गांव के लालजी राय ने बताया कि, “अगर नल जल की व्यवस्था होती तो घर की महिलाएं आसानी से घर से ही पानी भर सकती थीं, लेकिन अब उन्हें पानी भरने के लिए दूर तक जाना पड़ता है। पानी लाने में बहुत समय लग जाता है जिसका प्रभाव घर के अन्य काम पर भी पड़ता है। इसके अलावा, जानवरों को पानी पिलाना, खेतों में काम करना और घर के कामकाज में भी पानी की आवश्यकता होती है।”
रिपोर्ट – सुमन, लेखन – सुचित्रा
भारत सरकार की “नल जल” योजना का उद्देश्य हर घर में पाइप के जरिए पानी की समस्या को मिटाना था, ताकि ग्रामीण इलाकों में लोगों को स्वच्छ पानी मिल सके। यह योजना देश भर के विभिन्न राज्यों में लागू की गई है, और बिहार में इसे 2019 में शुरू किया गया था। बिहार के कई गांवों में यह योजना अभी तक पूरी तरह से लागू नहीं हो पाई है। इसका एक उदाहरण है पटना जिले के फुलवारी ब्लॉक के धर्मचक गांव, जहां नल जल की सप्लाई न होने से गांव वाले परेशान हैं।
धर्मचक गांव में पानी की किल्लत
धर्मचक गांव, जो ढिबरा पंचायत के वार्ड नंबर 8 में स्थित है। यहां नल जल योजना की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। गांव के लोग अभी भी पानी के लिए संघर्ष कर रहे हैं। कुछ लोग दूर-दराज से पानी लाने के लिए मजबूर हैं, और कई बार पानी को लेकर झगड़े भी होते हैं।
गांव के लालजी राय ने बताया कि, “अगर नल जल की व्यवस्था होती तो घर की महिलाएं आसानी से घर से ही पानी भर सकती थीं, लेकिन अब उन्हें पानी भरने के लिए दूर तक जाना पड़ता है। पानी लाने में बहुत समय लग जाता है जिसका प्रभाव घर के अन्य काम पर भी पड़ता है। इसके अलावा, जानवरों को पानी पिलाना, खेतों में काम करना और घर के कामकाज में भी पानी की आवश्यकता होती है।”
महिलाओं को हो रही दिक्कत
फुलझड़ी देवी ने बताया कि उनका घर धर्मचक गांव के सामने वाले गांव कनकट्टी चक के पास है। वहां नल जल की व्यवस्था पहले ही कर दी गई थी। लेकिन उनके गांव में अभी तक जल नहीं आया। उन्होंने कहा, “हमारे गांव में नल जल की कोई उम्मीद नहीं थी। हमारे पास दो चापाकल (नल) हैं, जिसमें से एक खराब है। गर्मियों में दोनों ही खराब हो जाते हैं, और तब हमें पानी के लिए दर-दर भटकना पड़ता है।”
उर्मिला देवी ने बताया कि उन्हें सुबह का खाना बनाने के लिए रात में ही पानी भरना पड़ता है। अगर पानी की कमी हो जाती है तो उनका दिन बिना खाए ही शुरू होता है। बच्चों के स्कूल जाने के लिए भी पानी की समस्या बनी रहती है। कभी-कभी मेहमानों को भी पानी की कमी का सामना करना पड़ता है। ऐसे में उन्हें दूसरों के घर जाकर पानी मांगना पड़ता है।
गांव की आबादी
धर्मचक गांव में कुल 300 घर हैं और लगभग 100 वोटर हैं। वैसे तो गांव में 3 जाति के लोग रहते हैं जिनमें कुर्मी, यादव ओर मांझी शामिल है। यहां सबसे ज्यादा यादव जाति के लोग रहते हैं। दूसरे नंबर पर मांझी फिर कुर्मी। मांझी थोड़ा दूर पर बसे है पर परेशानियां सबकी तरफ बराबर है।
गांव वाले कहते हैं कि जब मुखिया का चुनाव हुआ था, तो उन्होंने उम्मीद जताई थी कि उनके गांव में नल जल की सुविधा आएगी, लेकिन अब तक कोई सुधार नहीं हुआ। गांव वासियों का आरोप है कि मुखिया ने कभी भी उनके गांव की समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया।
समरसेबल (बोरवेल) की व्यवस्था के लिए कर्जा लेने को मजबूर
विपिन कहते हैं कि, “हमने मुखिया को कई बार कहा, लेकिन उन्होंने हमेशा यही कहा कि जल्द ही काम होगा लेकिन कुछ भी नहीं हुआ।” गांव में पानी की स्थिति इतनी खराब है कि लोग अपने घरों में समरसेबल (बोरवेल) लगवाने के लिए कर्ज लेने तक को मजबूर हो गए हैं, लेकिन वह भी गर्मियों में सही से काम नहीं करता है। समरसेबल के लिए खुदाई ठीक से नहीं हो पाती, और गर्मियों में पानी की कमी हो जाती है।”
उन्होंने यह भी बताया कि सरकार की नल जल योजना सिर्फ कागजों पर ही दिखाई देती है, जबकि जमीनी स्तर पर इसका कोई असर नहीं है। वे कहते हैं, “यह योजना अगर कागज पर होती है, तो ठीक है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है।”
मुखिया का जवाब
धर्मचक गांव के मुखिया सौरभ कुमार ने बताया कि वार्ड नंबर आठ में तीन चापाकल हैं, जिसमें से एक खराब हो गया है और बाकी दो में से एक काम करता है। उनका कहना था कि “नल जल की व्यवस्था के लिए अभी बजट और नियम नहीं आए हैं, जैसे ही बजट मिलेगा, हम काम शुरू कर देंगे।” उन्होंने यह भी कहा कि अभी पानी के लिए एक चापाकल है, जो परमानेंट चलता रहता है।
नल जल योजना सिर्फ कागजों में
गांव वालो का कहना है कि नल जल योजना कागज पर तो है, लेकिन जमीनी स्तर पर इसका कोई असर नहीं दिखता। धर्मचक गांव के लोग थक चुके हैं और महसूस करते हैं कि जब तक चुनाव नजदीक आते हैं, तब तक ही उनकी समस्याओं का समाधान किया जाता है। इसके बाद, उन्हें कोई महत्व नहीं दिया जाता।
खंड विकास अधिकारी का बयान
फुलवारी शरीफ ब्लॉक स्तर के खंड विकास अधिकारी (बीडीओ) रोहित कुमार शर्मा ने बताया कि ये जिम्मेदारी मुखिया की है। हमारे पस इन सब की कोई शिकायत या एप्लीकेशन नही आई जिसको लेकर मैं इसकी कोई जानकारी दे पाऊं।
खबर लहरिया की रिपोर्ट में पाया गया कि गांव में नल जल की व्यवस्था नहीं है, लेकिन गांव वाले ज्यादातर चुप रहते हैं। इसका कारण यह है कि वे यह मानते हैं कि लंबे समय से अपनी समस्याओं को उठाने के बावजूद कोई सुनवाई नहीं हुई। ऐसे में वे यह सोचते हैं कि पत्रकार से बात करने का कोई फायदा नहीं है, क्योंकि इससे कोई हल नहीं निकलेगा।
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