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किसान आन्दोलन: दर्जनभर किसानों ने गंवाई जान

Farmer Movement: A dozen farmers lost their lives

सिंघु बॉर्डर पर कड़ाके की ठंड के बीच कृषि कानूनों को रद्द कराने की मांग को लेकर किसानों का धरना पिछले 21 दिनों से लगातार जारी है। इस आंदोलन के दौरान किसानों की मौत का सिलसिला भी जारी है। अब तक दर्जनभर किसानों की किसी न किसी वजह से मौत हो चुकी है।

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संत बाबा रामसिंह ने खुद को मारी गोली 

baba ramsingh

दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर किसानों के धरने में शामिल संत बाबा राम सिंह के बुधवार को खुद को गोली मार लेने की खबर आ रही है। बताया जा रहा है कि उन्होंने सिंघु बॉर्डर के पास आत्महत्या की है। साथी किसान उन्हें लेकर तुरंत पानीपत के पार्क अस्पताल पहुंचे, जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। किसान की पहचान करनाल के निसिंग कस्बे के गांव सिंगरा निवासी के बाबा राम सिंह के रूप में हुई है। उनका एक सुसाइड नोट भी सामने आया है।

सुसाइड नोट के मुताबिक, संत बाबा राम सिंह ने किसानों पर सरकार के जुल्म के खिलाफ आत्महत्या की है। बाबा राम सिंह किसान थे और हरियाणा एसजीपीसी के नेता थे। संत बाबा राम सिंह ने सुसाइड नोट में लिखा है कि किसानों का दुख देखा, वो अपना हक लेने के लिए सड़कों पर हैं। बहुत दिल दुखा है। सरकार न्याय नहीं दे रही है यह जुल्म है। जुल्म करना और जुल्म सहना भी पाप है।

 राहुल गांधी ने जताया दुख

राहुल गांधी ने ट्वीट किया कि करनाल के संत बाबा राम सिंह जी ने कुंडली बॉर्डर पर किसानों की दुर्दशा देखकर आत्महत्या कर ली इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएं और श्रद्धांजलि कांग्रेस सांसद ने आगे लिखा कि कई किसान अपने जीवन की आहुति दे चुके हैं मोदी सरकार क्रूरता की हर हद पार कर चुकी है जिद छोड़ो और तुरंत कृषि विरोधी कानून वापस लो

सीने में दर्द की वजह से एक और किसान ने तोड़ा दम

कुंडली बॉर्डर पर किसानों के धरने में बैठे पंजाब के एक किसान की मंगलवार (15 दिसम्बर) को मौत हो गई। समाचार पत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक मंगलवार दोपहर करीब पौने 1 बजे 74 वर्षीय किसान गुरमीत सिंह के सीने में दर्द उठा और उन्होंने दम तोड़ दिया। गुरमीत पंजाब के मोहाली के गांव कंडाला के रहने वाले थे।

दर्जनभर किसानों की हो चुकी है मौत 

Farmer Movement: A dozen farmers lost their lives

नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक सिंधु बॉर्डर पर ही 32 साल के किसान अजय मोर की मौत हो गई। वह सोनीपत के बरोदा के रहने वाले थे। संजय सिंह, किताब सिंह, गुरजंत सिंह, गुरुभाष सिंह, गज्जर सिंह, बलजिंदर सिंह, धन्ना सिंह और लखवीर सिंह की भी प्रदर्शन के दौरान मौत हो चुकी है। दिल्ली बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन से लौट रहे एक किसान की सड़क हादसे में मौत हो गई है। टीकरी बॉर्डर पर छह आंदोलनकारियों की मौत हो चुकी है। इनमें से ज्यादातर अधेड़ उम्र के थे। एक आंदोलनकारी की गाड़ी में जलने से और अन्य की हृदयाघात या अन्य कारणों से मौत हुई है। वहीं कुंडली बार्डर पर चार किसानों की मौत हो चुकी है। इनमें एक की सड़क हादसे व तीन की हार्ट अटैक से जान जा चुकी है।

किसानों की मौत का जिम्मेदार कौन?

सर्दी के कठिन मौसम में अपने कई साथियों को खो देने के बाद भी किसानों का हौसला कम नहीं हुआ है। वे अब भी कह रहे हैं कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जाती, वे यहां से नहीं हटेंगे। उन्होंने अपने साथ खाने-पीने की चीजों के अलावा दवाइयों आदि का भी इंतजाम किया है। ऐसे में सवाल है कि प्रदर्शन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों की मौत का जिम्मेदार कौन है?

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