कमेटी के प्रवक्ता ने यह भी कहा कि “ जिला अदालत की ओर से मुस्लिम पक्ष को अपनी बात रखने का मौका नहीं दिया गया। न्यायाधीश ने अपनी सेवा के अंतिम दिन फैसला सुनाया।”
ज्ञानवापी मस्जिद के व्यास का तहखाना (सीलबंद बेसमेंट क्षेत्र) में अब हिन्दू पक्ष को प्रार्थना करने की अनुमति दे दी गई है। यह फैसला, वाराणसी जिला अदालत द्वारा 31 जनवरी, बुधवार को आया। अदालत ने जिला प्रशासन को सात दिनों के अंदर पूजा शुरू करने की व्यवस्था करने का निर्देश दिया है।
वहीं अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी के वकील अखलाक अहमद ने कहा कि वह इस आदेश को ऊपरी अदालत में चुनौती देंगे। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार,अदालत ने मस्जिद समिति के एक आवेदन पर सुनवाई की तारीख 8 फरवरी तय की है, जिसमें कहा गया है कि याचिका खारिज कर दी जानी चाहिए।
बता दें, यूपी के पूर्व सीएम मुलायम सिंह यादव के आदेश पर 30 साल पहले बाबरी मस्जिद विध्वंस के कुछ समय बाद ही मस्जिद परिसर को सील करा दिया गया था। अदालत का फैसला आने के बाद हिंदू पुजारी के परिवार के सदस्यों द्वारा सबसे पहले पूजा शुरू की गई।
हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने मीडिया को बताया, “हिंदू पक्ष को प्रार्थना करने की इजाजत है…जिला प्रशासन को सात दिनों में व्यवस्था करनी होगी। सभी को वहां प्रार्थना करने का अधिकार होगा।”
ये भी पढ़ें – ज्ञानवापी मस्जिद : सामाजिक व धार्मिक मुद्दों के बीच अदालत व प्रमुखता
मस्जिद के नाम पर ‘मंदिर’ शब्द चिपकाते दिखे…….
काशी विश्वनाथ मंदिर के ठीक बगल में स्थित मस्जिद के पास के क्षेत्र में कल देर रात कुछ गतिविधियां देखी गईं। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियोज़ में देखा गया कि कथित तौर पर हिंदू भक्त ‘व्यास का तहखाना’ में प्रार्थना करने के लिए मस्जिद में पहुंचने लगे। एक हिंदू संगठन, राष्ट्रीय हिंदू दल के सदस्यों को मस्जिद के पास एक साइनबोर्ड पर ‘मंदिर’ शब्द चिपकाते हुए देखा गया। इसके बाद किसी भी अन्य तरह की घटनाओं की रोकथाम के लिए परिसर के पास भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया।
अदालत के फैसले को मुस्लिम पक्ष देगा चुनौती
कमेटी के वकील मेराजुद्दीन सिद्दीकी (Merajuddin Siddiqui) के मुताबिक, ज्ञानवापी मस्जिद की अंजुमन इंतजामिया कमेटी कोर्ट के आदेश को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में चुनौती देगी। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी), जो समिति को सलाह दे रहा है, उसने जिला अदालत के फैसले को “पूरी तरह से अस्वीकार्य” बताते हुए कहा कि यह 1986 में बाबरी मस्जिद में ताले खोलने के समान है।
कहा कि, “यह राजनीतिक लाभ पाने के लिए हो रहा है। वही दृष्टिकोण अपनाया जा रहा है, जो बाबरी मस्जिद मामले में किया गया था।”
वहीं कमेटी के प्रवक्ता एस.क्यू.आर. इलियास ने द हिंदू को बताया, “ऐसा लगता है कि राम मंदिर की स्थापना के बाद बाबरी मस्जिद स्थल पर, कई अन्य मस्जिदों को निशाना बनाया जा रहा है, चाहें वे कितनी भी पुरानी क्यों न हों।”
कमेटी के प्रवक्ता ने यह भी कहा कि “जिला अदालत की ओर से मुस्लिम पक्ष को अपनी बात रखने का मौका नहीं दिया गया। न्यायाधीश ने अपनी सेवा के अंतिम दिन फैसला सुनाया।”
अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी के वकील अखलाक अहमद ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया “तहखाना ज्ञानवापी मस्जिद का एक हिस्सा है इसलिए पूजा नहीं हो सकी। इसलिए, पूजा की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।”
