गांव की सड़क आपको अधिकतर टूटी-फूटी ही मिलेगी। गांव की रोड की ऐसी दुर्दशा इसलिए भी है क्योंकि इस रोड पर नेता कभी आएंगे ही नहीं और आयेंगे भी तो वही वोट के समय। इस बात की गारंटी देने कि ये सड़क जरूर बन जाएगी। सड़क जो पक्की होने के इंतजार में मरती, धसती चली जाती है। इन सड़क की चीखें सिर्फ गांव वालों को ही सुनाई देती है।
लोकसभा चुनाव 2024: चुनाव आते ही लोगों के मन में एक उम्मीद फिर से जग जाती है कि शायद इस बार तो गांव में विकास होगा। गांव में विकास होने में बहुत समय लगता है। विकास के मामले में शहर की तुलना में गांव बहुत अधिक पीछे है और इसका कारण है वहां की सरकार। जो सिर्फ वोट के नाम पर जीतकर सिर्फ अपना हित ही सोचती है। सालों-साल रोड, आवास और अपनी निजी जरूरत की आस में लोग वोट देते हैं पर कोई परिणाम नहीं निकलता। जो गांव की हालत कई साल पहले थी आज भी वही है चाहे सरकार किसी की भी रही हो।
गांव में सड़क होना कितना जरूरी है और यह लोगों के जीवन को कैसे प्रभावित करती है? आप इस लेख से समझेंगे और उस दर्द को महसूस भी करेंगे। गांव की सड़क आपको अधिकतर टूटी-फूटी ही मिलेगी। गांव की रोड की ऐसी दुर्दशा इसलिए भी है क्योंकि इस रोड पर नेता कभी आएंगे ही नहीं और आयेंगे भी तो वही वोट के समय। इस बात की गारंटी देने कि ये सड़क जरूर बन जाएगी। सड़क जो पक्की होने के इंतजार में मरती, धसती चली जाती है। इन सड़क की चीखें सिर्फ गांव वालों को ही सुनाई देती है।
उत्तर प्रदेश के जैतपुर ब्लाक, तहसील- कुलपहाड़, थाना- अजनर, जिला महोबा के अंतर्गत आने वाले गांव सीगौन के रोड की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। अब फिर से चुनाव आने को है। गांव के लोगों को अब समझ आ गया है कि हर बार वोट दे कर नेता को जिताने से सड़क बनती नहीं है और ऐसी की ऐसी पड़ी रहती है। इसलिए गांव के लोगों ने ठान लिया है कि इस बार रोड जब तक नहीं बन जाती है, हम वोट नहीं देंगे।
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लोगों का निर्णय- वोट बहिष्कार
खबर लहरिया की रिपोर्टर को गांव के लोगों ने बताया कि लगभग 20 दिन पहले सीगौन गांव के पुरे लोग इकट्ठा हुए। वहां पर पंचायत लगाकर लोगों ने निर्णय लिया कि हमारे गांव की वोटर लगभग तीन हजार है। सिगौन से दौरिया तक रोड लगभग 3 किलोमीटर खराब पड़ी है। इसको लेकर हम वोट बहिष्कार करेंगे। गांव के आस-पास बैनर भी लगवा दिए। जिसमें लिखा हुआ है। –
समस्त ग्राम वासियों की यह है मांग
- सिगौन से दौरिया तक रोड डलवाया जाए
- रोड नहीं तो वोट नहीं
20 साल से रोड की हालत है खस्ता
गांव के वीरान श्रीवास्तव ने बताया कि, “दोरिया मोड़ से लेकर गांव सीगौन, लगभग 20 साल से रोड खस्ता हाल पड़ी हुई है। कई बार नेताओं से और तहसील जिला अधिकारी तक रोड बनवाने की सूचना पहुंचाई गई थी फिर भी रोड नहीं बनी है।”
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रोड न होने से शिक्षा पर पड़ता है असर
गांव में आठवीं कक्षा तक स्कूल बना हुआ है। आठ के बाद यहां लड़कियों की पढ़ाई भी बंद हो जाती है। रोड के कारण जिनके पैसा है। वह खुद की गाड़ियों में अपने बच्चों को नौगांव जोकि छतरपुर जिले का कस्बा है। वहां छोड़ने जाते हैं और लेने जाते हैं। बच्चों का भविष्य कैसे आगे सुधरेगा। अगर रोड होती तो नौगांव नज़दीक है। बच्चे वहां साइकिलों से भी जा सकते हैं।
कुछ बच्चे साईकिल से पढ़ाई के लिए जाते हैं फिर भी पढ़ाई जब 10:00 बजे की होती है तो टाइम से पहुंच जाते हैं। जिन बच्चों का 7:00 बजे का स्कूल हो गया तो स्कूल भी पहुंचने में देरी हो जाती है।
रोड न बनने से होते हैं कई हादसे
रमाबाई और परमी बताती है कि “ऐसा गांव तो हमने देखा ही नहीं है जहां पर रोड का नमूना बस हो और रोड का पता ना हो। हमारे गांव से 35 किलोमीटर जैतपुर ब्लॉक पड़ता है और हमारे गांव से 9 किलोमीटर नौगांव पड़ता है। जिसमें से 3 किलोमीटर रोड से निकलना मुश्किल पड़ जाता है। मोटरसाइकिल भी आए दिन गिरती रहती हैं इसीलिए हमने सब लोगों ने ठाना है कि इस साल हमें वोट ही नहीं देना है। जब हमें सरकार रोड नहीं दे सकती तो हम अपना वोट क्यों दें?”
