टीकमगढ़ जिले के जतारा ब्लॉक के गाँव ताललिधौरा में रहने वाले बालचंद अहिरवार अनार की खेती करते हैं। बालचंद का कहना है कि उन्होंने आधे एकड़ में अनार की खेती करी है जिसकी शुरुआत उन्होंने 120 पौधे लगाकर करी थी। उन्होंने हमें बताया कि मटर, चने, गेहूं की फसल के बर्बाद होने की संभावना रहती है और अगर बारिश कम या ज़्यादा हो जाए तब भी यह खतरा रहता है कि कहीं पूरी फसल खराब न हो जाए।
इसलिए सृजन नाम की एक संस्था ने इन किसानों को सुझाव दिया कि क्यों न वो फलों की खेती करें, जिसमें उन्हें आर्थिक लाभ भी ज़्यादा मिलेगा और फसल खराब होने की चिंता भी नहीं रहेगी। इन किसानों ने हमें बताया कि अनार की खेती में समय तो लगता है क्यूंकि ढाई-तीन साला में जाकर इसके पेड़ तैयार होते हैं लेकिन इससे मुनाफ़ा बहुत होता है।
यह किसान साल भर में 20 हज़ार तक अनार की खेती से कमा लेते हैं और दूर-दूर से खरीददार भी आते हैं इन फलों को खरीदने। सृजन संस्था के अधिकारी कलेश ने हमें बताया कि जतारा ब्लॉक के करीब 150 किसान ऐसे हैं जिन्हें अनार की खेती करना सिखाया गया है। इस संस्था का यह उद्देश्य था कि वो लोगों को फलों की खेती के फायदे समझाए और गेहूं या दालों की खेती करने के बजाय अनार और अमरुद की खेती कर किसान अपनी आय बढ़ा सकें। यह संस्था किसानों को प्रशिक्षण देती है कि कैसे वो फलों की खेती अच्छे से कर सकते हैं।