भारत में गर्भपात, लिंग निर्धारण आदि को लेकर काफी सख्त क़ानून हैं। जहाँ पहले गर्भधारण के केवल 20 सप्ताह तक ही गर्भपात कराया जा सकता था, वहीँ हाल ही में आए नए कानून ‘गर्भ का चिकित्सकीय समापन संशोधन विधेयक 2020′ के अंतर्गत अब महिलाओं के पास अपनी आवश्यकता के अनुरूप 24 सप्ताह तक भी गर्भपात कराने का कानूनी अधिकार है। लेकिन क्या आपको पता है कि असुरक्षित गर्भपात मातृ मृत्यु दर का तीसरा प्रमुख कारण है। और भारत में रोज़ाना असुरक्षित गर्भपात के कारण लगभग 8 महिलाओं की मौत होती हैं।
NCBI की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हर साल 15.6 मिलियन गर्भपात होते हैं। इनमें से ज़्यादातर गर्भपात अशिक्षा, लिंग भ्रूण हत्या, और आर्थिक स्थितियों के कारण होते हैं। लेकिन क्या अपने सोचा है कि गर्भपात करवाने से महिलाओं के स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ता होगा? इन्हीं सवालों के जवाब पाने के लिए हमने मुलाक़ात करी कुछ ऐसी महिलाओं से जिन्होंने गर्भपात करवाया है। हमने कुछ महिलाओं के साथ-साथ कुछ डॉक्टरों से भी गर्भपात के बारे में बात करी। तो आइये जानते हैं कि गर्भपात का इन महिलाओं के स्वास्थ्य के ऊपर क्या असर पड़ रहा है।
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