पिछले छह महीने में छः बड़े हादसे हुए, जिनमें कुल 350 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। लगातार एक के बाद एक घटनाएं होती गई।
इस साल 2025 की शुरूवात से ही देश में कई बड़ी घटनाएं हुई जो बेहद दर्दनाक और दुखद रही। जनवरी से लेकर जून तक देश ने एक के बाद एक ऐसे छः बड़े हादसे देखे जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। कुंभ भगदड़, पहलगाम अटैक, नई दिल्ली रेलवे स्टेशन की भगदड़, मुंबई ट्रेन हादसा, बेंगलुरु भगदड़ और फिर अहमदाबाद प्लेन क्रैश। इन सभी घटनाओं में लगभग 350 लोग मारे गए और जितने लोग बच पाए उनमें कई लोग ज़िंदगी भर के लिए घायल हो गए और कईयों के परिवार बिखर गए।
इतने बड़े-बड़े हादसे होने के बाद एक ही सवाल उठता है कि क्या आम इंसानों की ज़िंदगी कीड़ों-मकोड़ों जैसी हो गई है? क्या भीड़ में दब कर मर जाना, किसी हमले या हादसे में मिट जाना अब इतना सामान्य हो गया है कि लोग सिर्फ दो मिनट का शोक मनाकर आगे बढ़ जाते हैं? ऐसी स्थिति को देखकर ऐसा लगता है मानो ज़िंदगी की कोई अहमियत ही नहीं। हर बड़ी घटना के बाद कुछ दिन तक अफ़सोस जताया जाता है, मुआवजे की घोषणा होती है, जांच के आदेश दिए जाते हैं और फिर सब कुछ सामान्य हो जाता है।
इस साल की बड़ी घटनाओं ने सिर्फ व्यक्ति के जीवन को प्रभावित नहीं किया है बल्कि समाज और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए हैं। इस लेख में इस साल यानी 2025 के बीते छः महीनों में देश में घटी छः बड़ी घटनाओं के बारे में विस्तार से बात करेंगे।
जनवरी 2025 में प्रयागराज के महाकुंभ में हुई भगदड़
महाकुंभ को हिंदू धर्म में एक पवित्र पर्व उत्सव के रूप में मनाया जाता हैं और इस वर्ष, 13 जनवरी से 26 फरवरी 2025 तक प्रयागराज में आयोजित हुए कुंभ मेले में इस बार 66 करोड़ लोगों ने स्नान किया। दरसल इस बार के महाकुंभ को महासयोंग बताते हुए 144 वर्ष बाद सबसे शुभ बताया गया, इस दौरान महाकुंभ में 29 जनवरी बुधवार को मौनी अमावस्या के मौके पर संगम तट के पास भगदड़ मच गई।
इस हादसे में तात्कालिक रिपोर्ट के अनुसार 30 से अधिक लोगों की जान चली गई और 60 से ज़्यादा लोग घायल होने का दावा किया। घटना के 16 घंटे बाद प्रशासन ने अधिकारिक रूप से इसकी पुष्टि की। उत्तर प्रदेश सरकार ने न्यायिक जांच के आदेश दिए और मृतकों के परिजनों को 25-25 लाख रुपए की सहायता भी प्रदान की।
वैसे हाल ही में बीबीसी के गंभीर रूप से जांच पड़ताल के बाद सामने आया कि भगदड़ में सिर्फ 30 नहीं उससे भी अधिक लोगों की मौत हुई है और लोग अनगिनत रूप से घायल भी हुए हैं।
इस भगदड़ का डर और दुख भुलाया भी नहीं गया था और फिर फरवरी में दूसरी घटना होती है नई दिल्ली के रेलवे स्टेशन पर।
15 फरवरी 2025 को नई दिल्ली के रेलवे स्टेशन में भगदड़
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर 15 फरवरी 2025 को रात करीब 9:26 बजे भगदड़ मची। इस समय लोग महाकुंभ के लिए प्रयागराज जाने वाली ट्रेनों का इंतजार कर रहे थे। यह हादसा प्लेटफॉर्म 14 और 15 पर हुआ,महाकुंभ जाने के लिए स्टेशन पर शाम 4 बजे से भीड़ जुटने लगी थी।रात को करीब 8:30 बजे प्रयागराज जाने वाली 3 ट्रेनें लेट हो गईं, जिससे भीड़ भी बढ़ने लगी साथ ही गाड़ी का प्लेटफॉर्म 14 से 16 नंबर बदला गया। इससे वहां अत्यधिक भीड़ और अव्यवस्था के कारण अफरातफरी और भगदड़ मच गई।मरने वालों में 14 महिलाएं और 4 पुरुष शामिल हैं। इनमें 4 बच्चे हैं। इस भगदड़ में 25 से ज्यादा लोग घायल भी हुए। हादसा प्रयागराज के लिए विशेष ट्रेन की घोषणा और प्लेटफॉर्म बदलने की अफवाह के चलते हुआ था। फुट ओवरब्रिज पर यात्री एक-दूसरे पर गिर गए। इस दौरान हालात काबू करने के लिए आरपीएफ के जवान भी पर्याप्त संख्या में तैनात नहीं थे।
