सरकार स्वास्थ्य व्यवस्था कितना भी चुस्त दुरुस्त क्यों न कर देलेकिन आज भी बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के कारण तमाम जाने चली जाती हैं कभी समय पर एम्बुलेंश नहीं पहुँचता तो कभी डॉक्टर के व्यवहार की लापरवाही की वजह सामने आती है ऐसे ही तीन मामले पर चर्चा करेंगे जिसमें प्रसव के दौरान तीन अलग-अलग महिलाओं की मौत का मामला सामने आया था लेकिन कोई कार्यवाई नहीं हुई है
ताज़ा मामला चित्रकूट जिले के खुटहा गांव का है यहाँ 20 फरवरी 2021 को दिपाली नाम की एक टीचर की डिलेवरी के दौरान मौत हो गई दूसरा मामला मानिकपुर कस्बे का है, 3 अगस्त 2020 को गर्भवती महिला जो पेसे से नर्स थी उसको प्रसव पीड़ा हुई तो परिजनो ने एम्बुलेंस बुलाया, परिजनों का आरोप है कि एम्बुलेंस मे आक्सीजन नहीं था |
चित्रकूट: डॉकटर की लापरवाही से गर्भवती महिला की प्रसव के दौरान महिला की गई जान
जिससे उसकी मौत हो गई तीसरा मामला 2018 में इटखरी गाँव की एक महिला की डिलेवरी के दौरान मौत का मामला सामने आया था, जिसमें मृतक के पति रामचंद्र यादव का आरोप है कि उनकी पत्नी दर्द से तडपती रही लेकिन कोई भी नर्स व डाक्टर देखने नहीं आये, और उनकी पत्नी की मौत हो गई। डाक्टरों की लापरवाही यही ख़तम नहीं हो गई, आइए और विस्तार से जानते हैं की आगे क्या हुआ विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2017 में भारत में 35 हजार महिलाओं की मौत प्रसव के दौरान हो गई। और पूरे विश्व की बात करें तो 2.9 लाख महिलाओं की मौत प्रसव के दौरान बिगड़ी स्थितियों की वजह से हुई है।
देशभर में महिलाओं और नवजात बच्चों के भविष्य को लेकर केंद्र सरकार कई अहम कदम उठा रही है. गर्भवती महिलाओं और नवजात बच्चों के विकास को ध्यान में रखकर एक नहीं कई योजना बनाई गई है, जैसे प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, जननी सुरक्षा योजनाl लेकिन फिर भी कहीं न कहीं महिलाएं स्वास्थ्य व्यवस्था की लापरवाही की भेज चढ़ रही हैं तो सुना आपने गर्भवती महिलाओं की होने वाली मौतों को रोकने के लिए सरकार जहा समय-समय पर अभियान चलाकर उन्हें जागरूक करने का काम करती है तो वहीं इसके लिए जिम्मेदार अफसर ही सरकार की मंशा के साथ खिलवाड़ करते हैं।