चित्रकूट जिले के कर्वी क़स्बा के रहने वाले 26 वर्षीय अतुल रैकवार जो तीन साल से भूख मुक्त भारत मिशन चला रहे हैं। उन्होंने इस महिला दिवस पर एक मिशाल पेश की है। उन्होंने एक गरीब बेसहारा माँ के बच्चे को गोद लेकर महिला को स्वतंत्र जीने का अधिकार दिया है, हिम्मत दी है महिला को जिम्मेदारी से मुक्त होकर अपने पैरों पर खड़े होने की।
क्या है रुकमणी सेवा संस्थान?
इस संस्था के तहत गरीबों की बस्ती में खाना वितरण करना, स्टेशन, बस स्टाफ में खाना बांटना इसके अलावा गरीब लड़कियों की शादियां कराना, लड़कियों को सशक्त बनाने के लिए फ्री कराटे सिखाना और फ्री पाठशाला चलाना, ग़रीबों को कपड़े बाँटना जैसे काम इस संस्था के अंतर्गत होते हैं।
महिला को दिया स्वतंत्र जीने का अधिकार
8 मार्च यानी महिला दिवस के शुभ अवसर पर रुकमणी सेवा संस्थान के संस्थापक अतुल रैकवार ने कुमार आयुष्मान नाम के एक बच्चे को गोद लिया है। ये बच्चा इस दुनिया में नही आया था तभी उसके पिता सोनू राय ने किसी कारणवश आत्महत्या कर ली थी। वो बनारस में सिविल में पोस्टेड थे। सोनू राय की मौत के बाद बच्चे की मां रूपा राय को ससुराल वालो ने नहीं अपनाया।
रूपा के बच्चे का जन्म मायके में ही सरकारी अस्पताल में हुआ। तभी से रूपा अपनी बूढी माँ के साथ रहती है। ऐसे मे रूपा के सामने बच्चे की परवरिश के लिए बड़ी चुनौती थी। अक्सर देखा, सुना जाता है कि जब महिलाओं के सामने बच्चे की परवरिश की बात आती है और कोई सहारा नहीं होता तो अक्सर महिलाएं किसी साजिश का शिकार हो जाती हैं या मानसिक तनाव में रहने लगती हैं।
बच्चे को गोद लेकर उठाया परवरिश का जिम्मा
अतुल रैकवार ने बताया की महिला जब अकेली होती है उसके मजबूरी का फायदा हर कोई उठाना चाहता है। रूपा पढ़ी लिखी है समझदार है लेकिन बेरोजगार है, इसलिए बच्चे की परवरिश उसके लिए इस समय बड़ी समस्या है। ऐसे में वो न स्वतंत्र होकर जी नहीं पाएगी न अपने बच्चे के भविष्य के लिए कुछ सोच पाएगी। हम चाहते हैं की वो अपनी जिन्दगी स्वतंत्र होकर जिये। जब वो स्वयं के पैरो पर खड़ी हो जाए तो उसका बच्चा है वो अपने पैसो से उसकी परवरिश कर सकती है। हमने उसके पढ़ाई-लिखाई उसके खर्च का जिम्मा अभी लिया है।
महिला दिवस पर ही क्यों लिया बच्चे को गोद के सवाल पर अतुल रैकवार ने बताया कि हमें ऐसा करने के लिए आज से अच्छा दिन नहीं मिलता। महिला दिवस पर एक महिला को स्वतंत्र तरीके से जीने की राह दिखाया है। बच्चा गोद लेने का एक ये भी कारण था की बच्चे के पिता का इस संस्था के प्रति बहुत सहयोग रहा है। उनकी वजह से बनारस, जौनपुर में भी हमारा काम शुरू हो गया था। अब हम उनके बच्चे को ऐसे कैसे छोड़ देते। जितना हो सकता है उतना किया और हमारी कोशिश यही रहेगी की महिलाओं को सम्मान मिले। समाज में वो भी बराबरी की हक दार हैं, लेकिन अभी बहुत जागरूकता की जरूरत है।
मैं खुश हूँ की मेरा बच्चा अच्छी परवरिश पायेगा-बच्चे की माँ
रूपा का कहना है पति के मरने के बाद में मायके में हूँ। ससुराल से किसी ने नहीं पूछा न ही मुझे अपनाया। बच्चा होने पर भी कोई नहीं आया मुझे ठुकरा दिया गया। मायके में पिता नहीं है बूढी मां के सहारे कब तक रहूंगी। ऐसा लगता था की अपनी माँ पर मैं और मेरा बच्चा बोझ बन गये हैं। अब रूकमणी सेवा संस्थान ने मेरे बच्चे को गोद लेकर मेरे उपर से बोझ उतार दिया है। अब मैं अपने पैरो पर खड़ी हो सकती हूँ। और अपनी लड़ाई स्वतंत्र होकर लड़ सकती हूँ। मैं आज खुश हूँ कि मेरा बच्चा अच्छी परवरिश और अच्छी शिक्षा पाएगा। मैं कुछ बनकर अपने बच्चे की परवरिश करुँगी।
अब देखने की बात यह है कि यह पहल कितना सफल होती है क्या यह जिम्मेदारी एक दिन या एक दिवस तक ही सिमट कर रह जायेगी? या आगे भी इस तरह का काम होता रहेगा।
इस खबर को खबर लहरिया के लिया नाज़नी रिज़वी द्वारा रिपोर्ट और प्रोड्यूसर ललिता द्वारा लिखा गया है।