आशा वर्कर को गर्भवती महिलाओं को अस्पताल ले जाने में होती है देरी
रेखा श्रीवास्तव जो आशा में काम करतीं हैं बताती हैं कि “अगर हम एंबुलेंस को फोन लगाते हैं तो एंबुलेंस वाले भी बहुत देर में हमारे गांव आते हैं। जैसे कि महिलाओं की डिलीवरी के लिए कोई समय निर्धारित नहीं होता है। कभी-कभार तो घर में ही डिलीवरी हो जाती हैं। इतना ही नहीं एक साल में अगर देखा जाए तो मेरे ही सामने तीन डिलीवरी रास्ते में हो गई। जो रास्ता 10 मिनट का है, वहां पर एक घंटा दो घंटा पहुंचने में नौगांव लगते हैं। नौगांव की लंबाई 9 किलोमीटर है। मेरी गांव की जनता वोट नहीं देती है तो मैं भी नहीं दूंगी।”
उन्होंने एक घटना का जिक्र भी किया। उन्होंने बताया कि “मेरे ही गांव की रानी की डिलीवरी होनी थी। 5.01.2024 को रानी का प्रसव कराना था। जिसको लेकर काफी देर तक एंबुलेंस का फोन लगाया। पहली बात तो एंबुलेंस का फोन लगा ही नहीं। लगा भी तो एंबुलेंस वालों ने कहा – कुछ देर में आ रहे हैं। एक घंटा बीत गया था फिर प्राइवेट गाड़ी की। नौगांव छतरपुर जिला ले गए बीच रास्ते में रानी ने बच्चे को जन्म दे दिया। जब रास्ते में ऐसे बच्चे हो जाते हैं तो जो महिला होती है, उसे बहुत शर्मिंदगी महसूस होती है क्योंकि बीच रास्ते से भी लोगों का आना-जाना बना रहता है।”
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गांव के प्रधान भी वोट बहिष्कार करने को तैयार
गांव के प्रधान ने बताया कि “सन 95 में हमारे गांव की रोड का डुमरीकरण हुआ था। तब से किसी तरह की रिपेयरिंग नहीं हुई है और बिल्कुल खस्ता हाल हो गई है। उमा भारती भी हमारे गांव में आई थी और वह भी आश्वासन दे गई थी रोड के लिए। चरखारी विधानसभा से जीत भी गई थी फिर भी रोड नहीं बना। चुनाव आते हैं तब भी नेताओं का दौरा होने लगता है। हमारे गांव में काफी दिन पहले उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य आए थे। मेरे ही घर में चाय-पानी किया था। तब भी उनसे रोड की मांग की गई थी। गांव आते हैं, कहते हैं बन जाएगी रोड। आखिर कब तक गांव की जनता वोट करती रहेगी और गांव की जनता के लिए रोड नहीं दिया जाएगा? इसीलिए मैं भी गांव की जनता के साथ में हूं। भले ही मैं ग्राम प्रधान हूं लेकिन मैं जनता को छोड़कर वोट नहीं करूंगा।”
पीडब्लूडी (लोक निर्माण विभाग) अधिकारी का बयान
गांव के लोगों ने बताया कि गांव में लोक निर्माण विभाग के अधिकारी भी आए थे। उन्होंने भरोसा दिलाया कि चुनाव के बाद आप के यहां रोड का काम हो जाएगा। आप अपना मत बर्बाद न करें और अपने पसंदीदा उम्मीदवार को वोट दें।
इस खबर की रिपोर्टिंग श्यामकली द्वारा की गई है।
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