हादसे की जांच के लिए रेलवे ने दो सदस्यीय कमेटी बनाई गई है। इसमें उत्तर रेलवे के दो अधिकारियों नरसिंह देव और पंकज गंगवार को शामिल किया गया है। कमेटी ने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के सभी CCTV वीडियो फुटेज को सुरक्षित करने का आदेश दिया है।वहीं, दिल्ली पुलिस ने भी घटना की जांच शुरू कर दी है। जांच की जिम्मेदारी डीसीपी रैंक के अफसर को दी गई है।
इस हादसे के ठीक एक महीने बाद ही जम्मू कश्मीर के पहलगाम में बड़ा हादसा हुआ।
22 अप्रैल 2025, जम्मू कश्मीर के पहलगाम में आम नागरिकों पर हमला
कश्मीर में पर्यटकों को निशाना बनाकर किए गए सबसे घातक आतंकवादी हमले में 22 अप्रैल को अनंतनाग ज़िले के पहलगाम के पास सुरम्य बैसारन घाटी में कम से कम 26 लोग मारे गए. ज़िंदा बचे लोगों के मुताबिक़, सेना की वर्दी में तीन से चार लोग दोपहर 2 बजे के आसपास घने देवदार के जंगलों से उतरे और ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ के नाम से मशहूर हरे-भरे घास के मैदानों में आनंद ले रहे नागरिकों पर अंधाधुंध गोलीबारी की. केंद्रीय एजेंसियों के सूत्रों के मुताबिक, प्रतिबंधित पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा (LET) के एक शैडो ग्रुप, द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने आतंकवादी हमले की ज़िम्मेदारी ली है. इस घटना के बाद जम्मू कश्मीर सरकार ने सभी ट्रैकिंग गतिविधियों पर रोक लगा दी।
बताया जाता है कि आतंकवादियों ने पर्यटकों पर गोली चलाने से पूर्व उनका धर्म पूछा और कलमा पढ़ने को कहा गया. इस घटना के बाद मचे आक्रोश और निंदा के बीच हमलें में जान गवाने वाले भारतीय नौसेना के लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की पत्नी हिमांशी की अपने पति के शव के बगल में बैठी कचोट देने वाली तस्वीर वायरल हुई. जिसने पूरे देश को शोकमय कर दिया.
पाकिस्तान पर आतंकवादी समर्थक के आरोपों के साथ जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद जवाबी कार्रवाई करते हुए भारतीय सेना ने 6-7 मई की रात को ‘ऑपरेशन सिंदूर‘ के तहत पाकिस्तान और PoK (पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर) में 9 आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक किया गया.इसी बीच भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध की स्थिति भी देखा गया । उस युद्ध के दौरान भी कई भारतीय नागरिकों की जान गई सीमाओं से लगे कितनों के घर ढह गए, कुछ लोग गंभीर रूप से घायल भी हुए जिसकी कहीं कोई खबर नहीं। इसके मौत की संख्या कहीं नहीं गिनती में देखने को मिला।
4 जून 2025, आइपीएल जीत, बेंगलुरु भगदड़
ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए आईपीएल 2025 सीजन को एक सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया गया था जिसे बाद में पुनः शुरू करने के आदेश के साथ आईपीएल के 18वां सत्र में 3 जून को खेले गए फाइनल मैच में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (आरसीबी) ने पंजाब किंग्स को हरा कर आईपीएल की ट्रॉफी जीतने वाली आठवी टीम बनी। इसके अलावा आरसीबी के फैन्स के लिए यह बड़ा दिन था क्यूंकि आरसीबी पूरे 18 साल बाद अपना पहला आईपीएल ट्रॉफी जीता था,
