जिला चित्रकूट के ब्लाक मऊ गांव छतैनी के लोगों का कहना है कि सरकार की तरफ से उज्जवला योजना के तहत गैस सिलेंडर तो मिले थे पर क्यूंकि गैस इतनी महंगी हो चुकी है इसलिए वो लोग सिलेंडर दोबारा भरा नहीं पा रहे हैं। इन लोगों को कहना है कि ये लोग मज़दूर हैं इतना कमा नहीं पाते कि 900 रूपए देकर हर महीने सिलेंडर भरवा सकें।
इन लोगों ने हमें बताया कि जब सिलेंडर मिला था तब तो 650 रूपए में भर जाता था, और लोग पैसे जोड़ के भरवा भी लेते थे लेकिन अब हर महीने 900 रूपए देना इनके लिए मानों नामुमकिन सा हो गया है। इन लोगों का कहना है की उन्हें अब खाना बनाने के लिए लकड़ी और चूल्हे का इस्तेमाल करना पड़ रहा है। लकड़ी लेने जंगल में जाना पड़ता है जहाँ कई जंगली जानवर मौजूद हैं।
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इस गाँव के लोग अपनी जान पर खेल कर लकडिन बीनते हियँ और खाना बनाते हैं, इनका मानना है कि अगर सरकार ने कोई योजना बनायीं थी तो हम गरीबों का क्यों नहीं सोचा था। सिलेंडर तो दे दिया लेकिन इतना महंगा कर दिया कि हम दोबारा कभी उसे भरवा ही नहीं पाए। इन्होने हमें बताया कि सरकार जो सब्सिडी देने का वादा करती है वो पैसे भी आजतक इनके खाते में नहीं आये हैं, इनके पास गैस बुकलेट भी है लेकिन कभी कोई पूछने भी नहीं आया।
गैस एजेंसी इतनी दूर है कि अगर ये लोग 900 रूपए जोड़कर कभी गैस भरवाना भी चाहें तो 100 रूपए तो एजेंसी तक पहुँचने के किराए भाड़े में लग जाता है। इंडेन गैस ऐन्सी के मैनेजर पंकज कुमार का कहना है कि हमारे यहाँ लगभग 6 हजार गैस कनेक्शन हैं और इस समय गैस का रेट 880 रू. है। इसके अलावा लोगों के खातों में 45 रूपए सब्सिडी का भी जा रहा है लेकिन जिन लोगों के पुराने बबकाया पैसे चल रहे हैं, उनके लिए सरकार ने फिलहाल सब्सिडी बंद कर रखी है।
पंकज ने हमें बताया कि अगर लोगों को लगता है कि बकाया न होने के बावजूद भी उनकी सब्सिडी नहीं आ रही है तो वो एजेंसी आकर अपना आधार कार्ड दिखाएं और एजेंसी के लोग उनकी मदद करेंगे। पंकज का मानना है कि गरीबों के लिए इतना महंगा गैस सिलेंडर ले पाना मुश्किल है और यही कारण है कि आजकल बहुत ही कम सिलेंडर भरवाए जा रहे हैं।