खबर लहरिया कोरोना वायरस कोरोना काल में किसान बेहाल, इस पर भी बैंको की नोटिस ने किया बुरा हाल

कोरोना काल में किसान बेहाल, इस पर भी बैंको की नोटिस ने किया बुरा हाल

जिला बांदा कोरोना काल में किसान बेहाल, इस पर भी बैंको की नोटिस ने किया बुरा हाल :बुन्देलखण्ड का किसान एक तरफ सुखा ओलाविष्टी जैसी तमाम दैवीय आपदाओं कि मार झेल रहा और किसान बेहाल है| जिसके कारण कर्ज के बोझ से उबरने का नाम नहीं ले रहा और चिन्ता के भय से अपना जान गवां बैठता है अब दुसरी तरफ बैकों से कर्ज वसुली के लिए नोटिस और आर्सी भी किसानों को भेज दी गई हैं| जिसके कारण किसान बहुत ही परेशान है|

किसान नेता महेन्द्र त्रिपाठी किसान यूनियन तहसील अध्यक्ष अतर्रा ने बताया कि बांदा जिले में लगभग 24 हजार किसानों को कर्ज अदा करने के लिए आर्सी बैंक द्वारा भेजी गई है| जिससे गरीब किसान बहुत ही परेशान है उनका कहना है कि किसान कि दैनी स्थिति इतनी खराब है कि वह कर्ज भरने में सक्षम नहीं है और सरकार से बराबर मांग कर रहा है कि उनका जो भी कर्ज है वह माफ किया जाए और कर्ज अब कर्ज न दिया जाए जिससे किसान कर्ज मुख्त हो सके अगर दिया जाए तो बिना ब्याज का पर सरकार इसपर ध्यान नहीं दे रही और किसानों को कर्ज लेने के लिए मजबूर कर रही है| जैसे कि किसान सम्मान योजना के तहत जिन किसानों को लाभ मिल रहा है उनके अब क्रेडिट कार्ड बनाए जा रहे है और उसमें कर्ज दिया जाएगा| फिर जब किसान कर्ज नहीं भर पता तो उनको बैंक से नोटिस और आर्सी भेजी जाती है| जिससे कि उनकी जमीन हडपी जा सके|
रिसौरा गांव के किसानों का कहना है कि उनके गांव में सैकड़ो नोटिस आई है और कई किसानों को आर्सी भी आई हैं| जिससे उन्हें डर बना हुआ है कि उनकी जमीन न चली जाए| कुछ किसानों का तो ये भी कहना है की जनवरी के महीने में बैंक मैनेजर आ कर कुडकी की धमकी भी दे गया है पर क्या करें ठीक से पैदा वार ही नहीं होती तो कर्ज भरे या परिवार पाले
महरानी गांव के किसानों का कहना है कि पिछली साल नोटिस आई थी पर उनका भी पैसा नहीं भरा इस लिए बैंक वाले परेशान करते है| जब कोई उपाय न मिले गा पैसा भरने का तो आत्महत्या कर लेंगे या तो सरकार ब्याज माफ कर दे तो किसी तरह भर सकते हैं|

नरैनी इलाहाबाद बैंक के मैनेजर ने अॉफ कैमरा भताया है कि नोटिस ऊपर से बनकर आती हैं हर साल फसल के समय जब फसल आ जाती है तो यहाँ पर राजिस्टर में सिर्फ चढाई जाती लेकिन लोग नहीं भरते हैं| अगर यह लिखकर भेज दिया जाए नोटिस में की छूट है तो लोग आते हैं वरना नहीं और रही बात आरसी की तो आरसी भेजने तक नौबत ही नहीं आती है और ऊपर से आदेश आ जाता है कि रोक लगा दो क्योंकि कोई भी किसान खत्म हो जाता है तो वह कह देता है कि बैंक का दबाव था और बैंक से नोटिस आई थी इसके कारण मर गया तो पूरा आरोप बैंक के ऊपर ही आ जाता है ऐसे में बैंक क्या कर सकता है| उनके यहाँ से आर्सी किसी किसान को नहीं भेजी गई| जो नोटिस भेजी गई हैं उनका रिकॉर्ड उन्होंने दे दिया है|