कर्नाटक राज्य के शिवमोग्गा के सरकारी प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज में शुरू हुई हिज़ाब के साथ शिक्षा प्राप्त करने की लड़ाई, अब शिक्षा से कहीं ज़्यादा आगे बढ़ चुकी है। 8 फरवरी को इस विवाद से जुड़ी एक वायरल वीडियो में देखा गया कि जब बुर्क़ा पहनी एक मुस्लिम लड़की कॉलेज की तरफ बढ़ी तभी सैफरन शॉल ओढ़े लड़कों का समूह उसे देख “जय श्री राम” चिल्लाने लगे।
संविधान कहता है, किसी भी धर्म पर आधारित न होना ही धर्म निरपेक्षता है। 24वें संविधान संशोधन 1976 के द्वारा भारतीय संविधान की प्रस्तावना में संशोधन करके धर्मनिरपेक्ष शब्द जोड़ा गया है।
विवाद की आवाज़ दूर-दूर तक राजनीतिक नेताओं, अदालतों और देश के कोने-कोने में नागरिकों तक पहुंची। इसके बाद कर्नाटका हाई कोर्ट को इस मामले में आना ही पड़ा। वहीं बागलकोट में विरोध प्रदर्शन इतना हिंसक हो गया कि शिवमोग्गा में धारा 144 लागू कर दी गयी है। इसके बाद कर्नाटक के सीएम बसवराज बोम्मई ने स्कूलों और कॉलेजों को अगले तीन दिन के लिए बंद करने का आदेश दिया है। साथ ही यह भी खबर सामने आई कि उडुपी में प्रदर्शनकारियों ने एक-दूसरे पर पथराव किया और स्कूल के बाहर भगवा रंग का झंडा फहराया गया।
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने सोमवार को कॉलेजों में हिजाब पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई शुरू तो की, लेकिन फिलहाल हाई कोर्ट ने हिजाब विवाद पर सुनवाई मंगलवार तक के लिए टाल दी है। तबतक, कॉलेजों में किसी को भी धार्मिक चीजें पहनकर नहीं आना है। हिजाब विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि वह प्रत्येक नागरिक के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करेगा।
धर्मनिरपेक्ष भारत में धर्म के नाम पर लड़ाई होना कोई पहली और नई नहीं बल्कि बेहद आम बात है। अब देखना है कि यह मुद्दा कबतक यूं ही गरमाता रहेगा! क्या इसपर जल्द ही कोई फैसला सुनाया जाएगा?
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