गयी है।
ये भी देखें – झाँसी: जेंडर बदलकर सना से सोहिल बनी लड़की को प्यार में मिला धोखा?
‘यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’