चित्रकूट ज़िले के मऊ ब्लॉक के गाँव छिवलहा में गौशाला बनने के बावजूद भी मवेशी बाहर ही घूम रहे हैं, और सड़क एवं खेतों में रह रहे हैं। बता दें कि गाँव में बनी गौशाला में करीब सौ अन्नाजानवरों को जगह नहीं मिल पायी जिसके कारण वो बाहर ही छूट गए और अब ये जानवर किसानों की फसलें नष्ट करने में जुटे हुए हैं।
आसपास के किसानों का कहना है कि पूरा दिन उन लोगों के खेत में रहने के बावजूद भी वो लोग अन्नाजानवरों से अपनी फसलें नहीं बचा पा रहे हैं। इन लोगों ने हमें ये भी बताया कि अगर कभी कोई किसान दोपहर में या किसी और समय गलती से खेत छोड़ के कहीं चला जाए तब तो उस किसान की पूरी फसल चौपट हो जाती है।
इन किसानों को कहना है कि इस पूरे इलाके में इन पशुओं का इतना ज़्यादा आतंक है कि इनसे अपनी फसल बचाने के चक्कर में यह लोग खेत और फसल पर ध्यान ही नहीं दे पा रहे हैं। इन किसानों की मानें तो जब इतनी मेहनत, मज़दूरी करके ये लोग बीज बोते हैं, फसल उगाते हैं, और फिर अगर ये पशु आकर फसल नष्ट कर देते हैं, तो वो बहुत ही ज़्यादा दुखदायी होता है।
सबसे ज़्यादा दिक्कत किसानों को ही झेलनी पड़ रही है-
इन किसानों का कहना है कि हर परेशानी की घडी में सबसे ज़्यादा दिक्कत किसानों को ही उठानी पड़ती है, चाहे वो अन्नाजानवर से फसल बचाना हो, महंगाई हो, या शहर जाकर गल्ला बेचना हो। गाँव छिवलहा के किसान फूलकुमार, शिवलाल एवं शारदा ने हमें बताया कि इस गांव में गौशाला तो बनी है जिसमें सिर्फ 40 जानवर रहते हैं, इससे ज्यदा नहीं।
और तकरीबन सौ अन्नाजानवर तो बाहर ही घूम रहे हैं। इन किसानों का कहना है कि मऊ ब्लाक के 57 गाँव की ऐसी ही स्थिति है और हर गाँव के किसान अन्नाजानवर से परेशान हैं। एक गौशाला को बनाने का बजट कम से कम चार पांच लाख रूपए था और इसको बनाने का उद्देश्य ही यही था कि किसान अन्नाजानवर से अपनी फसल बचा सकें।
लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ और किसानों को कोई राहत नहीं मिली। इन किसानों ने कई बार इसके खिलाफ आवाज़ भी उठायी और ग्राम प्रधान से इसकी शिकायत भी करनी चाही, परन्तु इसपर कोई सुनवाई नहीं हुई
जब सरकार ने गौशाला बनवायी थी तब यह सुनिश्चित करना चाहिए था कि सारे अन्नाजानवर गौशाला में रहें, लेकिन क्यूंकि ऐसा नहीं हुआ जिसके कारण आज किसानों को इतनी परेशानियों का सामना पड़ रहा है।और यह कोई पहला ऐसा मामला नहीं है, हमने देखा है कि सरकार की ज़्यादातर योजनायें बीच में ही ध्वस्त हो जाती हैं और इसका भुगतान आम जनता को भुगतना पड़ता है, चाहे वो हर घर में शोचालय की योजना हो, या आवास की योजना हो।
ऐसे में ज़रूरी है कि गौशाला बनवाने के लिए नियुक्त किये गए अधिकारी अब कुछ अहम कदम उठाएं, ताकि जो पशु अभी भी गौशाला के बाहर भटक रहे हैं, वो अपनी जगह पर पहुँच पाएँ।
इस खबर को खबर लहरिया के लिए सुनीता बरगढ द्वारा रिपोर्ट एवं फाएज़ा हाशमी द्वारा लिखा गया है।