खबर लहरिया Blog भारत में है सबसे ज़्यादा गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों की संख्या – यूएन रिपोर्ट

भारत में है सबसे ज़्यादा गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों की संख्या – यूएन रिपोर्ट

रिपोर्ट बताती है कि 83 प्रतिशत से अधिक गरीब लोग ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं, जहां गरीबी दर शहरी क्षेत्रों की तुलना में अधिक है। वैश्विक स्तर पर 28 प्रतिशत ग्रामीण आबादी गरीब है, वहीं शहरी आबादी में 6.6 प्रतिशत लोग गरीब हैं।

                                          सांकेतिक तस्वीर (फोटो साभार – सोशल मीडिया)

भारत में कुल 234 मिलियन लोग ऐसे हैं जो गरीबी रेखा से नीचे रह रहे हैं। यह आंकड़ा दुनिया में सबसे अधिक है – संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम,ऑक्सफोर्ड पॉवर्टी और मानव विकास द्वारा ज़ारी की गई रिपोर्ट में यह बताया गया।

गरीबी रेखा से नीचे होने का मतलब है, किसी व्यक्ति या परिवार की आय, उनका उपभोग का स्तर व मूलभूत ज़रूरतों को पूरा करने के लिए ज़रूरी न्यूनतम स्तर का कम होना। गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों के लिए बीपीएल व अंग्रेजी में Below Poverty Line शब्द का इस्तेमाल किया जाता है।

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (United Nations Development Programme), संयुक्त राष्ट्र का एक संगठन है। इसका काम देशों को गरीबी खत्म करने और सतत आर्थिक विकास और मानव विकास हासिल करने में मदद करना है।

ये भी पढ़ें – भारत में कोविड-19 से मुस्लिमों,दलित व वंचित समूहों की जीवन प्रत्याशा में आई सबसे ज़्यादा कमी | Covid-19 Mortality Rate in India

2024 वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक रिपोर्ट 2024

हाल ही में गुरुवार को ज़ारी, 2024 वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक रिपोर्ट (2024 Global Multidimensional Poverty Index) में 112 देशों के मौजूद नवीनतम तुलनीय डाटा का उपयोग किया गया, जिसमें 21 निम्न-आय वाले देश, 47 निम्न-मध्यम-आय वाले देश, 40 उच्च-मध्यम-आय वाले देश और चार उच्च-आय वाले देशों के नाम शामिल हैं।

जीवन के कई पहलुओं में किसी व्यक्ति या परिवार द्वारा गरीबी का सामना करने को बहुआयामी गरीबी से जोड़ा गया है। इसमें स्वास्थ्य, शिक्षा, सामाजिक भागीदारी, और जीवन स्तर के कई आयाम शामिल होते हैं। बहुआयामी गरीबी को मापने के लिए बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआई) का इस्तेमाल किया जाता है।

112 देशों और 6.3 अरब लोगों में, 18.3 प्रतिशत यानी 1.1 अरब व्यक्ति तीव्र बहुआयामी गरीबी (acute multidimensional poverty) में रहते हैं, जिसमें आधे से अधिक संख्या बच्चों की है जो गरीबी में रहते हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक,पाकिस्तान में 93 मिलियन लोग गरीबी रेखा से नीचे रह रहे हैं। इसके बाद इथियोपिया में 86 मिलियन, नाइजीरिया में 73 मिलियन व डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में 66 मिलियन लोग बहुआयामी गरीबी से जूझ रहे हैं।

भारत के साथ, इन पांच देशों में गरीबी में रहने वाले 1.1 अरब लोगों में से 48.1 फीसदी गरीब लोग इन देशों में ही रहते हैं।

रिपोर्ट में पेश किये गए आंकड़ों से पता चलता है कि दुनिया में बहुआयामी गरीबी से ग्रसित सबसे ज्यादा लोग (83.2 फीसदी) दक्षिण एशिया और उप-सहारा अफ्रीका में हैं। उप-सहारा अफ्रीका में जहां 55.3 करोड़ ((553 मिलियन) लोग गरीबी से जूझ रहे हैं। वहीं दक्षिण एशिया में यह संख्या 40.2 करोड़ ((402 मिलियन) दर्ज की गई है।

कई देशों में दोगुनी है बहुआयामी गरीबी

जारी रिपोर्ट बताती है कि गरीबी रेखा से नीचे के लगभग 40 प्रतिशत यानी 455 मिलियन लोग युद्ध और अस्थिरता का सामना करने वाले देशों में रहते हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है, “इसमें युद्धग्रस्त देशों में रहने वाले 218 मिलियन लोग, नाजुक या संघर्ष-प्रभावित स्थितियों में रहने वाले 335 मिलियन लोग और बहुत कम या कम शांति वाले जगहों पर रहने वाले 375 मिलियन लोग शामिल हैं।” आगे बताया, “लगभग 289 मिलियन (25.1%) लोग, इन तीन स्थितियों में से दो या अधिक का अनुभव करते हैं, जबकि 184 मिलियन (16%) तीनों परिस्थितियों का अनुभव करते हैं।”

युद्ध से प्रभावित देशों में, कुल गरीबी दर 34.8 प्रतिशत है, जो संघर्ष रहित देशों में 10.9 प्रतिशत से काफी अधिक है। रिपोर्ट में कहा गया कि नाजुक, संघर्ष-प्रभावित और कम-शांति वाले देशों में बहुआयामी गरीबी दोगुना से भी अधिक है।

ग्रामीण क्षेत्रों में है अधिक गरीब लोगों की संख्या

रिपोर्ट बताती है कि 83 प्रतिशत से अधिक गरीब लोग ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं, जहां गरीबी दर शहरी क्षेत्रों की तुलना में अधिक है। वैश्विक स्तर पर 28 प्रतिशत ग्रामीण आबादी गरीब है, वहीं शहरी आबादी में 6.6 प्रतिशत लोग गरीब हैं।

इसमें यह भी बताया गया है कि 1.1 बिलियन लोग बुनियादी ज़रूरतों से भी वंचित है। 828 मिलियन लोगों के पास पर्याप्त स्वच्छता नहीं है, 886 मिलियन के पास उचित आवास की कमी है। वहीं 998 मिलियन लोगों के पास खाना पकाने के ईंधन तक पहुंच नहीं है।

लोगों के एक महत्वपूर्ण हिस्से के पास आवश्यकताओं की कमी है: 828 मिलियन के पास पर्याप्त स्वच्छता नहीं है, 886 मिलियन के पास उचित आवास की कमी है और 998 मिलियन के पास खाना पकाने के ईंधन तक पहुंच नहीं है। इसके अलावा, आधे से अधिक लोग कुपोषित व्यक्ति के साथ रहते हैं, जिनकी कुल संख्या 637 मिलियन है।

भारत जहां खुद को विकासशील देश कहता है,वहां लोगों को मूलभूत ज़रूरतें भी नहीं मिल पा रही हैं जिससे लोग गरीब से अत्याधिक गरीब व बहुआयामी गरीबी में आ गए हैं। पेश की गई यह रिपोर्ट देश के विकासशील मॉडल व मूलभूत सुविधाओं का लाभ देने वाली तथाकथित योजनाओं पर सवाल उठाती है और पूछती है कि आखिर कहां है विकास और मानव जीवन के लिए ज़रूरी मूलभूत सुविधाएं?

(स्त्रोत – डाउन टू अर्थ, स्क्रॉल.इन )  

 

‘यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’

If you want to support  our rural fearless feminist Journalism, subscribe to our  premium product KL Hatke

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *