खबर लहरिया National रिवाज़ के नाम पर आख़िर कब तक जलती रहेंगी महिलाएं? Holika Dahan

रिवाज़ के नाम पर आख़िर कब तक जलती रहेंगी महिलाएं? Holika Dahan

हर साल कथित रिवाज़ों के तहत जलाई जाती लकड़ियों में औरत के वजूद को भी जला दिया जाता है। फर्क बस इतना है कि यह धुआं दिखता नहीं… लेकिन हर लड़की, हर मां, हर बहन के भीतर घुटता रहता है। देखिए… यहां कोई ग़म नहीं, कोई सवाल नहीं। कोई यह नहीं सोच रहा कि यह जलता पुतला सिर्फ एक मूर्ति नहीं… बल्कि हमारी भीतर बैठी उस मानसिकता का प्रतीक है, जो सदियों से औरत को जलता देखने की आदि हो चुकी है। अगर इस जलती हुई मूर्ति की जगह किसी और चीज़ का पुतला होता… तो शायद हंगामा मच जाता। लेकिन यह सिर्फ एक महिला का प्रतीक है… इसलिए कोई फर्क नहीं पड़ता। ये राख सिर्फ होलिका की नहीं… हमारी सोच की भी है। सवाल यह नहीं कि परंपरा कितनी पुरानी है… सवाल यह है कि क्या हर पुरानी चीज़ सही होती है?

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