समाज और हमारे आस -पास के लोग किसी भी तरह की हिंसा को बढ़ाने में सबसे ज़यादा भागीदारी रखता है। महिलाओं के साथ हिंसा होती है तो उसे दबाने और दरकिनार करने की कोशिश की जाती है। लेकिन समस्या की जड़ को ना तो समझने की कोशिश की जाती है और ना ही उस तक पहुँचने की। ऐसा ही मामला उत्तर प्रदेश के बाँदा जिला के अतर्रा थाने के अंदर आने वाले तिलक नगर का है। परिवार का आरोप है कि कुछ बदमाशों द्वारा उनके टूटे हुए घर को बनने नहीं दिया जा रहा है। ताकि वह उनके घर में ताका -झांकी कर सके और उनकी बेटियों के साथ बदतमीज़ी करते रहें।
शिकायत करने पर पुलिस बरसाती है डंडे
तिलक नगर की रहने वाली केसरिया कहती हैं कि वह सालों से कच्चे मकान में रह रही थीं। अब जाकर उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना के द्वारा आवास दिया गया। वह अपना घर बनवाना चाहती हैं। लेकिन उनके मोहल्ले के रहने वाले कुछ बदमाश उसमें अड़चन पैदा कर रहे हैं।
उनकी चार बेटियां और एक बेटा है। कच्चा मकान था, बहुत जगह से टूटा हुआ था। जैसे-तैसे उन्होंने गुज़ारा किया। घर खुला होने की वजह से मोहल्ले के बदमाश उनकी बेटियों को छेड़ते रहते हैं, ताका-झांकी करते हैं। कई बार अतर्रा थाने में एसपी से शिकायत भी की। समाज सेवी संस्था से भी मदद मांगी। विभाग के चक्कर भी लगाए। लेकिन फिर भी कोई सुनवाई नहीं हुई। उनका आरोप है कि शिकायत करने पर उल्टा पुलिस उन्हें उनके घर आकर धमकाती है। उनके साथ मारपीट करती है। वह बस दबंगो के खिलाफ कार्यवाही करवाना चाहती हैं।
लड़कियों से करते हैं छेड़छाड़
केसरिया के पति रामकिशोर कहते हैं आवास पूरी तरह ना बनने की वजह से वह खुले में झोपड़ी बनाकर रह रहे थें। मकान खुला होने की वजह से पड़ोसी घर में निगाहें टिकाये देखते रहते हैं। बदमाश उनकी बेटियों के साथ छेड़छाड़ करते हैं। अश्लील हरकतें और गाने गाते हैं। पर वह किसी भी तरह उनके कामों और बातों को यह सोचकर नज़रअंदाज़ करते रहें कि एक बार उनका घर बन जाये। फिर सब ठीक हो जाएगा। यहां तक की ज़मीन उनकी अपनी होने के बावजूद भी उनका आवास नहीं बनने दिया जा रहा है।
रोज़ मिलती है धमकी, पुलिस भी लगाती है फटकार
रामकिशोर का आरोप है कि जो दबंग व्यक्ति उन्हें और उनकी बेटियों को परेशान करता है। उसकी पुलिस से जान-पहचान है। जिसकी वजह से पुलिस भी उसके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं करती। वह कहते हैं कि उनके शिकायत करने पर 2 मार्च को पुलिस द्वारा उन्हें घर पर आकर पीटा गया। जिसकी वजह से उन्हें कान से साफ़ तौर पर सुनाई देना बंद हो गया।
रामकिशोर के अनुसार उन्हें हर रोज़ धमकी दी जाती है। अगर उन्होंने घर बनवाया तो उनके साथ कुछ बुरा होगा। उनके इकलौते बेटे का अपहरण कर लिया जायेगा। उनकी बेटियों को वे उठा भी सकते हैं। जिसकी वजह से दिन-रात उन्हें उनकी बेटियों और परिवार की चिंता सताये रहती है। वह कहते हैं कि प्रशासन भी उनकी नहीं सुनता। ऐसे में उनके पास अपनी जान देने के आलावा और कोई रास्ता नहीं बचेगा। वह बस इंसाफ़ चाहते हैं।
समाजसेवी कार्यकर्ता ने कहा, मदद करने की करी पूरी कोशिश
पूरे मामले को लेकर खबर लहरिया की रिपोर्टर ने समाज सेवी कार्यकर्ता मुबीना खान से बात की। वह कहती है कि उनके पास यह मामला तकरीबन एक महीने पहले आया था। तब से ही वह परिवार को न्याय दिलाने की कोशिश में लगी हुई है। लेकिन कुछ नहीं हुआ। वह कहती हैं कि बार-बार अतर्रा थाने द्वारा बातों को गोल -मटोल करके टाल दिए जाता था। फिर 3 मार्च को वह एसपी से भी रामकिशोर और पत्नी केसरिया को मिलवाने लेकर गयी। ताकि उनकी समस्या का समाधान निकल सके।
एसपी ने कहा, मिलेगा न्याय
बांदा जिले के एसपी सिद्धार्थ शंकर मीणा ने परिवार की शिकायत को सुनते हुए तुरंत अतर्रा थाने को फोन लगाया। मामले में लापरवाही बरतने के लिए पुलिस को फटकार भी लगाई। साथ ही यह आदेश दिया कि वह तुरंत परिवार के घर पहुंच सही जाँच करे और समाधान करे। उनके द्वारा परिवार को न्याय दिलाने का आश्वाशन भी दिया गया।
पूरे मामले में सबसे ज़्यादा लापरवाही पुलिस की तरफ से पायी गयी। घर किसी भी व्यक्ति के लिए उसका सुरक्षित स्थान होता है। इसमें ना तो पुलिस द्वारा बदमाशों के खिलाफ कोई कार्यवाही की गयी। ना तो उन्हें घर बनावाने में अड़चन पैदा करने से रोका। ना ही वह रामकिशोर की बेटियों को सुरक्षा दे पायी। जिसके बहुत से वादे यूपी पुलिस द्वारा हर वरदात के बाद किये जाते हैं। जब पुलिस ही आरोपियों के साथ मिल जाए तो पीड़ित की कौन सुनेगा? समाज कब जानेगा अपनी आवाज़ उठाना? सुरक्षित रहना और महसूस करना सबका अधिकार है। जो की हमारा समाज और प्रशासन हर एक नागरिक को देने में पूरी तरह से असफल रहा है।
इस खबर को खबर लहरिया के लिए गीता देवी द्वारा रिपोर्ट किया गया है।