लड़कियों के साथ होते उत्पीड़न या छेड़छाड़ की खबरें हमें आये दिन सुनने को मिलती रहती है। इसको रोकने के जितने प्रयास किये जा रहे हैं उतना ही क्राइम और बढ़ता चला जा रहा है। अभी हाल ही में बाँदा जिला में बेटियों के साथ छेड़खानी के मुकदमे के चलते एक बाप की जान ले ली गई। जब ऐसी खबरे सुनने को मिलती है तो दिल और दहल उठता है और बाकी लोगो का हौसला भी काम होने लगता है। इन्हीं सबके चलते बाकी लोग अपनी बेटियों को कहीं बाहर जाने या आगे बढ़ने से रोकते हैं , यह कितने हद तक सही है ?
आये दिन लड़कियों के साथ हो रही ऐसी घटनाओं पर खबर लहरिया की रिपोर्टिंग टीम ने कुछ महिलओं से इसपर बात की और जाना कि ऐसी घटना के बारे जब इनको पता चलता हैं तो उनके मानसिक स्वास्थ्य पर कितना असर पड़ता है?
लगभग सारी लड़कियों ने यही बताया कि उन्हें बहुत सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। आये दिन सड़कों पर होती बोल-बाज़ी को सहन करना फिर देर रात आने पर घरवालों की बेचैनी को महसूस करना, आस-पास कुछ ऐसी घटना हो जाये और फिर घरवालों का इन लड़कियों के बहार जाने पर रोक लगाना, ऐसी कई सारी चुनौतियों का उन्हें सामना करना पड़ता है।
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लड़कियों से बात करने पर यह भी पता चला कि प्रशासन कितनी ढीली है और वह कितना काम करती है। सरकार द्वारा जो हेल्पलाइन न. लागू किये गए हैं वह कितने हद्द तक काम करते हैं। इस पर कुछ लड़कियों का कहना है कि कई बार तो नंबर नहीं लगता और कई बार तो देरी से फ़ोन उठाया जाता है। कुछ लोगो का कहना है कि नंबर का कोई फायदा नहीं है क्योंकि प्रशासन जब तक कोई कार्यवाही करती है तब घटना हो जाती है और वह आगे इसपर कुछ नहीं करती।
इन लड़कियों का यही कहना है कि अगर कोई ऐसी घटना हो जाए तो कोई भी लड़की हिम्मत न हारे, डट कर उस हालात का सामना करे और प्रशसन को चाहिए कि कोई ऐसी घटना का अगर उनको पता चलता है तो वह जल्द से जल्द इस पर एक्शन ले और काम करे तभी हम लड़कियाँ खुद को सुरक्षित महसूस कर पाएंगी।
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हाँ ऐसी घटना मे हम साथ देने के लिए तैयार है जहाँ महिलाओ की सुरक्षा की जरूरत है