एम्स के एंडोक्राइनोलॉजी एवं मेटाबॉलिज्म विभागविशेषज्ञ प्रोफेसर डॉ. रवींद्र गोस्वामी ने जानकारी दते हुए कहा कि किसी भी आयु सीमा वाले लोग डॉक्टरों की सलाह के अनुसार, विटामिन डी लेने के बारे में सोच सकते हैं। विटामिन डी की कमी को पूरा करने के लिए लोग कोलेकैल्सीफेरॉल 60,000 आईयू की विटामिन डी का स्तर जाने बिना इसे ले सकते हैं।
![Increasing pollution in Delhi could lead to vitamin D deficiency, say AIIMS experts](https://khabarlahariya.org/wp-content/uploads/2024/11/Screenshot-2024-11-28-at-2.07.38-PM.png)
राजधानी दिल्ली के इंडिया गेट की तस्वीर जहां धुंध व प्रदूषण दोनों देखा जा सकता है ( फोटो साभार – सोशल मीडिया)
दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण को लेकर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के विशेषज्ञों ने शरीर में विटामिन D की पूर्ति को लेकर सलाह दी है। इस दौरान शरीर में विटामिन डी की कमी को पूरा करना बेहद जरुरी है। विटामिन D जिसका सबसे अच्छा स्त्रोत सूर्य के प्रकाश यानी धूप को माना जाता है और यह हमारे शरीर में विटमिन डी की कमी को पूरा करता है, लेकिन सर्दियों में धुंध होने की वजह से धूप निकलना मुश्किल हो जाता है जिससे आने वाले समय में विटामिन डी की कमी हो सकती है। इससे बचने के लिए हमें पहले से ही विटामिन डी के स्तर को बनाए रखने की जरूरत है।
एम्स के एंडोक्राइनोलॉजी एवं मेटाबॉलिज्म विभागविशेषज्ञ प्रोफेसर डॉ. रवींद्र गोस्वामी ने जानकारी दते हुए कहा कि किसी भी आयु सीमा वाले लोग डॉक्टरों की सलाह के अनुसार, विटामिन डी लेने के बारे में सोच सकते हैं। विटामिन डी की कमी को पूरा करने के लिए लोग कोलेकैल्सीफेरॉल 60,000 आईयू की विटामिन डी का स्तर जाने बिना इसे ले सकते हैं।
कोलेकैल्सीफेरॉल 60,000 आईयू (Cholecalciferol IU) क्या है?
कोलेकैल्सीफेरॉल 60,000 आईयू एक प्रकार की दवा का नाम है जिसका इस्तेमाल विटामिन डी की कमी को पूरा करने के लिए किया जाता है। एम्स के विशेषज्ञ प्रोफेसर डॉ. रवींद्र गोस्वामी कि इस दवा का इस्तेमाल सक्रिय रूप से और इंजेक्शन (analogues and injectables) नहीं लेना चाहिए क्योंकि इससे किडनी संबंधी रोग हो सकते हैं। डॉक्टर द्वारा कोलेकैल्सीफेरॉल को अच्छा और सबसे किफायती माना गया है। इसका अनावश्यक सेवन करने से हृदय संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
आपको बता दें कि विटामिन डी की कमी होने से हड्डियों और मांसपेशियों में समस्या पैदा हो सकती है जिसमें जोड़ों में दर्द होना आम है। बढ़ती उम्र के साथ विटामिन डी की कमी को पूरा करना हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी जरुरी है।
विटामिन D की कमी किन लोगों में?
द वायर की रिपोर्ट के मुताबिक डॉ. गोस्वामी ने जानकारी दी कि जब लोगों में ‘विटामिन डी’ का आंकलन किया गया तो उसमें बाहर काम करने वालों की अपेक्षा घर पर काम करने वालों में अधिक कमी पाई गई क्योंकि उन्हें धूप नहीं मिल पाती। उन्होंने कहा, “बाहर काम करने वाले जैसे फेरीवाले या स्ट्रीट वेंडर, ईंधन स्टेशन अटेंडेंट, मैनुअल ऑटो रिक्शा चालक, यातायात पुलिस कर्मी और माली के बीच विटामिन डी की स्थिति का आंकलन करने पर पाया गया कि बिना किसी पूरक के सुबह 10 बजे से दोपहर 2 बजे तक पर्याप्त धूप में रहने से उनमें विटामिन डी का स्तर 20 नैनोग्राम प्रति मिलीलीटर के करीब था।”
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