खबर लहरिया Blog बांदा: 231 गौशाला फिर भी आफत बने हैं अन्ना जानवर

बांदा: 231 गौशाला फिर भी आफत बने हैं अन्ना जानवर

बारिश और बाढ़ से बची खरीफ फसलों को अब अन्ना जानवरों ने अपना निशाना बनाया है। यही नहीं खेत की रखवाली कर रहे किसानों पर मवेशी हमलावर भी होने लगे हैं। ऐसे में किसानों में आक्रोश नजर आ रहा है। उनका कहना है कि गौशालाओं का संचालन होने के बाद भी अन्ना जानवर किसानों और उनकी फसलों के लिए आफत बने हैं। ऐसे में जिले में बनी लगभग 231 गौशाला किस काम की?

 

कभी बाढ़ तो कभी तेज बारिश से यहां के किसान परेशान रहते हैं। खरीफ फसल किसानों की तबाह हो चुकी है। पहले ही केन और यमुना में बाढ़ की वजह से नदियों के किनारे बसे कई गांव में खेत जलमग्न हो गए थे। ऐसे में किसानों की फसल चौपट हो गई। इधर, अब लगातार मौसमी उतार चढ़ाव से किसान भी चिंतित नजर आ रहे हैं। किसानों का कहना है कि बारिश और बाढ़ थम गई तो अन्ना जानवर बची सही फसल को चट करने में जुट गए हैं। रामसरन किसान निवासी पैलानी, बाबू गांव नरी और भोला जो नरैनी ने अन्ना मवेशियों को गौशालाओं में करवाने की मांग भी की है। जिससे फसल को बर्बाद होने से बचाया जा सके। किसानों का कहना है कि अन्ना जानवर खेतों की फसल तो खा ही रहे हैं लेकिन शाम होते ही सड़कों में जाम लगा देते हैं जिससे आए दिन लोग ही नहीं जानवर भी घायल होते हैं। आये दिन एक्सीडेंट जैसी घटनाएं बढ़ने लगी है लेकिन जिम्मेदार अधिकारी इन मवेशियों के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रहे हैं।

खेतों में फसल से ज्यादा हैं अन्ना जानवर

यहां देंखे पूरी वीडियो-

 

सड़कों पर अन्ना मवेशियों के झुंडों से नहीं रुक रहे हादसे

गिरवां थाना क्षेत्र के खानपुर गांव निवासी स्वर्गीय हरिभगत सिंह का बेटा 40 वर्षीय शिव सिंह बृहस्पतिवार यानी 19 अगस्त की रात करीब साढ़े 9 बजे बाइक पर बांदा से गांव लौट रहा था। गिरवां चौराहे के पास सड़क पर खड़े अन्ना मवेशियों के झुण्ड से तेज रफ्तार बाइक टकरा गई। शिव सिंह गंभीर रूप से घायल हो गया था। लोगों से मिली जानकारी के अनुसार उस व्यक्ति के हेलमेट न लगे होने के कारण से सिर और चेहरे पर गंभीर चोटें आईं थी। राहगीरों की सूचना पर गिरवां थाना पुलिस और यूपी-112 मौके पर पहुंच गई। घायल को जिला अस्पताल भेज दिया। यहां कुछ देर बाद उसने दम तोड़ दिया। पुलिस ने शव कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।

 

परिजनों ने बताया कि मृतक के पिता हरिभगत सिंह का निधन हो चुका है। तीन भाइयों में छोटा और अविवाहित था। पिता की मौत के बाद तीनों भाइयों में बंटवारा हो चुका था। शिव अपनी मां के साथ रहता था। आठ बीघे जमीन में खेती बाड़ी करके गुजर-बसर कर रहे थे।हादसे में पुत्र गंवाने से मां बेसुध है।

सीएम का आदेश भी बेअसर

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किसानों को अन्ना पशुओं से राहत दिलाने के लिए 2 जनवरी 2019 को सभी जिलाधिकारियों को सड़कों व खेतों के आसपास घूम रहे अन्ना पशुओं को अभियान चलाकर 10 जनवरी तक आश्रय स्थलों पर पहुंचाने के निर्देश दिए थे। शुरुआती दिनों में तो अभियान का खासा असर दिखाई दिया लेकिन धीरे-धीरे यह अभियान ठंडे बस्ते में चला गया। जिससे किसानों की चिंताएं बढ़ गई हैं। किसान खेतों में अन्ना जानवरों से फसल को बचाने के लिए दिन रात डेरा जमाए हुए हैं।

अतर्रा कस्बे में भी हुआ अन्ना जानवर से एक्सीडेंट एक और हादसा

अतर्रा कस्बे में भी सड़क पर मवेशियों के झुंड से टकराकर बाइक सवार युवक गंभीर रूप से घायल हो गया था। उसका जिला अस्पताल में उपचार भी कराया गया है। इसके पहले भी अन्ना पशुओं की वजह से सड़क हादसे हुए और कुछ लोगों को तो अपनी जान भी गंवानी पड़ी।

 

जिस तरह से गौशाला होने के बावजूद भी सड़कों पर अन्ना मवेशियों का इतना ज्यादा आतंक रहता है। लोगों को निकलना मुश्किल हो जाता है और आए दिन घटनाएं होती हैं उस तरह से क्या कभी ठोस कार्यवाही हो पाएगी? जिस तरह से अन्ना मवेशियों के नाम पर बजट आता है और गौशाला बनाए जाते हैं वह बजट कहां जाते हैं? क्यों अन्ना जानवरों के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।

बांदा मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. सतपाल ने हमें बताया कि उन्होंने दो दिन पहले क्षेत्र का निरीक्षण किया है। और डीएम द्वारा सभी ग्राम प्रधानों और नगर पंचायतों को आदेशित किया गया है कि जानवरों को जल्द से जल्द गौशालाओं के अंदर किया जाए ताकि सड़कों में जानवर ना दिखें। जो लोग दूध खाकर जानवर छोड़ देते हैं उनके ऊपर भी कार्यवाही की जाएगी। बाँदा जिले में 231 गौशाला होते हुए भी लोगों को इस तरह दिक्कत उठानी पड़ रही है। जो सड़कों में जाम लगता है और घटनाएं होती हैं इन घटनाओं को और सड़कों में जानवरों के जाम लगाने को रोक लगाने के लिए कड़ी से कड़ी कार्यवाही की जाएगी।

इस खबर की रिपोर्टिंग गीता देवी द्वारा की गयी है।