2014 में स्वछता अभियान के तहत जिला वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कहा गया था कि हर गाँव और कस्बे में शौचालय बनवाया जायेगा। लेकिन आज छह साल बाद भी यूपी के ऐसे कई गाँव है, जहां आज भी कोई शौचालय नहीं बनाया गया है। ब्लाक चिरई गाँव जयरामपुर के स्थानीय लोगों का कहना है कि उनके गाँव में तकरीबन 50 शौचालय अधूरे पड़े हुए हैं। जिसे आज तक पूरा नहीं बनाया गया। साथ ही लोगों के पास इतने पैसें नहीं की वह बालू,सीमेंट और ईंटे खरीदकर अधूरा शौचालय बनवा पाएं।
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आज भी गाँव की बहु-बेटियों को शौच के लिए खुले में जाना पड़ता है। हमेशा उन्हें किसी न किसी तरह का हादसा होने का डर सताता रहता है। लोगों का कहना है कि कई बार लोग गाँव में शौचालय को देखने आये और देखकर चले गए। लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया। गाँव की प्रधान रीता के पति का कहना है कि शौचालय का सामान भी दे दिया गया है और शौचालय भी बन गया है। वहीं सहायक विकास अधिकारी शीताराम आईएस का कहना है कि उन्होंने अधूरे शौचालय को लेकर अधिकारीयों को प्रस्ताव भेज दिया है।
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जैसे ही प्रस्ताव को मंज़ूरी मिल जायेगी, सबका शौचालय बनवा दिया जायेगा। यहां प्रधान के पति और सहायक विकास अधिकारी की बातें बिल्कुल भी मेल नहीं खाती। प्रधान के पति का कहना है कि शौचालय का काम पूरा हो गया है वहीं सहायक विकास अधिकारी ने शौचालय बनवाने के लिए प्रस्ताव भेजा है। इसका तो मतलब है कि छह सालों में शौचालय का काम शुरू तो किया गया, पर खत्म नहीं किया गया। क्या नियुक्त अधिकारीयों को इस बात की समीक्षा नहीं करनी चाहिए थी कि योजना के तहत हर गाँव में शौचालय बना है या नहीं ? शौचालय का ना होना महिलाओं के साथ होती वारदातों को भी बढ़ावा देता है। ऐसे में सरकार या अधिकारी के पास क्या जवाब है कि शौचालय का काम पूरा क्यों नहीं किया गया ?