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, मस्जिद के तहखाने में चार तहखाने हैं। उनमें से एक पुजारियों के एक परिवार के कब्जे में था जो वहां रहते थे। याचिकाकर्ता और परिवार के एक सदस्य शैलेन्द्र पाठक की याचिका के अनुसार, व्यास परिवार के सदस्य सोमनाथ व्यास ने 1993 में तहखाने को सील करने से पहले इसमें प्रार्थना की थी। उन्होंने अदालत में तर्क दिया था कि वंशानुगत पुजारियों के रूप में उन्हें वहां पूजा करने की अनुमति दी जानी चाहिए। अदालत ने कल जिला प्रशासन से यह सुनिश्चित करने को कहा कि एक सप्ताह के अंदर तहखाने के अंदर प्रार्थना हो सके।
“इतिहास फिर दोहराया जा रहा है”
कमेटी के प्रवक्ता एस.क्यू.आर. इलियास ने कहा, “वे एक ही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। हमें डर है कि इतिहास दोहराया जा रहा है। यहां ज्ञानवापी में पांच हिंदू महिलाओं ने यहां एक देवता की पूजा करने का अधिकार मांगा। तब वुज़ुखाना में एक शिवलिंग होने का दावा किया गया था। फिर वुजुखाना को सील कर दिया गया। इसके बाद, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को मस्जिद का सर्वेक्षण करने के लिए कहा गया। अदालत द्वारा दोनों पक्षों को एक प्रति दिए जाने के बाद जल्द ही इसकी रिपोर्ट प्रेस में लीक हो गई। अब पूजा की इजाजत मिल गई है। 1991 में पूजा स्थल अधिनियम लागू होने के बाद किसी ने यह जानने की जहमत नहीं उठाई कि क्या इस मामले को सूचीबद्ध किया जा सकता है।”
ASI के सर्वे पर नोटिस
ज्ञानवापी मस्जिद से संबंधित एक अन्य महत्वपूर्ण आदेश में, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मस्जिद कमिटी को एक नोटिस ज़ारी किया है। नोटिस में मस्जिद के वज़ुखाना (wazukhana) क्षेत्र का वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने का निर्देश देने से इनकार करने वाले वाराणसी जिला न्यायाधीश के आदेश को चुनौती देने के लिए दायर एक पुनरीक्षण आवेदन के बारे में बात की गई है।
ज्ञानवापी मस्जिद से संबंधित पुनरीक्षण याचिका हिंदू पक्ष में से राखी सिंह द्वारा दायर की गई है, जिसमें मस्जिद को हटाने की मांग की गई है। इसके साथ ही वहां हिंदुओं को श्रृंगार गौरी मंदिर की पूजा करने का अधिकार मांगा गया है। रेखा सिंह की ओर से पेश वकील सौरभ तिवारी ने द हिंदू को बताया कि न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की एकल न्यायाधीश पीठ ने पुनरीक्षण याचिका के मामले में एक नोटिस ज़ारी किया है।
इसके अलावा, जिला अदालत का आदेश चार हिंदू महिलाओं द्वारा मस्जिद के एक सीलबंद हिस्से की खुदाई और वैज्ञानिक सर्वेक्षण की मांग के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने के एक दिन बाद आया। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India ) की एक रिपोर्ट में निष्कर्ष निकाला गया है कि मस्जिद के निर्माण से पहले वहां एक बड़ा हिंदू मंदिर मौजूद था।
इस पूरे फैसले को बाबरी मस्जिद व राम मंदिर से पूर्णतयः जोड़ा जा रहा है। एक तरफ राम मंदिर के बनने को लेकर समारोह तक हो चुका है, वहीं मस्जिद के लिए दी गई ज़मीन शांत नज़र आती है। यहां भी पहला फैसला हिन्दू पक्ष में गया और मुस्लिम पक्ष को डर है कि जो हो रहा है, वह ऐसा लग रहा है कि जैसे इतिहास को एक बार फिर से दोहराया जा रहा है।
‘यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’