हेलो दोस्तों, मैं हूं मीरा देवी। खबर लहरिया की ब्यूरो चीफ। मेरे शो राजनीति, रस, राय में आपका बहुत बहुत स्वागत है। लो भाई अब गाय अतिकुपोषित बच्चों का कुपोषण दूर करेंगी। यही नहीं डीएम साहब ने गाय भी दें दीं उन परिवारों को जिनके बच्चे कुपोषित हैं। 26 सितम्बर 2020 के दिन चैनलों और प्रिंट मीडिया में सुर्खियां बटोर रही खबर बताती है कि चित्रकूट के डीएम शेषमणि पांडेय की अध्यक्षता में पहाड़ी ब्लाक के खरसेंडा गांव में कार्यक्रम करके 25 गायों का वितरण किया। जानकारी के लिए बता दूं कि जिले में कुल 2297 बच्चे कुपोषित हैं।
जिले की 301 ग्राम पंचायतों में गो आश्रय स्थल बनाये गए हैं जिनमें कुल 13737 गोवंश सुरक्षित हैं। हमने इस मुद्दे पर रिपोर्टिंग करी और खोज निकाला वह राज जो इस शो का मकसद है। जिला मुख्यालय से लगभग तीस किलोमीटर दूर इस गांव में हम पहुंच ही गए। हमने उनको ढूढा जिनको डीएम ने गाय देकर फ़ोटो भी खिंचवाई थी।
बहुत मुश्किल में उन लोगों को हम ढूढ पाए। पूंछते पूंछते हम पहुंचे उनके घर। घर के बाहर खड़े लोगों से हमने गाय के बारे में पूंछ क्या लिया मानो बहुत बड़ा गुनाह कर दिया हो। घर के अंदर से एक महिला की आवाज आ रही थी। जोर जोर से चिल्लाकर कह रही कि वह गाय नहीं लेना चाह रही थी क्योंकि पहले से ही उसके पास भैंस है तो दूध की कमी नहीं है लेकिन बगल में आंगनबाड़ी का घर है और पड़ोसी का कहना मानना पड़ता है। कह रही थी लभी ले लो। फ़ोटो खिंचवा लो, डीएम को तसल्ली हो जाय और मुख्यमंत्री तक रिपोर्ट भेजने को प्रूफ हो जाये इसके बाद लौटा देना। जैसा सब चाह रहे थे वैसा हो तो गया लेकिन आफ़त पड़ गई लोगों को। जो गाय मिली वह दूध भी नहीं देती।
सरकार इनके खानेपीने की व्यवस्था के लिए नौ सौ रुपये देने का वादा करी आज तक वह भी पैसा नहीं मिला। बात करते करते एक और महिला के बारे में पता चला जिसको गाय दी गई थी डैम के द्वारा। घर ढूढते उसके घर पहुंचे। बातचीत करने पर पता चला कि वह गाय भी दूध नहीं देती। जिस कुपोषित बच्चे को दूध पिलाने के लिए गाय ढ़ी गई थी उसके लिए दूध खरीदना पड़ता है। वह भी गाय नहीं लेना चाह रहे थे लेकिन आंगनबाड़ी से व्यवहार न खराब हो इस दबाव में गाय लेना ही पड़ा। अब उसको छोड़ भी नहीं सकते।
खैर दोनों बहुत हैरान और परेशान। इस मामलेको लेकर आंगनबाड़ी, प्रधान, बाल विकास कार्यालय, डीएम से बात करने के लिए गए लेकिन ऑन कैमरा बात नहीं की। बाल विकास कार्यालय से आंकड़े नहीं दिए गए। और तो और डीएम बोले कि वह इस समय किसी भी मीडिया को बाइट नहीं देते क्योंकि बाइट का मिसयूज़ होता है।
तब हम पहुंचे सांसद के पास। अब सांसद क्यों चूकेंगे वह बात कहने से जिसके लिए उन्होंने ठेका ले रखा है। खैर अब वही गायें बच्चों का कुपोषण दूर करेंगी जो गौशालाओं में दाने-दाने और बूंद-बूंद पानी को मोहताज़ हैं। ये वही गाएं हैं जो गली बाज़ार में कागज या प्लास्टिक खाते अक्सर दिख जाती हैं। जिनके खुद के खाने की व्यवस्था नहीं वह चली हैं अब कुपोषण दूर करने। साथियों इन्हीं विचारों के साथ मैं लेती हूं विदा, अगली बार फिर आउंगी एक नए मुद्दे के साथ। अगर ये चर्चा पसन्द आई हो तो अपने दोस्तों के साथ शेयर करें। लाइक और कमेंट करें। अगर आप हमारे चैनल पर नए हैं तो चैनल को सब्सक्राइब जरूर करें। बेल आइकॉन दबाना बिल्कुल न भूलें ताकि सबसे पहले हर वीडियो का नोटिफिकेशन आप तक सबसे पहले पहुंचे। अभी के लिए बस इतना ही, सबको नमस्कार!