केस जो राजापुर थाना अंतर्गत एक गांव का है। उस लड़की ने बताया कि रिश्ते में जीजा लगने वाले व्यक्ति ने उसका रेप किया यह दिलाशा देकर कि वह दोनों शादी कर लेंगे। वह बार-बार घर आता जाता रहा और यह काम करता है। जब लड़की गर्भवती हो गई तो दोनों के घर परिवार के लोगों ने दबाव दिया कि वह गर्भपात करवाए। लड़की के परिवार वालों ने पुलिस और संस्था के सहयोग से उस लड़के पर एफआईआर कर दी। काफी मशक्कत के बाद वह लड़का जेल चला गया और लड़की के लड़की पैदा हुई। जब इस मामले को लेकर लड़की से बात की गई कि वह किस तरह का न्याय चाहती है तो उसने कहा कि वह उससे शादी करना चाहती है।
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इस मामले में बात करने के बाद यह बहुत अजीब वाली बात सामने आई कि जिसके ऊपर बलात्कार का आरोप है। उनको इस हालत में पहुंचाने वाले व्यक्ति से ही शादी? यह कैसा न्याय है। खैर इसको इतना ज्यादा लड़कियों की इज़्ज़त और छवि खराब करने से जोड़ दिया गया कि लड़कियों को और उनके परिवार को इज़्ज़त बचाने का यही एक रास्ता दिखता है। इसमें अहम रोल समाज का है। किस बात की इज्जत? जिसने इन लड़कियों को इस मोड़ पर खड़ा किया क्या उसके पास कोई इज़्ज़त नहीं थी? उसने तो खुद अपनी और अपने परिवार की छवि को बर्बाद कर दिया। हमारा समाज ऐसी सोच का साथ देकर ही ऐसी घटनाओं को कम कर पाने में बहुत पीछे है।
शैलेंद्र कुमार राय, अपर पुलिस अधीक्षक, चित्रकूट इस मामले को लेकर पुलिस प्रशासन का कहना है कि उन्होंने कार्यवाही की है। दोनों आरोपियों को जेल भेज दिया गया है। आगे किए कार्यवाही चल रही है।
पुष्पा शर्मा, नेतृत्व समूह, मानवाधिकार इकाई वनांगना का कहना कि कोरोना महामारी और लॉक-डाउन के चलते महिलाओं से कहीं ज्यादा केस लड़कियों के सामने निकलकर आये हैं। ऐसे में जब लड़कियों को रेप की दुर्घटना का सामना करने के बाद भी वह अपने भविष्य, कैरियर को लेकर समाज और घर परिवार से प्रताड़ित की जाती है तब वह उनके परिवारों की डीलिंग करते हैं। पुलिस का काम है कार्यवाही कर देना और जैसे ही वह केस अदालत में जाता हैं तो मानो पुलिस की कार्यवाही पूरी। लेकिन तब उनकी और उनके संस्था की जिम्मेदारी ज्यादा बढ़ जाती है।
कोविड-19 महामारी के कारण देश के कई राज्यों में लॉकडाउन लगा था, लेकिन अपराधों की संख्या में कोई कमी नहीं आई। एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, 2020 में महिलाओं के विरूद्ध अपराध के मामलों में से 28,046 बलात्कार की घटनाएं थी कोविड-19 के कारण लगे लॉकडाउन के दौरान जो मामले सामने आये उसमें से 25,498 वयस्क और 2,655 नाबालिग हैं. एनसीआरबी के जारी आंकड़े यह दर्शाते हैं कि अपराधियों में पुलिस या कानून का कोई डर नहीं है। एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक पूरे देश में 2020 में बलात्कार के प्रतिदिन औसतन करीब 77 मामले दर्ज किए गए। पिछले साल दुष्कर्म के कुल 28,046 मामले दर्ज किए गए। देश में ऐसे सबसे अधिक मामले राजस्थान में और दूसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश में दर्ज किए गए।
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