खबर लहरिया चित्रकूट चित्रकूट: सपा के दीवाने और बीजेपी के बेगाने हुए मतदाता | UP Elections 2022

चित्रकूट: सपा के दीवाने और बीजेपी के बेगाने हुए मतदाता | UP Elections 2022

चित्रकूट: सदर विधानसभा का गांव धौरही माफी। यहां के लोग बदलाव चाहते हुए समाजवादी पार्टी को समर्थन की बात करते हुए बीजेपी पार्टी को खुला चैलेंज दे रहे हैं। पूरा का पूरा गांव और मजरे के ज्यादातर वोटर सपा पार्टी में वोट देने की बात करते नहीं थक रहे। बीजेपी पार्टी का काम विकास और योजनाओं का लाभ उनको रास नहीं आ रहा है।

रिपोर्टिंग के दौरान यहां के लोगों ने कहा कि बीजेपी पार्टी ने हिन्दू मश्लिम को बांटने का काम किया। रोजगार, महंगाई और किसानी जैसे जरूरी मुद्दे दरकिनार कर दिए हैं।

रामसुमेर यादव का कहना है कि उनको तो वोट करना ही करना है क्योंकि यही एक अधिकार है हमारा। हम अखिलेश यादव की ही सरकार बनाएंगे। अखिलेश यादव के मुकाबले कोई मुख्यमंत्री नहीं हो सकता। हमारे गांव से बीजेपी पार्टी की हवा समाप्त हो चुकी है। अब यहां के लोग बदलाव चाहते हैं। वह छोटे किसान हैं। डेढ़ से दो लाख का कर्ज लिए क्रेडिट कार्ड बनवाए। बेजेपी की सरकार आई तो कहा कि किसानों को कर्ज माफ होगा। कर्ज तो माफ ही नहीं हुआ और इतना कर्ज बढ़ गया कि वह बर्बाद हो गए। सम्मान निधि से उनको कोई लाभ नहीं मिल पायेगा। ऐसे में बताइये कि किसकी सरकार बनना चाहिए।

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कामता प्रसाद कहते हैं कि उनकी फसल बर्बाद हो गई बारिश के कारण। कोई सुनने वाला नहीं है कि किसानों को खाद बीज सस्ता नहीं हुआ। बिजली का बिल माफ नहीं हुआ। नहरों के पानी से फायदा तो होता ही नहीं ऊपर से वसूली ली ही जाती है। गौशाला तो बना है लेकिन वहां पर अन्ना जानवरों को खाने पीने की व्यवस्था नहीं है। प्रधान कहता है कि उसके कर्ज हो गया दो लाख रुपये। पिछले विधानसभा चुनाव में यहां से विधायक चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय थे। आज तक गांव झांकने नहीं आये।

बाबू नाम की महिला कहती हैं कि वह अखिलेश यादव को वोट करेंगी। किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिला। इसलिए वह अब सरकार बनाने में बदलाव करेंगी। उनके नाम खेती है लेकिन सम्मान निधि योजना का लाभ नहीं मिला है।

कमलेशा कहती हैं कि उनके लिए सभी पार्टियों के नेता बराबर हैं। हमारे लिए कोई भी सरकार हो लेकिन उनको लाभ मिलते रहना चाहिए। गरीबों के लिए कोई सरकार नहीं सोचती, हां वादे करने में पीछे नहीं रहती।

देवकी कहती हैं कि उनकी तबियत खराब रहती है। बबासीर की बीमारी है। अभी ऑपरेशन हुआ है तो दस हज़ार रुपये लगा है। किसी तरह से कर्ज लेकर इलाज करवा रही है। पति के साथ परिवार समेत ईंट भट्ठे जाते हैं ईंट काटने। चुनाव से उनका कोई लेना देना नहीं।

गांव के एक बुजुर्ग विकलांग व्यक्ति बताते हैं कि उनको पेंशन नहीं मिल रही है चार साल से। बहुत दौड़ भाग किया विभागों में उनकी कोई नहीं सुन रहा। इसलिए पेंशन पाने के लिए वह अखिलेश यादव को ही जिताएंगे।

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