ठीक अगले महीने 4 जून 2025 बुधवार को बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम में होने वाली आरसीबी की जीत की जश्न से पहले स्टेडियम के बाहर भगदड़ मच गई। इसमें करीब 11 लोगों के मौत हो गई और कई घायल हो गए। मीडिया खबरों के मुतबिक भगदड़ में 47 लोग घायल हुए। एक बार फिर लोगों की जान गई और कुछ के परिवार बिखर गए। हालांकि सवाल उठता हैं कि क्या यह घटना प्रशासन और प्रबंधन से हुई चूक का नतीजा नहीं हैं जहाँ जश्न का माहौल एक मातम में बदल गया।
9 जून 2025, महाराष्ट्र के मुंबई में हुआ ट्रेन हादसा
पहलगाम में आतंकी हमले के बाद देश में ऑपरेशन सिंदूर चल ही रहा था की एक महीने बाद मुंबई में एक ट्रेन हादसा हुआ, जिसमें फिर से आम लोगों की जान गई। दरअसल मुंबई के मुंब्रा रेलवे स्टेशन के नजदीक 9 जून सोमवार की सुबह चलती लोकल ट्रेनों से 10 यात्री नीचे गिर गए, इनमें से 4 की मौत हो गई, जबकि 13 घायल हो गए। मरने वालों में जीआरपी कॉन्स्टेबल भी शामिल है। ये सभी ट्रेन के गेट पर खड़े थे। घटना सुबह 9:30 बजे मुंब्रा के आगे दिवा और कोपर रेलवे स्टेशनों के बीच हुई।
रेलवे के मुताबिक संभवतः ये यात्री ट्रेनों के फुटबोर्ड से लटके हुए थे। विपरीत दिशा में ट्रेनों के नजदीक से गुजरने कके समय उनके बैग एक-दूसरे से टकरा गए, ऑफिस टाइम होने के कारण ट्रेन में भीड़ भी ज्यादा थी, जिससे यह हादसा हुआ.यह हादसा ट्रेन में अत्यधिक भीड़ और सुरक्षा उपायों के कमी के कारण हुआ। महाराष्ट्र सरकार इस घटना के जांच के आदेश दिए और और रेलवे प्रशासन को ज़िम्मेदार ठहराया, साथी ही दोषी के ख़िलाफ़ उचित कार्रवाई करने की बात कहीं । इस तरह के किसी बड़े हादसे के बाद आरोप प्रत्यारोप के अलावा और कुछ भी देखने को नहीं मिलता। दोबारा इस तरह की घटनाएं ना हो इसके लिए कार्यवाही देखने को नहीं मिलती ।
12 जून 2025 गुजरात, अहमदाबाद प्लेन क्रैश
12 जून 2025 को अहमदाबाद हवाई अडडे से लंदन जाने के लिए उड़ान भरने वाले एयर इंडिया के बोइंग 787 ड्रीमलाइनर विमान उड़ान भरने के कुछ ही समय बाद नीचे गिर गया और दुर्घटनाग्रस्त हो गया।इस हादसे में विमान में सवार 242 यात्रियों में से 241 की मौत हो गई। इस हादसे में केवल एक व्यक्ति ही बच पाया।विमान बी.जे. मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल में गिरा जिससे उस समय हॉस्टल में रहे 28 लोग जमीन पर ही मारे गए। प्रारंभिक जांच में इंजन में खराबी और आपातकालीन पावर सिस्टम के सक्रिय होने की संभावना जताई गई।
अगर देखें तो सरकारें आती-जाती रहती हैं, नीतियां बनती-बिगड़ती हैं लेकिन आम आदमी हर बार सबसे बड़ा नुक़सान का शिकार होता है। ये हादसे सिर्फ खबरों की सुर्ख़ियां नहीं है ये उन लोगों की टूटी हुई दुनिया हैं जिन्होंने अपनो को खोया है।अब जरुरत सिर्फ दुख जताने की नहीं है बल्कि ये सोचने की है कि आम लोग हर बार इतने असहाय क्यों साबित हो जाते हैं? क्या देश में सिस्टम इतना कमजोर है की इंसानी ज़िंदगी वाकई अब आंकड़ों और मुआवज़ों तक सिमटकर रह गई है?
इन घटनाओं ने यह स्पष्ट कर दिया कि बड़े आयोजनों और सार्वजनिक स्थानों पर सुरक्षा प्रबंधों की जरुरत अधिक महत्वपूर्ण है। प्रशासनिक लापरवाही, अपर्याप्त सुरक्षा उपाय और आपातकालीन प्रतिक्रिया की कमी ने इन हादसों को और गंभीर बना दिया। सरकारों और संबंधित एजेंसियों को इन घटनाओं से सीख लेकर भविष्य में ऐसी घटनाओं को बार बार होने से रोकने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।
यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’